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  Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार))  या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है।  Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं

Tips बच्चों से मोबाइल की आदत कैसे छुड़ाएं

Tips बच्चों से मोबाइल की आदत कैसे छुड़ाएं

Tips bacho me mobile ki adat

Parenting
90 के दशक से तकनीकी बदलाव ने दुनिया को बदल दिया। घर-घर में केबल टीवी से जुड़े रहने के कारण बच्चे अधिकतर टीवी देखते रहते थे। आज भी टीवी देखने में हर भारतीय 4 घंटे प्रतिदिन समय बिताते हैं। 90 के दशक में भारतीय माता-पिता अपने बच्चे को अधिक टीवी देखने से मना करते थे।  उनकी आंखों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की लेकर चिंता रहती थी। 

आज हम बात करेंगे बच्चों में स्मार्टफोन की लत के बारे में। आज भारतीय माता-पिता और दुनिया के अन्य देशों के माता-पिता भी बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल करने को लेकर चिंतित है। इस पूरे आर्टिकल में इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
पहला नजरिया हमारा यह होगा कि मोबाइल का उपयोग बच्चों के लिए क्या जरूरी है?
दूसरी दृष्टि यह डालेंगे कि आखिर बच्चों में मोबाइल फोन की बुरी लत को हम कैसे छुड़वा सकते हैं।


'इस तकनीकी युग में बिना मोबाइल के हम एक पल भी नहीं रह सकते हैं।' 

ऊपर का वाक्य जितना सच है, उतना ही झूठ भी है। असल में हमने 24 घंटे, जब तक जागते हैं और सोने के समय में भी मोबाइल को अपनी आदत नहीं 'नशा' बना लिया है। 
असल में जिन माता-पिता को यह शिकायत होती है कि उनके बच्चे मोबाइल पर वीडियो गेम आदि देखने की आदत पाले हुए हैं और इस बात को लेकर चिंतित हैं तो उनकी यह चिंता सही है।

मोबाइल की दुनिया है अननेचुरल

जब हमारे बच्चे नेचुरल दुनिया को छोड़ कर अननेचुरल दुनिया को मोबाइल स्क्रीन पर देखते हैं तो इसके दोषी बच्चे नहीं हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा परिवेश (वातावरण) दिया गया है कि वह लगातार अपनी नेचुरल दुनिया से कटते जा रहे हैं। 

बच्चों के प्रकृति से जुड़े खेल और आस-पड़ोस से मेल-जोल, बातचीत गायब हो चुके हैं

Tips bacho me good habit

अपने बचपन के समय में जाइए, जब आप प्रकृति से जुड़े कई तरह के खेलों का आनंद लेते थे। शिवपूजन सहाय की एक कहानी है, 'माता का आंचल'। इस कहानी में शिवपूजन सहाय अपने बचपन के दिनों को बताते हैं। उस समय बच्चे घर के अलावा बाहर पड़ोसी के बच्चों के साथ खेलते थे। उनके खेल, खाना पकाना, झूठ मूठ की खेती करना, तरह-तरह के फूल पत्तियां इकट्ठा करना, गांव-मोहल्ले में रामलीला, नौटंकी व कठपुतली का डांस देखने के लिए जाना, अपने आस-पड़ोस के लोगों से बातचीत करना था। पर आज इन सबका स्थान मोबाइल ने ले लिया है। फोन की स्क्रीन पर टकटकी लगाए यह बच्चे अननेचुरल दुनिया में गोता लगाते हैं। मां-बाप उनकी इस आदत को छुड़ाने का असफल प्रयास करते हैं, तो बच्चा जिद करने लगता है।

मोबाइल फोन क्यों बन रहा है वास्तविक दुनिया का विकल्प 


 लेकिन आज हम वास्तविक दुनिया से जितना दूर हुए हैं और तकनीकी दुनिया को अपनी वास्तविक दुनिया बना लिया है, इसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। हमारी यही सोच और आदत बच्चों को मोबाइल देखने की आदत में बदल देता है। 

भारतीय संस्कृति बच्चों को बुरी आदतों से दूर रहना सिखाता है, चाहे वह मोबाइल की बुरी आदत ही क्यों न हो, कैसे? पढ़ें और जानें
Bhartiya Sanskrit

भारतीय संस्कृति जीवन पद्धति की संस्कृति है। यहां फेस्टिवल, स्थानी मेला, कठपुतली का डांस, पतंग उड़ाना, गीत-संगीत, वाद्य यंत्रों (instrument) को बजाना, लोक-संगीत (folksong) विवाह समारोह में आसपास के लोगों की सहायता करने की भागीदारी, सामाजिक जीवन का कहीं यह एक रूप है। लेकिन जैसे ही हम ऊपर के दिए गए उदाहरणों से खुद को अलग कर लेते हैं। तो हम 7 इंच की मोबाइल  की स्क्रीन में खुद को तो जकड़ा पाते ही हैं। साथ में यही आदत हमारे बच्चों में भी पड़ जाती है। 

आपका बच्चा कहीं गुमसुम तो नहीं है


 इंसान ने अपना इमोशन  खो दिया है। वर्चुवल दुनिया को ही हम सच मान बैठे हैं, इस कारण से हम असंवेदनशील हो रहे हैं। इसका असर हमारी नयी जनरेशन यानी नयी पीढ़ी के विकास पर भी पड़ रहा है। डिसिप्लिन और मोरालिटी यानी कि अनुशासन और नैतिकता जो हमारे बचपन में हुआ करती थी, वह इस पीढ़ी में दिखाई नहीं देती है। इसका कारण है हमारा रिश्तो के प्रति नजरिया संवेदनहीन होना, कंपटीशन की भावना ने एक दूसरे की टांग खींचने का शॉर्टकट रास्ता अपनाने की सोच को पैदा किया है। एकल परिवार में रहने वाले बच्चे को दादा—दादी, चाचा—चाची का प्यार व सहयोग नहीं मिलता है। जहां पर दादा-दादी, चाचा-चाची नहीं होते हैं, के साथ कोई खेलने कूदने वाला नहीं होता है तो वे बच्चे एकांत में रहना पसंद करते है, क्योंकि खुद को वे अकेला महसूस करते हैं। इस बोरिंग समय को भरने के लिए मोबाइल उनका सहारा होता है।  फिर यह मोबाइल उनके दिमाग के साथ खेलना शुरू कर देता है। बच्चे में मोबाइल की आदत नशा का रूप ले लेता है। अब आप समझ सकते हैं कि हमें बच्चे के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए ताकि वे आप में खुशियां खोजे सके। बच्चे आपका प्यार दुलार चाहते हैं। बच्चों के साथ हर पल गुजारे और आप से वे अच्छी—अच्छी बातें सीखेंगे।

मोबाइल एक उपयोगी वस्तु है लेकिन इसका इस्तेमाल अधिक करने से हम अपने जीवन के और चीजों से, जैसे लोगों से मिलना-जुलना, किताबों से पढ़ना-लिखना-सीखना, बागवानी करना, प्रकृति के साए में टहलना-दौड़ना -कूदना, यह सब हमारे शरीर को और दिमाग को मजबूत बनाते हैं। अगर बच्चा मोबाइल की दुनिया में ही जिए जाए तो उसका सही विकास कैसे हो पाएगा?


विषय विशेषज्ञ मानते हैं कि हम जितने व्यक्तिवादी (personal) होते गए, यानी हम जितना अकेले रहने की कोशिश करते हैं, उतने ही हमारे संसाधन (मोबाइल, टीवी, कार, कमरा सुख-सुविधाओं की चीजें इत्यादि) के चीजें भी व्यक्तिगत होने लगते हैं। इसी में एक है मोबाइल है। आप जानते हैं कि मोबाइल बहुत उपयोगी है लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल हमारे जीवन शैली को प्रभावित करता है। इसके साथ ही हमारे स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही हानिकारक है, जितना की सिगरेट या कोई और चीज का नशा करना। मोबाइल का अधिक इस्तेमाल अगर हम करेंगे तो हमारे बच्चे भी  देखा देखी मोबाइल का इस्तेमाल करेंगे।

बच्चे को मोबाइल से कैसे दूर करें


  • साइकोलॉजिस्ट भी मानते हैं कि बच्चा अपने विकास के चरण में वह अच्छी आदतों के साथ बुरी आदतों को भी सीखता है। अब प्रश्न यह उठता है कि हम शुरुआती चरण में ही बच्चों में मोबाइल के इस्तेमाल की ललक पैदा न होने दें।
  •  यानी कि बच्चों में उनके मानसिक विकास के लिए खेल बहुत जरूरी है। बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें पारिवारिक सदस्यों के साथ उठना बैठना बातचीत करना और इसके बाद आस-पड़ोस की जानकारी, पास के पार्क आदि में घूमना टहलना जैसी चीजों की प्राथमिकता अगर होगी तो बच्चे में मोबाइल इस्तेमाल करने की आदत का विकास नहीं होगा। 
  • बचपन खिलौने खेलने का समय होता है। बालक शुरू से ही जिज्ञासु यानी प्रश्न पूछने वाला उसका स्वभाव होता है। वह प्रश्न पूछेगा जब व आस पड़ोस और प्रकृति से जुड़ेगा। हम बच्चों को अपने रीति-रिवाज संस्कृति प्रकृति और आस-पड़ोस से जोड़ेंगे तो बच्चे में मोरल वैल्यू यानी नैतिक विकास भी होगा। यह नैतिक विकास उसके डिसिप्लिन यानी अनुशासन वाला बनाएगा वह समय पर अपने सभी कामों को पूरा करेगा।

आइए, अब तक की जानकारी को फिर से एनलिसिस यानि विश्लेषण करके समझें। 

याद रखिए जब तक आप समस्या की जड़ को नहीं समझेंगे, तब तक समाधान भी नहीं निकल नहीं  पाएंगे। मोबाइल इस्तेमाल करने की आदत बच्चे में है तो इसे छुड़ाने का तरीका आप खुद खोजेंगे। 
 असल में बच्चे के जिज्ञासु मन में मोबाइल की आदत को दूर करने के लिए कोई चुटकी बजाते सुलझने वाला तरीका नहीं हो सकता है लेकिन आप धीरे—धीरे सही रणनीति बनाकर अपने बच्चे के मोबाइल देखने की आदत को पहले कम कर सकते है, फिर वह खुद ही मोबाइल को एक उपयोगी वस्तु की तरह ही इस्तेमाल करेगा। लेकिन जब अच्छी आदत का विकास बच्चे में होता है तो वे आपका हर कहना मानेंगे लेकिन आप जब डांटेंगे या उनके साथ जबरजस्ती इन आदतों को छुड़ाने की कोशिश करेंगे तो बच्चा आपके खिलाफ हो जाएगा, इसलिए समझदारी से स्टेप उठाने की जरूरत है।
असल में समस्या क्या है, यह अब हम समझ रहे हैं कि मोबाइल की लत  हमारे जीने की तरीके के बदलाव के कारण हुआ है। ऊपर बताए गए तरीकों को आप अपनाते हैं तो बच्चों में आप एक स्वस्थ आदत का विकास कर सकते हैं। शुरुआत में ही कहा था कि मोबाइल बुरा तब है जब हम उसका इस्तेमाल बेवजह एक नशे की तरह करते हैं। 70% लोग कंप्यूटर और मोबाइल पर घंटों समय दे चुके होते हैं कि वे कुछ मिनट बाद यह नहीं तय कर पाते हैं कि वह मोबाइल में क्या देखना चाहते हैं उनका उद्देश्य क्या है।

शारीरिक यानी कि फिजिकल हेल्थ के लिए बच्चे के अंगों का विकास होना जरूरी है। इसके लिए उन्हें खेलना भी बहुत जरूरी है। आप अपने बच्चे के साथ सुबह शाम को पार्क में पहले और उसके साथ दौड़ लगाएं।

बच्चे की खुबियों को पहचाने और उसकी खूबियों को दे मौका


Children making craft

हर इंसान में कोई ना कोई खूबियां होती है। अगर बच्चों में इन खुशियों को हम जान ले तो उसे सही दिशा के सकती हैं। जैसे कुछ लोग अच्छा चित्र बना सकते हैं तो कुछ लोग अच्छा गाते हैं तो कुछ लोग कविताएं भी लिखते हैं आपके अंदर यह योग्यताएं हैं उनका प्रयोग आप अपने बच्चे को मोटिवेट करने के लिए करें। आप अपनी किसी भी खूबियों को बच्चों के साथ शेयर करें बच्चा भी अपनी रुचि के अनुसार चित्रकारी कविता या गीत गाएगा आप उसकी तारीफ करें उसे इस दिशा में प्रोत्साहित करें खाली समय में इस तरह का मनोरंजन बच्चों को मोबाइल की याद नहीं दिलाएगा।

मेहमान अगर घर में आते हैं तो घर में एक अलग तरह की रौनक होती है। बच्चों को मेहमान के साथ बातचीत करना सिखाएं, उनका अभिवादन करना, उनके प्रश्नों के जवाब देना, यह सब एक्टिविटी बच्चों में सामाजिक होने के गुण का विकास करता है।


हर बच्चा होता है प्रतिभाशाली बस उसके हुनर को खोजने की जरूरत होती है 

अपने बच्चे का हुनर पहचाने


आप अपने बच्चे के लिए एक कुम्हार की भूमिका निभाइए है। जिस तरह से कुमार मिट्टी के बर्तनों को सही आकार देने के लिए प्यार से थपथपाता है और दुलार से उसे मनचाहा आकार देता है, ठीक उसी तरह से आप अपने बच्चे के सूचियों को भी ध्यान दीजिए और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए आप उनके साथ रहिए।

बच्चा अपनी कामयाबी की पहली तारीफ अपने माता-पिता से सुनना पसंद करता है। इसलिए अपने बच्चे की प्रतिभा को पहचानिए और बच्चे के मन से जुड़ जाइए।
याद रखिए कि केवल पढ़ाई व कोचिंग के लिए कहना भी ठीक नहीं बल्कि बच्चे को पेटिंग या संगीत, डांस आदि की कला को निखारने के लिए उसे शाम को हॉबी क्लास में भेजें। इसी तरह आपका बच्चा खेल में अच्छा हो सकता है तो उसे क्रिकेट, बैटमिंटन, टेनिस, फुटबाल या चेस खेलने के लिए भेजे, किस आकादमी में नाम लिखवाएं। बच्चा इन सब इंट्रेस्टिंग स्किल लेने में अपनी रुचि दिखाएगा इस तरह वह मोबाइल गेम या विडियों देखने की आदत को त्याग देगा क्योंकि उसका समय अब इंट्रेस्टिंग कामों में लग रहा है। देखा गया है कि बच्चा पढ़ाई से बोर हो जाता है तो मनोरंजन के लिए मोबाइल देखने की जिद करता है। अगर बच्चे की रुचि की जगह पर घूमना, उनके दोस्तो को घर पर बुलाकर छोटी पार्टी देना या छुट्टी के समय कोई नाट का घर पर मंचन करना ​भी बच्चे को मोबाइल से दूर रखने पर कारगर हो सकता है। इसलिए आप भी थोड़ा क्रेटिव बनिए, बच्चों के सा​थ किसी प्रसिद्ध (यानी फेमस) नाटक का खेलिए, उसके किरदार बनकर बच्चों के साथ  डयलॉग बोलिए, बच्चा इन कामों में रुचि लेने लगेगा, तो वह मोबाइल की बनावटी दुनिया से आपकी हकीकत वाली दुनिया को पसंद करेगा। 

 बच्चों के साथ किसी नए डिश यानी व्यजंन बनाने का प्लान कीजिए। छोटे बच्चों को बताइए कि इसके ​लिए किन चीजों की जरूरत होगी, इससे बच्चे खुद से प्रयोग करके नई नई जानकारी सीखेंगे।
बच्चों के साथ आप थर्माकोल या वेस्टेज पेपर और घर पर पड़े पुराने सामानों से कई तरह की कलाकृतियां और आकृतियां बना सकते हैं। बच्चों को इन सभी कामों में बड़ा ही मजा आता है। इस तरह के कामों से उनकी पढ़ने में भी रुचि बढ़ती है और मोबाइल से बच्चे दूर रहते हैं। इसमें बच्चों को मजा भी आता है और वे नई चीजें बनाना सीखते हैं।

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MCQ Vachya  वाच्य class 10 cbse board new 2021 CBSE Change question paper pattern in hindi. Hindi Grammar asking MCQ's. वाच्य Vachya topic given multiple cohice question with answer.     सीबीएसइ कक्षा 10 की हिन्दी  अ Syllabus 2021 में अब अधिकतर Questions Objective  टाइप के प्रश्न पूछे जाएंगें। यहां पर Vachya वाच्य टॉपिक से दे रहे हैं। Vachya Topic  में 5 में से 4  इस वाच्य टॉपिक questions आएंगे। वाच्य शब्द का अर्थ बोलने का तरीका वाच्य कहलाता है। ऐसा वाक्य जहां पर क्रिया का पर प्रभाव कर्ता, कर्म या भाव का पड़ता है तो क्रिया उसी के अनुसार परिवर्तित होती है। इस तरह से वाच्य तीन प्रकार के हुए। क्योंकि तीन तरह से क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। यानी  1 कर्ता  2 कर्म  3 भाव क्रिया विधानों के अनुसार वाच्य 3 तरह के होते हैं- 1 कर्तृवाच्य (Active Voice) 2. कर्मवाच्य (Passive Voice) 3. भाववाच्य (Impersonal Voice) कर्तृवाच्य व अ कर्तृवाच्य   के अनुसार वाच्य दो प्रकार के होते हैं- 1 कर्तृवाच्य 2  अ कर्तृवाच्य  अ कर्तृवाच्य के दो भेद होते हैं-        i. कर्मवाच्य (Passive Voice)         ii भावव

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  MCQ Balgobin Bhagat CBSE Class 10  बालगोबिन भगत पाठ, लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी क्षितिज भाग- क्षितिज भाग- 2 बुक से MCQ Balgobin Bhagat, CBSE Class 10  CBSE 2023  नए परीक्षा पैटर्न के अनुसार इस बार हिन्दी अ पाठ्यक्रम में पेपर में दो खंड होंगे। अ और ब खंड हैं। Examination में  MCQ क्यूश्चन ( questions) पूछा जाएगा।  इस   सीरीज में MCQ Balgobin Bhaghat CBSE Class 10  MCQ दे रहे हैं। कक्षा 10 क्षितिज भाग 2 book kshitij   से Balgobin Bhaghat  MCQ  CBSE Class 10  पर बहुविकल्पी MCQs प्रश्न दे रहे हैं। Class 10 Hindi Class YouTube Channel Link    निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्पों पर टिक ​लगाइए —  1 भगत जी कौन-सा काम करते थे? i खेतीबारी ii नौकरी iii भजन गाते ​थे iv व्यापार करते थे उत्तर—i  खेतीबारी 2 बालगोबिन भगत किसको साहब कहते थे? i भगवान ii कबीर iii जमींदार iv मुखिया उत्तर—ii कबीर 3. बालगोबिन भगत साहब के दरबार में फसल ले जाते थे। यहां साहब के दरबार से क्या अभिप्रायय है? i जमींदार की हवेली ii राजा का दरबार iii कबीरपंथी मठ iv मंडी उत्तर—iii कबीरपंथी मठ 4.  ठंडी पुरवाई का क्या मतल

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MCQ Ras Hindi class 10 cbse Update 2023 MCQ Ras Hindi class 10 cbse Ras Hindi MCQ class# 10 CBSE board new# syllabus objective questions. New gyan dotcom Gmail important question topic ras रस पर क्वेश्चन आंसर यहां दिये जा रहे हैं।‌  If you have any problem of the topic of Hindi Ras write a comment, I will solve your problems within 24 hours. You have know that  multiple choice question coming Hindi grammar section class of 10.  Ras,  Rachna ke Aadhar per Vakya, Pad Parichy,  aur Vachy. रस, रचना के आधार पर वाक्य, पद परिचय और वाच्य है। यहां पर रस पर आधारित MCQ क्वेश्चन दिए जा रहे हैं यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा कई प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी रस पर MCQ  प्रश्न काफी आते हैं। Given 10 topic question answer objective type. latest 2022-23 रस के बहुविकल्पी प्रश्न के उत्तर भी लिखे हुए हैं। १. निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए चार विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ सही विकल्प चुनिए। रस  को काव्य की आत्मा माना जाता है। " जब किसी नाटक, काव्य में आनंद की अनुभूति होती है त