Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
अभिषेक कांत पाण्डेय
मनरेगा मे केवल तीन दिन रोजगारॽ
ग्रामीणों को सम्मान से जीने के लिए मनरेगा कानून के तहत १०० दिन के लिए काम मांगने पर काम देने की जिम्मेदारी संबधित अधिकारियों की है। लेकिन हकीकत इससे अलग है। खासतौर पर महिलाओं को मनेरेगा के तहत काम के समय कूल मजदूरों की संख्या के ३३ प्रतिशत की संख्या महिलाओं की होनी चाहिए लेकिन इसके उलट यह संख्या केवल कागजों पर दिखाकर पूरी की जाती है। इस स्तर पर प्रधान रोजगार सेवक मिली भगत से उत्तर प्रदेश में मनरेगा में रूपयों का हेर–फेर हो रहा है। इस बाबत जब नारी संघ की महिला सदस्यों ने ग्राम प्रधान से कहा जता है तो प्रधान धमकी देकर मामला दबाने की कोशिश करता है। यह सब खेल वाराणासी के काशी विद्यापीठ ब्लाक के ग्राम पंचायतों में धड़ल्ले से चल रहा है। इस पर जब वहां की संगठित १० ग्राम पंचायत की महानारी संघ की महिलाओं ने इस बाबत ब्लाक में शिकायत की तो काम तो मिला केवल तीन दिन के लिए। इस तरह कई बार नारी संघ की महिला सदस्यों ने इसके बारे में ब्लाक अधिकारी से शिकायत की तो भी को सार्थक हल नहीं मिला। वहीं महिलाओं ने काम के आवेद के बाद केवल तीन दिन का मननेगा के तहत काम मिलता है। जबकि नियमता एक बार काम मागने पर १५ दिन तक काम मिलना चाहिए लेकिन प्रधान व रोजगार सेवक इनके हिस्से के बाकी बारह तेरह दिन के काम को कागजों पर अपने चहतों के नाम पर दिखाकर मिले मजदूरों के पैसे का बंदर बाट किय जा रहा है।
वहीं मनरेगा के तहत अब तक सारे नियम कानून को ताक में रखकर ग्रामीणों का उनके सौ दिन का काम पाने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इस सबंधं में देखा जाए तो ग्राम प्रधान से लेकर ब्लाक अधिकारी अपने जिम्मेदरियों का निर्वाह केवल कागज में निभा रहें यह कई ग्राम पंचायतों में गठित नारी संघ की महिलाओं कहना है।
जाब कार्ड के लिए भटकना पड रहा है
काशी विद्यापीठ ब्लाक के ग्राम पंचायत मुडादेव की नारी संघ की महिला सदस्यों ने संयुक्त रूप से १९ मार्च २०१२ को जाब कार्ड के लिए आवेदन किया था लेकिन दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जाब कार्ड नहीं मिला। नारी संघ की महिला ने मुडादेव ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक से बात की तो उन्होंने महिलाओं को केवल आश्वासन दिया। इसी ग्राम पंचायत की नारी संघ की सदस्य महिला चंपा देवी का कहना है कि इस संबंध में ब्लाक अधिकारी को अर्जी दी तो भी कोई कार्यवाई नहीं हुई।
मनरेगा में मिला तीन दिन काम बाकी कागज पर हुआ काम
इसी तरह का मामला वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लाक के ग्राम पंचायत देल्हना की नारी संघ की महिला सदस्यों ने संयुक्त रूप से काम के ए आवेदन १३ अप्रैल को दिया लेकिन काम एक महीने के बाद मिला वह भी तीन दिनों के लिए। जब महिलाओं ने प्रधान से पूछा तो उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत केवल दस हजार रूपये का बजट आया है इसीलिए तीन दिन ही काम हुआ है जब बजट आयेगा तब फिर काम होगा। इस पर महिलाओं का कहना है कि मनरेगा के तहत एक बार में बीस से पच्चीस दिन के काम के लिए बजट आता है लेकिन प्रधान ने कागज पर काम दिखाकर अधिकारियों व कर्मचारियों ने पैसे बनाये हैं। इस पर नारी संघ की सदस्य महिलाएं आरटीआई के तहत आय व्यय की जानकारी मांगी है।
मनरेगा योजना नहीं कानून लेकिन छ महीना बाद नहीं मिला काम
वहीं इसी ब्लाक के कुरहुआ ग्राम पंचायत में तो हद हो गई। छह महीने बीत जाने के बाद जाब कार्ड के लिए नारी संघ की महिला सदस्य मंजू देवी सुशीला देवी व शीला देवी सहित दस महिलाओं ने २३ जाब कार्ड के लिए नवंबर २०११ को आवेदन किया लेकिन आज तक कार्ड नहीं बना। इस पर महिलाओं ने मनरेगा हेल्पलाइन में ११ जनवरी २०१२ को शिकायत दर्ज कराई कंपलेन नं० ३०३१ मिला लेकिन आज तक इनका जाब कार्ड नहीं मिला। मनरेगा में १०० दिन के काम देने की पोल खुल रही है। इन महिलाओं का कहना है कि जब मनरेगा हेल्प लाइन हमारी शिकायत सुनने के बाद काई कार्यवाई नहीं कर रहा है तो हमें काम कौन दिलाएगा। मनरेगा में इस कदर भ्रष्टाचार के चलते गरीब महिलाओं को काम नहीं मिल रही है। प्रधान और ग्राम सेवक के खिलाफ कई बार शिकायत करने पर ब्लाक अधिाकरी नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में इस कानून से हमें लाभ नहीं मिल रहा है केवल कागजों में ही ९० प्रतिशत काम हो रहा है। और हमारे साथ अन्याय हो रहा हमें हमारा हक नहीं मिल रहा है। इसीलिए नारी संघ की सभी ग्राम पंचायत की महिला सदस्य एकजुट होकर ब्लाक आफिस पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो जाएंगी।
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