Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
उत्तर प्रदेश माध्यमिक बोर्ड का रिजल्ट आ गया है। अब स्नातक में प्रवेश के लिए छात्रों को विविश्विद्यालय के कट आफ मेरिट में अपना स्थान बनाना होगा। अगर बात करे तो दिल्ली विश्वविद्यालय ओर इसे संबधित मान्यता प्राप्त कालेज में प्रवेश के लिए यूपी बोर्ड का टापर अन्य बोर्ड सीबीसई व आइसीएससी बोर्ड के टापर से पिछड़ जाएगा। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि हर बोर्ड के टापर की सूची पर नजर डाले तो यहां यूपी बोर्ड के टापर का प्रतिशत ९६ प्रतिशत के लगभग है जबकि अन्य बोर्ड के टापर ९९ प्रतिशत अंक पाकर सबसे आगे हैं। जाहीर है कि दिल्ली के कालेजों में स्नातक में प्रवेश का आधार केवल इंटरमीडिएट के प्रतिशत को देखकर काट आफ बनाया जाएगा तो ऐसे में यूपी बोर्ड का छात्र जो औसत पच्चासी प्रतिशत अंक पाने वाला लाख मेंहनत के बाद सीबीएसई के नब्बे प्रतिशत वालों के आगे उनका एडमिशन नहीं हो पाएगा चाहे वह जितने भी योग्य हो।
यूपी बोर्ड लाख स्टेप मार्किंग का दावा कर ले लेकिन यहां से टाप करने वाला छा़त्र भी एकेडमिक मेरिट से प्रवेश व चयन में सीबीएसी आईसीएसइ बोर्ड के नब्बे प्रतिशत अंक पाए से पीछे रह जाएगा। वहीं सीबीएसई बोर्ड व आईसीएसई बोर्ड के टापर के मुकाबले यूपी बोर्ड के टापर के दस प्रतिशत अंक कम है तो आप सोचिए कैसे दिल्ली के टाप कालेज में स्नताक में यूपी बोर्ड से इंटर पास कैसे प्रवेश प्राप्त कर पाएगा।
ध्यान दे कि ९० से ९५ प्रतिशत अंक पाने वाले सीबीएसई व आर्इसीएसई बोर्ड में तादाद हजारों में है ऐसे मे यूपी बोर्ड के टापर को मनचाहा अच्छा कालेज दिल्ली में नहीं मिल पाएगा। अब आपही बताइए कि यूपी बोर्ड में ८७ प्रतिशत अंक पाने वाला यूपी बोर्ड छात्र एकेडमिक से चयन में हमेशा सीबीएसई व आर्इसीएसई बोर्ड के ९० प्रतिशत औसत नंबर पाने वाले छात्र से पिछड़ जाएगा चाहे यूपी बोर्ड के ये छात्र कंपटीशन परीक्षा में आईएस व पीसीएस परीक्षा में प्रदर्शन कर अधिकारी बन जाएगा लेकिन यूपी में प्राइमरी शिक्षक नहीं बन पाएगा।
एकेडमिक के प्रतिशत को देखकर दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक मे प्रवेश देना सही नहीं है क्यों कि हर बोर्ड के अंक देने का आधार अलग–अलग है। यहां तो स्नातक में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश होना चाहिए । यही बात प्राइमरी टीचर के भर्ती में लागू होती है कि एकेडमिक से चयन का राग आलापने वाले विचारवानों को सोचना चाहिए कि जब हम एक समान परीक्षा प्रणाली नहीं अपना रहें हैं तो ऐस में एकेडमिक का नंबर देख टीचर बनाना सही नहीं है। इससे जाहिर होता है कि यूपी बोर्ड से उतीर्ण लोगों को यूपी में ही टीचर से नौकरी देने से बाहर रखने की नीति बनाई जा रही है। जिसका पुरजोर विराध किया जा रहा है। टीईटी मेरिट से चयन करना न्यायसंगत व संवैधानिक है। सरकार जल्द टीईटी मेरिट से शिक्षकों की भर्ती कर युवा हितैषी होने का प्रमाण दें।
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