बच्चे को कैसे सुधारें jiddi bache ko sdharne ke tips parenting
parenting tips: बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगा रहे हैं दिन भर मोबाइल से खेलते रहते हैं। बच्चों (छात्रों) को लेकर जागरूक पेरेंट्स परेशान है। bacchon ka man nahin rakhta hai yah jaane kuchh khas tips अपनाकर आप अपने बच्चे को पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अपने बच्चे के व्यक्तित्व के बारे में जाने इस आर्टिकल को पढ़ाया बहुत महत्वपूर्ण आर्टिकल आपके लिए। क्या आप जानते हैं? new parenting tips 2022
जब बच्चे परेशान करे तो क्या करना चाहिए?
children study: पढ़ाई में student मन नहीं लगाते हैं। इस कारण से परीक्षा में कम नंबर लाते हैं या फेल हो जाते हैं। ऐसे बच्चे झूठ बोलते और लापरवाह होते हैं। पढ़ाई में मन न लगाने वाले बच्चे की डायरी में आप कंप्लेन देखें। किताब नहीं लाना, कॉपी नहीं लाना, कक्षा में बातें करना, झूठ बोलना, बच्चों के साथ झगड़ना, बेवजह हंसना, कमजोर बच्चों को सताना, जानवरों को सताना, गाली का इस्तेमाल, मां बाप के पैसे रुतबे और घर मकान का घमंड करना, बातूनी होते हैं ऐसे बच्चे पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं,
आपको समझ जाना चाहिए अगर आपके बच्चे में इस तरह के लक्षण हैं तो आपको उसका समाधान ढूंढना है। बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है, सब के बारे में Solution समाधान सभी कुछ इस आर्टिकल में मिलेगा,
जिद्दी बच्चों की पहचान क्या है?
दोस्तों जिद्दी और बिगड़ैल बच्चे की पहचान बहुत ही आसान है। यह बेवजह बहस करते हैं और अपने माता-पिता की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं।
घर के सामान को तोड़ना तोड़ना कूड़ा करकट फैलाना यह गतिविधियों में ऐसे बच्चे लीन रहते हैं। स्कूल में भी इनकी शिकायत मिलती है।
झूठ बोलना किसी की इज्जत ना करना और बिना सोचे समझे मुंह पर किसी की बोल देना ऐसे बिगड़ैल बच्चों की निशानी होती है।
जिद्दी बच्चे अकसर पढ़ने में कमजोर होते लेकिन कभी-कभी कुछ बच्चे दिमाग जा रहा हूं और तेज भी होते हैं लेकिन उनकी गंदी हरकतें और जिद करने की उनकी आदत थी उन्हें पढ़ाई में भी कमजोर बना देता है।
जिद्दी बिगड़ैल बच्चे दूसरे बच्चे को भी सताते हैं उन्हें मारते पीटते हैं और फिर आते हैं। उनकी शिकायत अक्सर दूसरे लोगों से ही माता-पिता को सुननी पड़ती है।
अनुशासनहीन जिद्दी बच्चे किसी भी व्यक्ति को गाली देते हैं या उल्टी सीधी बातें करते हैं कभी-कभी गंदी हरकतें करने से भी बाज नहीं आते हैं।
जिद्दी बच्चे सोशल मीडिया, फेसबुक यूट्यूब में गलत चीज देखते हैं हिंसा वाली चीज पसंद करते हैं, अश्लील चीजो मैंने मजा आता है।
जिद्दी बच्चे नई नई चीज खरीदने के लिए जिद करते हैं और ना दिलाने पर गुस्सा होने का बहाना करते हैं या कोई ऐसी हरकत कर बैठते जिससे कि उन्हें चोट पहुंच सकती है, इस तरह से अपने माता पिता को ब्लैकमेल भी चाहते हैं।
जिद्दी बच्चे को कैसे सुधारें? how to improve our child in classroom
जिद करने वाले बच्चों को सुधारने के लिए parenting tips: अक्सर देखा गया जो बच्चे पढ़ते नहीं, लिखते नहीं हैं वे अपने मां-बाप का भी कहना नहीं मानते हैं। अगर आपका बच्चा लापरवाह है, छोटी-छोटी लापरवाही कर रहा है तो उसे जीवन की सच्चाई के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि पैसे कमाने के लिए कितना मेहनत करना पड़ता है, उससे पहले योग्यता हासिल करनी होती। अगर जिद करता है और पढ़ाई भी नहीं करता है तो उसकी बात बिल्कुल ना माने। ऐसे बच्चों का व्यवहार स्कूल में कैसा होता है यह जानने के लिए स्कूल डायरी देंखे और टीचर से संपर्क करें। जिद्दी बच्चे को समझाएं कि जीवन में क्रोध करना ठीक नहीं है, उसके साथ लगातार बहस न करें, उसके साथ समय बिताएं इस तरह से उसे जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलू को समझाते रहे कुछ दिनों में उसका जिद्दी पन दूर हो जाएगा।
बिगड़ैल बच्चे को कैसे सुधारें?
स्कूल और घर में अलग अलग व्यक्तित्व वाले बच्चे को पहचाने how to prepare the personality in any child in Hindi
आपका बच्चा स्कूल (school education) में अच्छा व्यवहार ना (children behaviour) करता हो, घर में आपके डर से सीधा- सदा बना रहता हो, फिर भी पढ़ने में वह कमजोर है, तो उसके बारे में सारी जानकारी स्कूल, क्लास टीचर से जानिए।
पढ़ाई में मन न लगाने वाले छात्र अपनी क्लास में भी ध्यान नहीं देते हैं। होमवर्क नहीं करके लाते हैं और झूठ बोलते हैं। padhaai mein Na man lagane wale students ko kaise padhaayen Hindi words mein jaane
1. अपने बच्चे की देखभाल के लिए दो-तीन घंटे समय दें how to care our children
jiddi bachee ko sudharne ke liyt tips Parents को यह जानना चाहिए कि कई तरह के nature वाले और personality के बच्चे होते हैं। जैसे बहुत से बच्चे शांत स्वभाव के होते हैं तो कुछ बच्चे जिद्दी; और किसी का कहना ना मानने वाली भी होते हैैं।
कुछ बच्चे बहुत ही बदतमीज और खुराफाती होते हैं और अपने मन की करते हैं। what is the meaning of the parenting in the Hindi. दोस्तों पेरेंटिंग का मतलब बच्चों की देखभाल परवरिश कैसे करें।
(how to improve your children character and personality no in Hindi words now read)
आप भी अपने बच्चे के व्यक्तित्व को जाने और उसे एक अच्छा इंसान बनाने के लिए प्रेरित करें।
उसके साथ समय बिताएं। अगर वह लापरवाही करता है पढ़ाई में ध्यान नहीं देता है तो इस तरह की गलतियों को वह दोबारा ना करें इसके लिए उसे समझाइए ।
पढ़ाई में कमजोर छात्र के दोस्तों से बात करें children weak in their study improve this tips use any child improve their study.
जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं वह अक्सर अपने जैसे ही बच्चों से दोस्ती करते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि पढ़ने वाले बच्चे कभी भी पढ़ाई में कमजोर बच्चों से दोस्ती नहीं करते।
अगर कोई बच्चा लापरवाही करता है, झूठ बोलता है, बड़ों से बदतमीजी करता है तो अच्छे बच्चे उससे दोस्ती नहीं करेंगे। आप एक अच्छे पेरेंट्स है इस बात का ध्यान रखें कहीं आपका बच्चा गलत आदत किसी बदतमीज बच्चे से सीख तो नहीं रहा है।
अगर आपका बच्चा पढ़ने में अच्छा है और शांत स्वभाव का है। अनुशासन discipline में रहता है तो उस बच्चे के दोस्तों को देखेंगे तो वह भी उन्हीं की जैसे होंगे।
लेकिन नटखट naughty boy और बदतमीज idiot children बच्चों के दोस्त अकसर अच्छे बच्चे नहीं होते। जो अच्छे बच्चे होते हैं वह इस बात को अच्छी तरीके से समझते हैं कि गलतियां करने पर उन्हें किसी न किसी तरह से पनिशमेंट मिलेगा इसलिए बदतमीज लापरवाह और झूठ बोलने वाले बच्चों से भी दोस्ती नहीं करते दूरी बनाए रखते।
अपने बच्चों के दोस्तों के बारे में जानकारी रखें
अगर आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा है तो जरा उनके दोस्तों के बारे में जानकारी कट्ठा करिए अगर दोस्त उसके अच्छे हैं तो निश्चित वाली आपका बच्चा भी लगभग पढ़ने में अच्छा ही होगा लेकिन अगर उसके दोस्त उसी की तरह लापरवाह, बदतमीज और अनुशासनहीन होते हैं।
तब चिंता की बात है क्योंकि वह एक ऐसा ग्रुप बना रहा, जिसमें उसकी सुधरने की संभावना नहीं है। अगर वह अपने ग्रुप का लीडर है और ऐसे अनुशासनहीन, बदतमीज बच्चे उसके ग्रुप में है या नहीं, WhatsApp ग्रुप पर रखे नजर।
तो आप को सावधान हो जाना चाहिए इस तरह के बच्चे तब तक नहीं सुधरते जब तक आप इनकी कड़ी मॉनिटरिंग नहीं करेंगे और इन्हें अपने सामने नहीं रखेंगे।
बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो जाने
और सुधारने का तरीका भी
बच्चे अक्सर अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश करते हैं झूठ बोलते हैं पकड़े जाने पर उनके अंदर डर भी नहीं रहता है। बच्चे पर नजर रखिए। वह आपके पीठ पीछे किन लोगों से मिलता जुलता है। क्या हुआ पढ़ाई में ध्यान देता है, या फिर केवल दिखावा करने के लिए पढ़ाई करता है। वह किस से बातचीत करता है कोचिंग जाते समय कहां कहां समय बिताता है। मोबाइल फोन पर किससे चैटिंग करता है। आपकी अनुपस्थिति में वह कैसे रहता है इन सब बातों की जानकारी आपको धीरे-धीरे कट्ठा करनी चाहिए। जब आपके पास जानकारी होगी तो अपने बच्चे को आप सुधार पाएंगे क्योंकि उसके हर झूठ का जवाब आपके पास होगा।
उसे समझाइए, उसे प्रेरित करिए। पढ़ाई कितनी जरूरी है कुछ सीखना बहुत जरूरी होता है इधर-उधर की बातें और समय गंवाने से इंसान को कुछ हासिल नहीं होता। उसे अगर इस तरह से बार बार समझाएंगे तो आपका बच्चा भी कम से कम आप के प्रति जिम्मेदार हो जाएगा और फिर धीरे-धीरे उसमें उम्र के साथ सुधारानी शुरू हो जाएगी।
बच्चों पर कैरियर का बोझ ना लादे
बच्चा जो भी बनना चाहता है उसे बनने दीजिए जिस कैरियर में वह जाना चाहता है उसे उसमें जाने दीजिए उसकी रुचि अगर जिस कैरियर में होगी तो वह पढ़ाई भी बहुत ही रुचि से करेगा। करियर का बोझ नहीं लगना चाहिएआपका बच्चा पढ़ाई में ध्यान नहीं देता तो इसका मतलब यह भी हो सकता है कि वह पढ़ाई तो करता लेकिन पढ़ाई उसे समझ में नहीं आ रही है। उसकी मदद करने के लिए पढ़ने के तरीके और अच्छे टीचर की जरूरत होती है। उसके साथ आप भी कुछ पढ़ाई करें और उसे कुछ चीजें बताएं जो आपके अनुभव के द्वारा सामने आती है तो बच्चा भी आपसे सीखेगा।
सीखने और सिखाने के बहुत आसान तरीके भी होते हैं इसके बारे में आप जानकारी कट्ठा करे हो सके तो किसी अच्छे टीचर से मदद ले।
स्टडी शेड्यूल बनाएं
बच्चे के पढ़ने का सही टाइम टेबल और शेड्यूल बनाना जरूरी होता। बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं और ट्यूशन में वह पाठ्यक्रम को सही तरीके से नहीं पड़ते हैं। और स्कूल में भी चीजों को समझ नहीं पाते हैं। इसलिए अपने बच्चों से स्कूल में पढ़ाए गए चीजों के बारे में भी बातचीत करें। उसके परफॉर्मेंस के बारे में बात करें। स्कूल में होने वाली एक्टिविटी में उसको पार्टिसिपेट करने के लिए प्रेरित करें। स्टेज के सामने बोलने और सबके सामने कोच्चि प्रस्तुत करने की कला उसके अंदर विकसित होगा तो जिम्मेदारी भी पड़ेगी और ऐसे बच्चे पढ़ाई में भी अव्वल धीरे-धीरे हो जाते हैं।
बच्चे एक्टिविटी और प्रोजेक्ट बनाने में अधिक समय अगर देते तो इसका मतलब यह समझे कि वह पढ़ाई नहीं कर रहे हैं हर चीज को सीखने का तरीका केवल रखकर याद करके नहीं सीखा जाता है। अगर उन्हें विज्ञान समझना तो प्रेक्टिकल मॉडल बनाकर भी अच्छे से समझ सकते। कई एक्टिविटी से पढ़ाई करना आसान हो जाता है। अगर वह प्रोजेक्ट बनाते हैं या अच्छी राइटिंग में लिखते हैं या कहानी कविता लिखते तो इसका मतलब यह नहीं हुआ कि वह समय बर्बाद कर रहे हैं। भाषा के सब्जेक्ट में तो लिखना बोलना और सुनने की कला होना जरूरी है। लेकिन अगर आप सोचते कि आपका बच्चा केवल परीक्षा में अच्छे नंबर ले आए तो हो सकता है वह लौटकर अच्छे नंबर ले आए लेकिन वह बोलने समझने सुनने और कल्पना करने की शक्ति मगर पिछड़ा तो आपको चिंता करने की जरूरत है।
सारांश
इस आर्टिकल में बच्चे के ना पढ़ने और उसके पढ़ने की समस्या के बारे में बताया गया। स्कूल में बच्चे अगर एक्टिव नहीं है तो पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। जो बच्चे पढ़ने में कमजोर होते हैं वह अक्सर लापरवाही होते। लापरवाह बच्चे खेल में अपना मन लगाते हैं और पढ़ाई उनके जीवन में भोज की तरह होता है इसलिए वह किताब का अभी स्कूल में भूल जाते हैं। पढ़ाई में कमजोर ऐसे बच्चे बहाना बहुत बनाते हैं। बच्चे इस तरह के झूठ बोलते हैं। क्योंकि वे पढ़ना नहीं चाहते इसलिए कॉपी किताब आदि भूलने और पेंसिल पेन आदि नहीं है इसका बहाना बनाते हैं।
पढ़ाई में कमजोर लापरवाह बच्चों को सुधारने के लिए टिप्स
कमजोर बच्चों की बहाना बनाने झूठ बोलने की आदतों को दूर करने के लिए पेरेंट्स और टीचर को चतुराई से काम लेना चाहिए।
आपका बच्चा भी पढ़ने में कमजोर है कि स्कूल से सब बातों की जानकारी हासिल करें। स्कूल से एक डायरी मिलती है जिसमें स्कूल गतिविधियों school activity में अनुशासनहीनता indiscipline बातचीत much talking करना, लड़ाई झगड़ा करना (quarrelling fighting in class) किताब कॉपी भूल जाना की शिकायत बच्चे की लिखी होती है हर दिन डायरी जरूर चेक करें।
कक्षा अध्यापक (class teacher) से भी बात करें, अगर आपका बच्चा लापरवाह है, घर में बहस करता है, झगड़ा करता है तो यकीन मानिए स्कूल में भी इसी तरह का व्यवहार करता होगा। आप अपने बच्चे से इन सब बातों पर सवाल का जवाब लीजिए तब बच्चा धीरे-धीरे सुधरने लगेगा। अपनी गलत आदतें छोड़ देगा और पढ़ाई में लगाने लगेगा।
आपको बता दूं कि कोई भी बच्चा पढ़ाई में इसलिए कमजोर होता है कि वह ध्यान नहीं देता है अगर ध्यान दे तो पढ़ने में अच्छा हो सकता है। ध्यान न लगने का कारण पढ़ाई के महत्व को बच्चा नहीं समझ रहा। पढ़ाई में कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई उसको समझ में नहीं आ रही है। उसका बेसिक कमजोर है। इसकी कक्षाओं केसरे बस का ज्ञान नहीं है।
FQ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
internet social media se bacche kaise bigad rahe hain?
दोस्तों अभी तक जितने भी साइकोलॉजिकल रिसर्च बच्चों को लेकर एजुकेशन और दूसरी जगह हुए हैं वह सब फेल हो रहे हैं क्योंकि जमाना बदल चुका है इंटरनेट मोबाइल ऑनलाइन पढ़ाई इन सब का ऐसा प्रभाव इन 2 सालों में प्रभावित किया है कि बच्चों की सोच में इंटरनेट के गंदे कंटेंट और फिल्मों का प्रभाव खासतौर पर web story के कंटेंट बच्चों को बिगाड़ रहा है। media Internet mobile से बच्चे बिगड़ रहे हैं क्योंकि बंदर के हाथ में उस्तरा पकड़ाने जैसा है, मोबाइल पकड़ाना।
क्यों बच्चों का मन Study में नहीं लगना
बच्चे को पढ़ाई समझ में नहीं आ रही है
मातृभाषा हिंदी है। हिंदी में वह किताबों को अच्छी तरीके से पढ़ लेता लेकिन अंग्रेजी में उसे पढ़ने में दिक्कत होती है भाषा समझने में दिक्कत होती इसलिए पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता है। पढ़ने पढ़ाने का स्टाइल पुराना है जिसमें कोई रोचकता नहीं है इसलिए बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता। पढ़ाई स्टडी पर कम फोकस होता है क्वेश्चन प्रश्न उत्तर और कॉपी करने में ज्यादा इसलिए बच्चियों को पढ़ाई नहीं रस लगती है।
पढ़ाई में मन लगाने के 5 skill tips
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