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मे उनमे इनमे मै मे bindu (अनुस्वार) या chandrabindu (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता

  Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार))  या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है।  Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं

मां

(कविता मेें मां और मैं।) कोख से जन्म लेते ही ब्रह्मांड भी हमारे लिए  जन्म ले चुका होता है जिंदगी का यह पहला चरण मां की  सीख के साथ बढता चलता लगातार अपडेट होते हम मां की ममता थाली में रखा खाना हमारी हर ग्रास में मां प्रसन्न होती हम अब समझ गये मां जन्म देती है धरती खाना देती है मां का अर्थ पूर्ण है, हमें जीवन देती और सिखाती है जीना। हर मां वादा करती है कुदरत से हर बच्चे में माएं भरती जीवनराग लोरी की सरल भाषा में। तोतली बातें समझनेवाली भाषा वैज्ञानिक मां मां मेरी डाक्टर भी मां मेरे लिए ईश्वर भी, मां सिखाती सच बोलना। आटे की लोई से लू लू, चिडिया बनाना चिडचिडाता जब मैं, मां बन जाती बुद्ध समझ का ज्ञान देती। नानी  की घर की और जानेवाली ट्रेन में बैठे ऊब चुके होते हम शिक्षक बन समझा देती रोचक बातें कैसे चलती ट्रेन, कैसे उड़ान भरता हवाई जहाज। अब मेरी मां नानी भी है दादी भी बच्चे बोलते अम्मा तब अपने बच्चों में मुझे अपना बचपन नजर आता। सच में मां ही है मां के हाथों का खाना आज भी  लगता है दिव्य भोजन इंद्र का रसोईया नहीें बना पाता होगा मां से अच्छा भोजन। मां
कैसी है तुम्हारी भाषा सबसे बड़ी भाषा संकेत की भाषा मूक होकर विरोध या सहमति की भाषा नहीं है कोई व्याकरण, न ध्वनि है प्रेम, दया व करुणा की भाषा की। ​बदल दिया जिसने अशोक को तुम क्यों नहीं बदले अह्म। तुम्हें पसंद नहीं रोते मासूमों की भाषा तुम्हें पसंद नहीं करुण पुकार की भाषा नहीं है क्या पसंद मिट्टी से उगते पौधे की भाषा। क्रंक्रीट सा मन तुम्हारा पसंद है तुम्हें खट खट की भाषा पसंद है तुम्हें टूटती सड़कों, गिरते पुल की ध्वनि तुम्हें पसंद है मेहनतकश हडि्डयों की चरचराने की भाषा तुम्हें तो पसंद है नोट फड़फड़ी तिंजोरी में बंद आवाजें। माना तुम्हारी भाषा संस्कार नहीं पर तुम तो आदिम भी नहीं उनके पास भी थी एक सरल भाषा वे महसूस कर लेते थे इंसानियत बचा लेते थे अपने जैसे इंसानो को पर तुम तो अपने पूर्वजों से हो अलग तुम्हारी भाषा व तुम्हारी परिभाषा बांटती है इंसानों को और तुम विजेता बन गढ़ लेते हो एक नया व्याकरण हर बार तुम नकार देते हो इंसानियत की भाषा। सर्वाधिकार सुरक्षित अभिषेक कांत पाण्डेय 8 अक्टूबर, 2017

जनता के मन में मोदी

अभिषेक कांत पाण्डेय भड्डरी उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत कई मायनों में अलग है। इस बार जनता ने जाति व धर्म से उपर उठकर वोटिंग किया। अब तक जिस तरह से जाति व धर्म के ध्रुवीकरण की गणित के जरिये किसी पार्टी के वोटर गिने जाते रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश की जनता ने राजनैतिक पार्टियों को लोकतंत्र का सही मतलब बतला दिया। किसी खास जाति वर्ग के चंद लोगों को लाभ देकर, उस जाति वर्ग व धर्म को वोटबैंक समझने की सोच में जीने वाले नेताओं की सोच पर भी यूपी की जनता ने करारा जवाब दिया। इस चुनाव में जनता ने बता दिया कि जाति व धर्म में बांटकर राजनीति करनेवालों के लिए भारत की राजनीति में कोई जगह नहीं है। बीजेपी की तरफ हर वर्ग जाति व धर्म के लोगों का झुकाव इसलिए बढ़ा कि वे अब तक की जातिगत पॉलिटिक्स से उब चु​के थे। भारत की जनता नागरिक के तौर पर अब अपना अधिकार मांग रही है, उसे रोजगार, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा व सम्मान चाहिए। वे खुद को जाति में बंटना पसंद नहीं कर रही है। किसी राजनीति जाति के वोट बैंक की तरह खुद देखना पसंद नहीं करना चाहती है। सच में यह बदलाव बहुत बड़ी है लेकिन अफसोस

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वह तंत्र, मैं लोकतंत्र

कविता ​अभिषेक कांत पाण्डेय भड्डरी कमाल की बात है सत्ता वंश में है वंश बनाम लोकतंत्र वंश को एक प्रसिद्धि चाहिए। वंश कहता बन जाओ सिपाही बगावत करो मेरे लिए सूझ बूझ का बाण पैनी समझ की तीर छोड़ता वह जानता जनता नहीं कहेगी सिंघासन खाली करो। उसी ने तो बैठाया है वंश के वेश में मैं कहीं कोई जोगी तो कहीं कोई लड़का, कोई वंश हुकूमत का सीख रहा ककहरा। उसी धरती का किसान जोत रहा है नये खेत खाद पानी से सीचेगा नये बीज डालेगा बीजपत्र से निकलेगा एक नई चेतना। वह जवाब होगी उस राजमहल के अंदर चल रही सूझ बूझ का जो लोकतंत्र को बदल दिया है वंश की बेल में, जिसकी शाखाएं उलझी जनता के मन में। जनता इस उलझन में नहीं वो तो एक लोहार की तरह बना रहा है नया औजार भरोसे की पॉलिस से मांजकर न लगने वाले जंग से खराब होने वाले इस तंत्र में एक मरम्मत करेगा। बस एक बार इसलिए उस सूझ बूझ को जो सत्ता दीवारों और उन परिवारों के बीच खेली जाती है इतिहास से अब तक। वहीं इसी बीच उन सरकारी रिपोर्टों पर प्रहार है जो वादे में, जो परिवार से लिखती है बनावटी स्क्रिप्ट जनता को समझाती है ​फिर लोकतंत्र मे

जीव जंतुओं की संवेदना व्यक्त करती बेचैन कविताएं

काव्य संग्रह अभिषेक कांत पाण्डेय मन को बेचैन करती कविताओं का संसार रचनेवाले श्याम किशोर बेचैन उन युवा कवियों में हैं जो कविता को मिशन के रूप में देखते हैं। बस सही समय पर सही बातों को कविता के रूप में जन समुदाय के सामने सरल व प्रभावी भाषा में अपनी बात कह देने वाली प्रतिभा के धनी है बैचैन। बैचेन खुद कहते हैं कि कविता उनके लिए उस नदी के समान है जो उन्हें रचनेवाले के साथ ही पढ़नेवाले को भी सुखानुभूति देती है। श्याम किशोर बेचैन लखीमपुर खिरी जिले के रहनेवाले हैं। भारत के कोने कोने में मंचों पर कविता के जरिये अपनी अलग पहचान बनाई है। गीत , गजल , चौपाई विधा में आधुनिक संसार में उपजे समस्याओं को बखूबी उजागर करती रचनाएं बेचैन की पहचान है। इसी श्रृंखला में श्याम किशोर बेचैन की नई कविता संग्रह वन्य जीव और वन उपवन जनमानस को समर्पित कविता संग्रह है। इस संग्रह में हमारे आसपास व जंगलों में रहने वाले जीव जंतुओं पर 70 कविताएं है

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  ईमेल लेखन कैसे करें cbse class 10, 9 Email writing in hindi CBSE बोर्ड की क्लास 9th और 10th में सेशन 2022 23 से ईमेल राइटिंग पर प्रश्न पूछा जाएगा। ईमेल राइटिंग जी का यह प्रश्न सीबीएसई बोर्ड क्लास 10th की बोर्ड परीक्षा में ढाई अंक का होगा। आपको बता दें कि क्लास 9th और 10th मे अनुच्छेद-लेखन Anuched Lekhan for class 10 and 9 , लघुकथा-लेखन , विज्ञापन-लेखन, संदेश-लेखन, संवाद-लेखन से प्रश्न भी पूछा जाता है इस पर आपको अधिक जानकारी चाहिए तो क्लिक करके पढ़ें… छात्रों ईमेल राइटिंग लिखना बहुत आसान है। ईमेल राइटिंग का प्रारूप और विषय आपको बस समझ में आना चाहिए। आपको यह बता दे कि आपकी परीक्षा में औपचारिक यानी कि फॉर्मल ईमेल राइटिंग ही पूछा जाएगा. औपचारिक ई मेल (Formal email) जैसे कि बैंक मैनेजर को  पासबुक जारी करने के लिए ई-मेल लिखना, आप एक लाइब्रेरियन है और किताब मगवाना चाहते हैं  तो बुक पब्लिशर को आप ईमेल लिखेंगे। ई-मेल की भाषा हिंदी | Email writing in hindi अगर आप ईमेल लिख रहे हैं तो उसकी भाषा हिंदी ही होनी चाहिए। प्रचलित का अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे स्कूल, बस

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