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मे उनमे इनमे मै मे bindu (अनुस्वार) या chandrabindu (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता

  Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार))  या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है।  Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं

आखिर टीचर की नियुक्‍ति ही क्‍यों टीईटी मेरिट से

प्राथमिक टीचर की भर्ती टीईटी मेरिट से ही सही सरकारी स्‍कूलों की हालत क्‍यो खराबॽ इस समय उत्‍तर प्रदेश में प्राथमिक विद्‍यालय की हालत खस्‍ता है। कारण साफ है यहां बुनियादी सुविधा का अभाव है। भवन बेंच टायलेट आदि नहीं है। वहीं 50 छात्रों पर एक शिक्षक तैनात है। ऐसे में बताये कोई शिक्षक अपना बेस्‍ट परफारमेंस कैसे दे पायेगा। पढ़ाई का स्‍तर जाहिर है गिरेगा ऐसे में अंग्रेजी मीडियम तमगा लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्राइवेट स्‍कूल की बाढ़ आ गई है। प्राइवेट कान्‍वेंट स्‍कूल के दावे पर गौर करें तो यहां पर अच्‍छी फैकल्‍टी ट्रेंड टीचिंग स्‍टाफ और आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने की बातें कहकर लोगों को आकर्षित किया जाता है जबकि इनके दावे कहां तक सच है। यह तो अपने बच्‍चों दाखिला दिलाने के बाद उनके अभिभावक अच्‍छी तरह से जानते है। टीईटी ने दिखाया सच मजेदार बात यह है कि इस समय देश में अनिवार्य शिक्षा कानून चौदह साल तक के बालकों के लिये मुफ्त में शिक्षा और गूणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा की बात कहता है। जिसके तहत प्राइमरी और उच्‍च प्राइमरी में टीचरों की योग्‍यता के लिए एक पैमाना बनाया है। यहां प्रशिक्षित शिक्षक

प्राथमिक शिक्षक बनने का सपना संजोय लाखों लोग

प्राथमिक शिक्षक बनने का सपना संजोय लाखों लोग में बस यही बहस चल रहा है कि प्राथमिक टीचर की भर्ती की चयन प्रक्रिया क्‍या होनी चाहिए। इस पर कई लोगों के अपने अपने विचार हो सकते हैं लेकिन हम आज मौजूदा सरकारी स्‍कूलों की स्‍थिति पर ध्‍यान दें तो यह बात साफ हो कि इन स्‍कूलों में भौतिक सुविधाओं के अलावा गुणवत्‍ता युक्‍त शिक्षा भी एक बड़ी चुनौती है। अब फिर वह प्रश्‍न पूछता हूं कि प्राथमिक टीचर के चयन की प्रक्रिया क्‍या होनी चाहिएॽ जाहिर सी बात है किसी विद्‍यालय में एक अच्‍छा शिक्षक होना सबसे पहली शर्त है। अब प्रश्‍न उठता है कि अच्‍छा टीचर आएगा कैसे जब आज हमारी शिक्षा प्रणाली इतना जर्जर हो चुकी है कि आज बीएड कालेजों में नंबर की होड़ लगी है। कारण साफ है कि प्राथमिक विद्‍यालय में अभी तक अन्‍तिम चयन का आधार एकेडमिक मेरिट है। यह सुनने में अच्‍छा जरूर लगता है लेकिन ध्‍यान दें इस समय यूपी बोर्ड परीक्षा चल रही है और अखबारों में खबर रिकार्ड तोड़ हो रहा नकल। वहीं कई ऐसे बोर्ड है जहां ऐसे औसत छात्रों को भी 70 से 80 प्रतिशत नंबर आसानी से मिल जाता है जबकि यूपी बोर्ड में मेधावी छात्र भी इतना नंबर बड़ी मेंहन

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अन्‍ना की मुहिम जारी

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अन्‍ना की मुहिम जारी अभिषेक कांत पाण्डेय भ्रष्‍टाचार की मुहिम जारी है। अन्‍ना का आन्‍दोलन इस बार सख्त तेवर में सामने आ रहा है। 25 तारीख को जंतर मंतर दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ शहीद हुए परिजन के साथ यहां एक दिन का सांकेतिक अनशन किया गया। जिसका मकसद साफ था कि मजबूत जनलोकपाल को संसद में पारित करवाना। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई हर हिन्‍दुस्‍तानी की है। आज हम जिस तरह से भ्रष्‍टाचार से दो–चार अपनी रोजाना कि जिंदगी में होते हैं लेकिन अन्‍ना के भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मुहिम ने हमारी सोच को बदल दिया है। और हम भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आज एक साथ खड़े हैं। मीडिया ने निभाई जिम्‍मेदारी एक आम भारतीय को दो वक्त की रोजी रोटी के लिए ही पूरी जिंदगी मेंहनत करने में लगा देता है। लेकिन सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्ट ब्‍यूरोकेट्स और नेता आसानी से लाखों करोड़ों बना लेते है। हमें तो अब अश्‍चर्य करने की जरूरत भी नहीं कि देश में इतने घोटाले होते है। आश्चर्य तो यह है कि वास्तव में यह सिलसिला कब से चल आ रहा है। आखिर अब तक पता कैसे नहीं चला जाहिर हमारी मीडिया और जनता ने इस तरह के घोटालों क

टेट ऐसी छन्‍नी है जो नकलचियों को छानेगा और इसकी मेरिट मेधावियों का चयन करेगा।

टेट ऐसी छन्‍नी है जो नकलचियों को छानेगा और इसकी मेरिट मेधावियों का चयन करेगा। टीईटी की मेरिट ही केवल हो चयन का आधार। बाकी एकेडमी प्‍लस टेट आदि फार्मूला न्‍यायोचित नहीं। इसे हम अच्‍छी तरह से जानते है कि बीएड में किस तरह से खुले आम नकल होती है। और यहां पर एकडमिक मेरिट मजबूत करने का खेल हर साल चल रहा है। इसके साथ ऐसे विश्‍वविद्‍धालय जहां नकल नहीं होती और मार्किंग टाइट होती है वे नकलचियों के बीच छट जाएंगे और फिर हमारे आरटीई एक्‍ट कानून का कोई मतलब नहीं रहेगा। अतः नकलचियों और नकल माफियों पर बैन लगा सकता है टीईटी मेरिट यह सबके समझ में आनी चाहिए। दूसरी बात टीईटी के मेरिट होने से छात्र अपनी एकडमिक मेरिट में अंको के जुगाड में कोई गलत कदम नहीं उठायेंगे और उन्‍हे मालूम होगा कि टेट पास करने के लिए अभी से पढाई करों और पढार्इ से वास्‍तविक ज्ञान मिलेगा जो बच्‍चों को पढाने में काम आयेगा। इसलिए टेट आखिरी छन्‍नी है जो छानकर नकलचियों और नकल माफियों को सही रास्‍ते पर लाएगा ओर इनका धंधा बन्‍द हो जएगा।

आखिर टीचर की नियुक्‍ति ही क्‍यों टीईटी मेरिट से

आखिर टीचर की नियुक्‍ति ही क्‍यों टीईटी मेरिट से सरकारी स्‍कुलों की हालत क्‍यो खराबॽ सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों का गिरता स्‍तर प्राइवेट इंग्‍लिस मीडियम स्‍कूलों को कुकुरमुत्‍तों की तरह उगने का मौका दे रही हैं। इस समय उत्‍तर प्रदेश में प्राथमिक विद्‍यालय की हालत खस्‍ता है। कारण साफ है यहां बुनियादी सुविधा का अभाव है। भवन बेंच टायलेट आदि नहीं है। वहीं 50 छात्रों पर एक शिक्षक तैनात है। ऐसे में बताये कोई शिक्षक अपना बेस्‍ट परफारमेंस कैसे दे पायेगा। पढ़ाई का स्‍तर जाहिर है गिरेगा ऐसे में अंग्रेजी मीडियम तमगा लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्राइवेट स्‍कूल की बाढ़ आ गई है। प्राइवेट कान्‍वेंट स्‍कूल के दावे पर गौर करें तो यहां पर अच्‍छी फैकल्‍टी ट्रेंड टीचिंग स्‍टाफ और आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने की बातें कहकर लोगों को आकर्षित किया जाता है जबकि इनके दावे कहां तक सच है। यह तो अपने बच्‍चों दाखिला दिलाने के बाद उनके अभिभावक अच्‍छी तरह से जानते है। टीईटी ने दिखाया सच मजेदार बात यह है कि इस समय देश में अनिवार्य शिक्षा कानून चौदह साल तक के बालकों के लिये मुफ्त में शिक्षा और गूणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा की

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