Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
संविदा शाला वर्ग 2 व 3 में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले हजारों बेरोजगारों के साथ अन्याय हो रहा है।
अभिषेक कांत पाण्डेय/मध्य प्रदेश में व्यापम परीक्षा उतीर्ण योग्य ऐसे बेरोजगारों जिन्होंने बीए व डीएड की डिग्री एनसीटीई के नियमानुसार प्राप्त की लेकिन उन्हें नौकरी इसलिए नहीं दी जा रही है कि उनका पिछली परीक्षा स्नातक या इंटर में 50 प्रतिशत से कम अंक है। इस कारण से ऐसे हजारों योग्य उमीद्वारों को बाहर कर दिया वहीं व्यापम परीक्षा में अनुतीर्ण अतिथि शिक्षकों के हवाले माडल स्कूल सौंप दिया गया है। सरकार की अदूरदर्शिता के चलते व्यापम परीक्षा उतीर्ण बीएड व डीएड डिग्री धारक सड़कों पर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गये हैं। संविदा शाला वर्ग 1 व 2 हजारों सीटें रिक्त है। जबकि 14 जून 2013 को हाईकोर्ट जबलपुर का एक फैसले में 50 प्रतिशत की बाध्यता को निरस्त कर दिया गया वहीं सरकार को चार हप्ते में शीध्र भर्ती करने को आदेश भी दिया गया है। इसके बावजूद व्यापम परीक्षा में अनुतीर्ण कुछ अतिथि शिक्षक को माडल स्कूल में पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया है। जबकि प्रदेश में हजारों योग्या व्यापम परीक्षा उतीर्ण बीएड एवं डीएड योगयातधारी की अनदेखी की जा रही है।
व्यापम परीक्षा उमीर्ण और संविदा शाला वर्ग दो के उमीद्वार मनीष नामदेव को कहना है कि जब हमने एनसीटीई के नियमानुसार बीएड का प्रशिक्षण स्नातका में 50 प्रतिशत से कम अंक में किया और बीएड उतीर्ण के साथ व्यापम की परीक्षा उतीर्ण की है तो सरकार हमारी अनदेखी नहीं कर सकती है। अगर जल्द सरकार चेती नहीं तो हम फिर अपने हक के लिए सड़को पर उतरेंगें।
अभिषेक कांत पाण्डेय/मध्य प्रदेश में व्यापम परीक्षा उतीर्ण योग्य ऐसे बेरोजगारों जिन्होंने बीए व डीएड की डिग्री एनसीटीई के नियमानुसार प्राप्त की लेकिन उन्हें नौकरी इसलिए नहीं दी जा रही है कि उनका पिछली परीक्षा स्नातक या इंटर में 50 प्रतिशत से कम अंक है। इस कारण से ऐसे हजारों योग्य उमीद्वारों को बाहर कर दिया वहीं व्यापम परीक्षा में अनुतीर्ण अतिथि शिक्षकों के हवाले माडल स्कूल सौंप दिया गया है। सरकार की अदूरदर्शिता के चलते व्यापम परीक्षा उतीर्ण बीएड व डीएड डिग्री धारक सड़कों पर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गये हैं। संविदा शाला वर्ग 1 व 2 हजारों सीटें रिक्त है। जबकि 14 जून 2013 को हाईकोर्ट जबलपुर का एक फैसले में 50 प्रतिशत की बाध्यता को निरस्त कर दिया गया वहीं सरकार को चार हप्ते में शीध्र भर्ती करने को आदेश भी दिया गया है। इसके बावजूद व्यापम परीक्षा में अनुतीर्ण कुछ अतिथि शिक्षक को माडल स्कूल में पढ़ाने का दायित्व सौंपा गया है। जबकि प्रदेश में हजारों योग्या व्यापम परीक्षा उतीर्ण बीएड एवं डीएड योगयातधारी की अनदेखी की जा रही है।
व्यापम परीक्षा उमीर्ण और संविदा शाला वर्ग दो के उमीद्वार मनीष नामदेव को कहना है कि जब हमने एनसीटीई के नियमानुसार बीएड का प्रशिक्षण स्नातका में 50 प्रतिशत से कम अंक में किया और बीएड उतीर्ण के साथ व्यापम की परीक्षा उतीर्ण की है तो सरकार हमारी अनदेखी नहीं कर सकती है। अगर जल्द सरकार चेती नहीं तो हम फिर अपने हक के लिए सड़को पर उतरेंगें।
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