Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
हिंदी दिवस की याद में व्यंग्य लेख
अभिषेक कांत पाण्डेय
हिंदी दिवस 14 सितंबर आने वाला है। कुछ पहले ही लिखने का मन कर रहा सो लिख रहा हूं। अच्छी लगे तो क्लैपिंग कर लीजिएगा। खैर बात शुरू की जाए कहां से यहीं से की भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? सीधा जवाब हिंदी। लेकिन कैसे क्या वास्तव में हम अंग्रेजी के आगे हिंदी को संपर्क भाषा मानते हैं? क्या हिंदी सरकारी कार्यालय में खासतौर पर केंद्रीय कार्यालय में राजकाज की भाषा का दर्जा या अनिवार्यता है, नहीं क्योंकि अंग्रेजी प्रेम और हिंदी न सीखने का एक खास वर्ग द्वारा हिंदी हाशिये पर रखी जा रही है।
क्या हिंदी सचमुच में पूरे इंडिया में व्यावहारिक रूप से अपनाई जा रही है। बात फिर घूम रही है क्या हिंदी बोलकर, लिखकर, पढ़कर कम अंग्रेजी जानने वालों के बराबर पैसा कमाया जा सकता है? आप जानते हैं कि हिंदी में सिनेमा उद्योग अरबों कमा रहा है क्या वहां हिंदी की लिपी का लोप नहीं हो रहा देवनागरी गायब नहीं हो रहीं है। रोमन में स्क्रिप्ट को हिंदी बोली में बोलकर एक्टिंग करने वाले करोड़ों कमा रहे हैं जबकि हिंदी साहित्यकर्मी व लेखक अदद पुरस्कार पर ही संतोष कर रहे हैं। हिंदी का अस्तित्व इंडिया में या भारत में यह आप बताएं। फिर भी हिंदी के लिए क्या हो रहा है केवल हिंदी सप्ताह का सरकारी कार्यालयों के मेन गेट पर बैनर टंगा देख हिंदी का एहसास हो रहा है। हिंदी प्रेमी वही है जो हिंदी में लिखते है या कहे वे केवल हिंदी में ही लिख सकते हैं और अंग्रेजी में नहीं, इसीलिए वे फटेहाल में है। हिंदी कवियों की स्थिति तो थोक में कविता लिखने की कमजोरी है शायद जिनेटिक्स हो यानी बर्बाद होने की पूरी गांरटी है।
गरीब हिंदी मीडियम में पढ़ता है जाहीर है मंहगी अंग्रेजी उसके बस की बात नहीं है तब वह गरीब ही रहेगा। क्या करेगा हिंदी, हिंदी चिल्लाएगा, कुछ हिंदी में लिखेगा सर खपाएगा और पायेगा एक ढेला भी नहीं। हां शाल मिल जाएगी जिससे वे ओढ़ भी नहीं पायेगा चाहे जितनी ठण्डी होगी। पुरस्कार में मिली है तो अलमीरा में रखी जाएगी। खिसियएगा तब जब इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री खोजेगा,हिंदी में मानक चीजे मिलेंगी ही नहीं सर खुजलाएगा।
हिंदी केवल जानने वाले नेता हिंदी की जय में वोट बैंक ढूंढते हैं, हिंदी नहीं जानने वाले हिंदी के खिलाफ बोलते हैं। गरीब हिंदी को मजबूरी में ढोह रहा अंग्रेजी महंगी है जैसे वे चिकन बिरयानी नहीं खा सकता सो दाल चावल से काम चला रहा है। आई टाक इंगिलश आई वाक इंगलिश भाई इन सब लिखने के बाद भी मैं अब दूबारा ये गलती नहीं करूंगा, अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में ही पढ़ाउंगा, नहीं तो केवल हिंदी जानने से उनका करियर डवाडोल हो जाएगा।
हां अब तो मेरा हिंदी प्रेम भी कम होने लगा है चलों इंग्लिश वाली मैम से प्यार ही कर लूं, शायद कुछ इंग्लिश का ज्ञान इस प्रौढ़ावस्था में मिल जाए।
अब तो जबान भी लड़खडाने लगी है कहीं सर जी सारे कंट्री में इंग्लिश ही न बोली जाए। अंग्रेज भी बड़े ही चलाक चालक रहें हमारे देश में राज्य करने के लिए हिंदी सीखी लेकिन इंग्लिश में ही सारा राजकाज किया और अंग्रेजी में अंग्रेजों ने प्रापर नाऊन को हिंदी में लखनऊ को अंग्रेजी में लकनऊ कर दिया। सीधा शहर पर अंग्रेजी ने असर किया, इस तरह हमें इंग्लिश विरासत में मिली।
मानाओं साल में बावन हफ्ता हिंदी दिवस, हिंदी का कुछ नहीं होने वाला है। चिल्लाते रहो, लड़ते रहो और बोते रहो हिंदी के लिए कांटे, हमसे अच्छा चाइना है जो अपनी राष्ट्रभाषा को फेविकोल की तरह जोड़कर अपनी संस्कृति दे रहे चाइनिज समान के माध्यम से और हम उनकी अर्थव्यवस्था बढा, माफ कीजिए पता कैसे मैं अर्थव्यवस्थ टापिका पर पहुंच गया गलत है ना फिर मैंने हिंदी के साथ अन्याय कर दिया, काई बात नहीं एक सप्ताह और माना लेंगे। लम्बा चौड़ा भाषण देने के मूड में था हिंदी दिवस पर लेकिन यह हिस्सा मैं किसी नेता को देने जा रहा हूं जो अगामी हिंदी दिवस पर बोलेगा और हम मन ही मन प्रफुल्लित हो होंगे कि चलों एक हिंदी दिवस और बीत गया, हमारी हिंदी बढ़ रही है। न समझ आवा तो हिंदी में समझाई।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें