Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
फाइल चित्र |
बुधवार 22 जून 2022 को सुबह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ इलाके में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया है। 1000 से अधिक लोगों के मरने की आशंका बताई जा रही है। 100 से अधिक मकान मलबे में तब्दील हो गए। इसी तरह नेपाल में भी आया था।
मंगलवार 24 सितंबर 2019, शाम 4:30 बजे के आसपास आए भूकंप के झटकों से पाकिस्तान लेकर पूरे उत्तर भारत (North India) में धरती हिल गई। दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार शाम को भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में आ गए। कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। ऐसा क्यों?
ज्वालामुखी, बाढ़, सुनामी, भूकंप कुछ ऐसी प्राकृतिक आपदाएं हैं, जो धरती पर अकसर आती रहती हैं। साल 2015, नेपाल में आए भूकंप के कारण हजारों लोगों की जान चली गई और पूरा का पूरा काठमांडू शहर बर्बाद हो गया। भूकंप कैसे आते हैं, कहां पर आते हैं और इससे बचने के क्या तरीके हैं, यह जानना तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है।After 40 age love 40 की उम्र के बाद प्यार ना बाबा रे ना
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नेपाल में अचानक आए भूकंप के झटकों का एहसास दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के कई शहरों में लोगों ने महसूस किया गया था। लेकिन नेपाल में भूकंप का केंद्र काठमांडू के पास होने के कारण यहां पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जबकि इससे दूर 5०० किलोमीटर की दूरी पर केवल हल्का कंपन ही महसूस हुआ।
आपने कभी तालाब में कंकड़ फेंका होगा तो देखा होगा कि किस तरह से गोलाकार पानी की लहरें तेजी से चारों ओर बढ़ती हुई किनारे की तरफ आती हैं। ध्यान दिया होगा कि कंकड़ जब तालाब में जहां पड़ा, वहां पर हलचल तेजी से हुई और इसके किनारों पर हलचल धीरे-धरे कम होती गई। अब आप समझ सकते हैं कि ठीक इसी तरह जब धरती के अंदर की परत (दो प्लेटें) आपस में टकराती हैं तो उस जगह पर तेजी से एनर्जी कंपन के माध्यम से निकलती है और ऊपर धरातल पर पहुँचती है। ठीक तालाब के पानी की लहरों की तरह यह एनर्जी दूर तक फैलती है। अब समझ में आ गया होगा कि धरती की गहराई में हुए हलचल का धरातल पर कितना भयानक असर होता है। जापान में गिराए गए परमाणु बम से 5०० गुना से अधिक एनर्जी इस भूकंप में पैदा हुई है। इसीलिए काठमांडू भूकंप का केंद्र होने के कारण यहां पर धरती बहुत जोर से हिली और भूकंप ने सब कुछ नष्ट कर दिया।
भूकंप आने का कारण
आप जानते हैं कि हमारी धरती ठोस गोले की तरह है। यह कई परतों से मिलकर बनी हुई है, बिल्कुल प्याज के छिलकों की तरह। हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 5० किलोमीटर की मोटी परत और खंडों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं। जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं तब भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स ऊपर और नीचे, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है। ऐसा होने से ढेर सारी एनर्जी पैदा होती है, जो क्रस्ट यानी जिस धरातल में हम रहते हैं, वहां तक पहुंचती है और धरती पर तबाही मचाती है। जब तक यह बची हुई एनर्जी धरती से निकल नहीं जाती तब तक झटके आते रहते हैं, जिसे ऑफ्टर शॉक कहा जाता है।
रिक्टर स्केल बताता है
भूकंप की तीव्रता
नेपाल में आए भूकंप की तीव्रता 7.8 थी, जो विनाशकारी भूकंप की श्रेणी में आता है। भूकंप की भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती लेकिन जहां-जहां भूकंप आने की संभावना बनी रहती है, वहां पर सुरक्षा के उपाय किए जा सकते हैं। भूकंप कितना शक्तिशाली था, इसे मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। भूकंप आने के बाद ही रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता दर्ज हो जाती है, तब जाने पाते हैं कि कितना शक्तिशाली भूकंप था। रिक्टर स्केल भूकंप की तरंगों (लहर) को 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। इस स्केल में प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 1० गुना बढ़ जाती है और निकलने वाली एनर्जी 32 गुना। जैसे अगर 7 रिक्टर स्केल पर कोई भूकंप जितना विनाशकारी होगा, वहीं 8 रिक्टर पर आया भूकंप 7 के मुकाबले 1० गुना विनाश करने वाला होगा और 32 गुना ज्यादा एनर्जी निकलेगी। 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 6० लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली एनर्जी पैदा करता है।
जोन पांच में आते हैं विनाशकारी भूकंप
भारतीय उप महाद्बीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत में भूकंप आने की संभावना वाले जगह को चार हिस्सों में बांटा गया है। जिसे जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला है और जोन-5 को सर्वाधिक खतरनाक जोन माना जाता है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से और दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।
समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है। पिछले दिनों जापान के समुद्र में आए भूकंप से उठी सुनामी ने भयानक तबाही मचाई थी।यह भी पढ़ें
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