बच्चों के पढ़ने की स्किल कैसे बढ़ाएं 5 Tips
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बच्चों के पढ़ाई के टिप्स
बच्चों (Bacho) के पढ़ने (Reading) के तरीके में आप बदलाव करके उसे पढ़ाई (Padhai) के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस लेख में 5 ऐसे टिप्स बताया (Reading ability 5 Tops in hindi) गया है, इस टिप्स को अपनाकर स्टूडेंट के पढ़ने के तरीके में बदलाव होता है। बच्चा प्रभावशाली तरीके से सीख सकता है।
भाषा लिखने और बोलने का एक साधन है। (Language is a means of writing and speaking. ) लैंग्वेज से ही हम किसी विषय वस्तु (कंटेंट) को आसानी से समझ सकते हैं इसलिए बच्चों में भाषा की दक्षता यानी की (Language ability) बढ़ाने के लिए इन 5 तरह के टिप्स का इस्तेमाल करना चाहिए।
जब बच्चा भाषा सीख रहा होता है तो उसके रीडिंग एबिलिटी (Reading ability) बच्चों के पढ़ने की स्पीड कैसे बढ़ाएं यानी पढ़ने की क्षमता का भी विकास होता है लेकिन सही तरीके से देखरेख मिले तो उसकी भाषा की क्षमता (Language ability) बहुत तेजी से बढ़ जाती है, फिर 6वीं कक्षा तक पहुंचते-पहुचते वह इन्हीं भाषा में लिखी गई गणित, (Math) विज्ञान, (Science) समाजिक विज्ञान (Social Science) के पढ़ाई कंटेंट (Study Content) को बड़ी आसानी से समझ सकता।
यहां 5 टिप्स Tips आप पढ़िए और अपने बच्चे की भाषा और रीडिंग एबिलिटी (Language and reading ability) को बेहतर बनाइए ताकि उनकी सोचने और समझने की शक्ति के साथ भाषा विश्लेषण की क्षमता, रीडिंग, एनालिसिस करने की क्षमता बढ़ती है।
अक्सर देखने में आया है कि कुछ बच्चे दिन-रात पढ़ते हैं लेकिन उन्हें पाठ याद नहीं होता है। सोशल साइंस, साइंस, मैथ, अंग्रेजी हिंदी जैसे विषयों को पढ़ने (Reading) में उनका मन तो लगता है लेकिन पढ़ने की गलत आदत के कारण उन्हें पढ़ाई का विशेष फायदा नहीं मिल पाता है।
आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे कई घंटे तक पढ़ते हैं लेकिन वे अपने पाठ को दोहराते नहीं है। इस कारण से उनका पढ़ा हुआ पाठ याद नहीं होता है। इस से उनके एग्जामिनेशन में नंबर भी कम आते हैं। इससे साफ पता चलता है कि बच्चे को कॉन्सेप्ट क्लियर (concept) ही नहीं है।
आपने देखा होगा कि कुछ लोग खूब खाना खाते हैं लेकिन उनके शरीर को खाना लगता नहीं है वे दुबले और कमजोर होते हैं। ऐसा क्यों होता है कारण साफ है कि उनको खाना सही से हजम नहीं होता है। इसी तरह अगर पढ़ाई समझ में ना आए तो पढ़ने में मन नहीं लगता है।
दोस्तों अगर कोई बात समझ में नहीं आती है तो जाहिर है, पढ़ने में मन भी नहीं लगता होगा। तो इसका मतलब है कि हमें सिर्फ रीडिंग के समय यानी सेल्फ स्टडी (Self Study) के समय पढ़ाई के तरीके को बदलना होगा। ये पांच टिप्स अपना यह और पढ़ाई में अव्वल बनिए।
पढ़ते समय नोट्स लिखें
Write notes while reading
Topic notes
जब भी आप कोई टापिक Topic पढ़े तो उसका नोट्स जरूर लिखे। स्टडी करते समय टॉपिक के मुख्य बिंदु को हाईलाइट करते जाएं ताकि दोबारा रिवीजन करते समय इन पॉइंट्स को देखने से याद आता है और रिवीजन Reading Revision) तेजी से होता है। नोट्स बनाने से उनकी पढ़ने की आदत बनती है और नोट से समझ भी आता है पढ़ने की स्किल्स तेजी से डेवलप होते है।
पाठ पढ़ते (path padhate samay topic) समय टॉपिक के मेन पॉइंट का रेखाचित्र (Diagram) बनाकर खुद को समझाना जरूरी होता है। इससे दिमाग brain उस टॉपिक को आसानी से समझ सकता है।
Geography पढ़ते समय नदियों, पहाड़ों और किसी देश के बारे में जानकारी को समझने के लिए मैप (Map) का उपयोग करना चाहिए।
किसी भी पाठ सामग्री (Study Material) को पढ़ते समय बच्चों में उसके प्रति इंटरेस्ट पैदा हो इसके लिए टीचर (Teacher) को उस पर एक व्याख्या (Annotate) देनी चाहिए। बताना चाहिए कि किस तरह से इस विषय के और पहलू हो सकते हैं। यह बच्चे के सीखने के लिए बड़ा मजेदार होगा और वह टॉपिक से संबंधित थे और शब्दों और वाक्यों को बढ़ने और खोजने के लिए इंटरेस्ट लेंगे। (New Gyan study)
बच्चे के स्किल को बढ़ाने के लिए टीचर उन्हें चित्र मॉडल बनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए ताकि उस टॉपिक को वह बेहतर समझ सकेगा।
2. इंटरएक्टिव रीडिंग छात्रों के लिए जरूरी
(For Students Interactive Reading)
इंटरएक्टिव रीडिंग यानी कि पढ़ते समय पाठ को आसानी से बच्चे समझ सके इसके लिए इंटरेक्ट (Interact) करना जरूरी है। बच्चों में इंटरएक्टिव रीडिंग स्किल का विकास होने से (The development of interactive reading skills) वे आगे चलकर किसी भी सब्जेक्ट के टॉपिक को आसानी से समझ लेते हैं।
शुरुआत में बच्चे को कहानी पढ़ाते समय (Story reading) पात्रों की एक्टिंग (Acting characters) करके बताना और बच्चे को उस एक्टिंग में शामिल करना जरूरी होता है क्योंकि बच्चा इससे बेहतर तरीके से पढ़ना और चीजों को समझना सीखता है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी में एजुकेशन देने का तरीका इसी तरह बदला है। (The new education policy in education has changed)
बच्चों की यह उम्र उनके इंटरएक्टिविटी की कुशलता को बढ़ाता है। एक टीचर व पेरेंट्स को अपने बच्चे में इंटरएक्टिव रीडिंग skill विकास इसी तरह करना चाहिए।
पढ़ाई में सक्रियता यानी इंटरएक्टिव रीडिंग स्किल डेवलप करने के लिए बच्चे को किसी कहानी के पात्र की एक्टिंग करके (Activities) दिखाए, बच्चा उस कहानी के विभिन्न पहलुओं से जुड़ता है और उसका एक सक्रिय रीडिंग स्किल बनता है। जिसे वे पढ़ाई में इस्तेमाल करता है।
3. क्वेश्चन पूछने का तरीका एक अच्छा स्किल
How to ask question
स्टडी (Padhai) सबसे अच्छी तभी मानी जाती है, जब बच्चा सही प्रश्न (Asking Right Questions) पूछने लगता है। तो प्रश्न पूछने का यह स्किल उसके अंदर आता है तो वह पढ़ाई में रुचि रखने लगता है।
रिसर्च भी बताते हैं कि अगर बातें समझ में आ रही है तो उसके बाद जो जिज्ञासा होती है, वह प्रश्न उत्तर के तौर पर सामने आता है। बच्चों में यही स्किल डेवलप करने की जरूरत होती है। वैसे बच्चे (Children) जन्म से ही जिज्ञासु होते हैं। वे कई तरह के प्रश्न भी पूछते हैं। लेकिन जब बच्चे पढ़ाई करते समय किए गए टॉपिक से संबंधित कोई प्रश्न करते हैं तो निश्चित मानिए कि उनका स्टडी में मन लग रहा है।
पढ़ाई में प्रश्न करने से बच्चे वास्तविक दुनिया से भी जुड़ते हैं। आप बच्चों से उनके पढ़े गए विषय (subject) को वास्तविक दुनिया के अनुभवों से जोड़ने के लिए भी कह सकते हैं। (Can also be asked to relate to real world experiences.) इससे बच्चे में प्रश्न पूछने की क्षमता बढ़ती है। (This increases the child's ability to ask questions.) इसके साथ ही उनकी रिसर्च करने की जिज्ञासा (Curiosity to research) भी बढ़ती है।
अपने जीवन के अलग अलग अनुभव को विषय के साथ इन बातों सीखते हैं। किताबों के अलावा बच्चों के पास कई तरह की जानकारियां होती हैं, जैसे- उन्होंने किसी फिल्म या समाचार में विषय से संबंधित बातों और उनकी क्या राय बनी यह सब बातों से बच्चा इंटरेक्ट होता है।
उसकी विश्लेषण की क्षमता का विकास इस स्तर पर हो जाता है कि हाईस्कूल और इंटर के विद्यार्थी के रूप में वह अपनी समस्याओं का समाधान बड़ी आसानी से कर सकता है।
(His analysis ability develops to such a level that as a high school and inter student he can solve his problems very easily.)
4. पढ़ते समय किसी टॉपिक के कहानी संरचना को पहचानें Identify the story structure
जीवन का हर पहलू एक कहानी ही है। बच्चा स्कूल में सीखता है तो कहानी से ही शुरु करता है और वह और बातों को समझता है और अपने आसपास की दुनिया से उन्हें इंटरेक्ट करता है। बच्चा जब भी कोई अपने आसपास के ऐसे कैरेक्टर को देखते हैं तो वह एक तरह से अपनी पढ़ी हुई उन कहानी के पात्रों से उनका मिलान भी करते हैं। आपने देखा होगा कि बच्चे फिल्मों की कहानी और कार्टून कैरेक्टर से बहुत तेजी से प्रभावित होते हैं और उनके जैसा खुद को बनाने की कोशिश करते हैं।
आप एक अध्यापक और पेरेंट्स के रूप में इस बात पर ध्यान जरूर दें कि आपके आसपास का बच्चा या छात्र अपने सीखने में इन चीजों का कितना प्रयोग करता है।
किसी भी समाज की भाषा और उस भाषा का साहित्य, उसमें कहानी और कविताओं के माध्यम से बच्चों में यही सीख दी जाती है। हर समाज का साहित्य उसका आईना होता है या कहें हर साहित्य समाज का आईना होता है तो ऐसे में बच्चा साहित्य को पढ़कर अपने समाज में उन तरह के करैक्टर और उनके विश्लेषण को समझने की कोशिश करता है जिसे वहर कहानियों में पढ़ा और समझा था।
हिंदी भाषा के माध्यम से प्रेमचंद की कहानियों में नैतिक यानी मोरल वैल्यू की जो सीख दी गई है- जैसे 'दो बैलों की कथा' कहानी में जिस तरह से पशु और किसान के प्रेम को दिखाया गया है। इससे बच्चे सीखते हैं।
छात्र किसी कहानी की संरचना को समझते हैं, वे अधिक आसानी से विषय को समझ लेंगे। पात्रों, घटनाओं, सेटिंग, समस्या और समाधान पर चर्चा करके निर्माण को शुरू से अंत तक पहचानने में छात्रों की मदद करें।
(Help students identify the construction from beginning to end by discussing characters, events, settings, problems, and solutions.)
लम्बे और जटिल वाक्यों (Long and complex sentences) को समझने के लिए उसे छोटे-छोटे खंडों में बांटे (sentence Divided into small segments) फिर बच्चे को समझाएं। उन्हें यह तरीका बताएं, इससे पढ़ने में बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है।
5. वाचन का लक्ष्य बनाएं (Reading Goals)
कक्षा में रीडिंग यानी वाचन (Padhana) के लिए हर बच्चे का एक निर्धारित लक्ष्य (Goal) होना चाहिए। इससे हर बच्चे के पढ़ने और समझने की क्षमता की जांच होती है।
टीचर (Teacher) को चाहिए कि कक्षा में हर बच्चे को उसके रूचि के अनुसार (According to interest) पाठ देना चाहिए। इससे रीडिंग एबिलिटी (Reading Ability) बढ़ाने में मदद मिलती है।
हर दिन उस पाठ की प्रगति ( improvement) को चेक (Check) करना चाहिए कि उसकी पढ़ने की क्षमता में कितना सुधार हुआ है। बच्चा खुद अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कर सकता है।
किन किन शब्दों की समझ उसमें नहीं है और उसके उच्चारण में कौन-कौन से दूसरे शब्द बन सकते हैं, इस पर भी टीचर को छात्र से बातचीत करनी चाहिए।
पढ़ने की एबिलिटी की जांच हर सप्ताह होना चाहिए कि बच्चे में सुधार कितना हुआ है। रीडिंग एबिलिटी की क्षमता बढ़ाने के लिए उस पाठ के कुछ हिस्से को उसकी भाषा शैली में बच्चे से लिखवाना चाहिए।
क्या पाठ को समझना आसान था? आपने विषय को समझने में क्या मदद की? क्या पाठ में कुछ गड़बड़ था? क्या आप अपने पढ़ने के लक्ष्य तक पहुँच गए?
बच्चों को कैसे पढ़ाएं बच्चों के पढ़ने की स्किन टिप्स अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FQ
कमजोर बच्चों को पढ़ाने के तरीके
कमजोर बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे पहला काम उनमें इंट्रस्ट जगाना चाहिए। जब भी कोई टॉपिक समझाएं तो उसके शब्दों के अर्थों को समझाते हुए उसमें कोई कहानी बुने, पढ़ाई में कमजोर छात्र को इस तरह से पढ़ना अच्छा लगता है।
गहराई से और रोजमर्रा की जिंदगी का उदाहरण देकर समझाएं
उदाहरण के लिए अगर आप कमजोर छात्र को विज्ञान की किसी theory को समझा रहे हैं तो उसे रोजमर्रा के जीवन में जोड़कर बताएं। जैसे मान लीजिए कि दूध देने वाले पांच ऐसे जानवरों के नाम बताइए जो तुम अपने आसपास देखते हो। तो कमजोर छात्र अपने आसपास के ऐसे पांच जानवरों के नाम बताएंगे जिसमें गाय, भैंस, बकरी इसके बाद 2 नाम नहीं बता पाएगा तो आप बताएंगे जैसे ऊंट व जेब्रा यहां से बच्चा समझेगा कि दूध देने वाले जानवर स्तनधारी कहलाते हैं।
लिख- लिख कर पढ़ाना सिखाएं
कमजोर छात्र किसी भी चीज को बोल तो लेते हैं लेकिन लिखने में कठिनाई होती है इसलिए अंग्रेजी या सोशल साइंस पढ़ा रहे तो उन्हें प्रश्नों के उत्तर लिखना भी सिखाए। अगर बच्चा इंग्लिश मीडियम में पड़ता है और उसका माहौल हिंदी का है तो उसे हिंदी में समझा कर प्रश्नों के उत्तर अंग्रेजी में कैसे सिंपल तरीके से लिखा जाता है यह भी उसे बताएं तो वह पढ़ाई में इंटरेस्ट लेगा।
बच्चों को पढ़ाने के अनोखे तरीका का इस्तेमाल करें
दोस्तों कमजोर बच्चों को अगर आप अनोखे तरीके से पढ़ आएंगे तो उन्हें बहुत आनंद आएगा। अगर आप हवा के बारे में बताना चाहते हैं तो गुब्बारा और बताएं इसमें हवा भरी है। पूछे इसमें क्या है तो इस तरह के रोचक तरीकों से बच्चा पढ़ने में ध्यान देगा और science theory को प्रैक्टिकल तरीके से सीखेगा।
अनोखे तरीके से हिंदी भाषा सिखाएं
learning in Hindi: बच्चों को पढ़ाने के लिए अनोखे तरीके में आप किसी भी पार्टी को अच्छे तरीके से समझाएं जैसे माली के अंग्रेजी या हिंदी भाषा पढ़ा रहे हैं तो पार्ट की रीडिंग लगाने के बाद उसे अपने शब्दों में अच्छे से समझाते हुए उन्हें रीडिंग कराएं। इसके बाद पाठ में आए हुए शब्दों में से संज्ञा शब्द (noun word), क्रिया शब्द (verb word) की सूची (list) बनाने के कहे। list बनाने में अच्छा नए शब्दों के सीखेगा और lesson reading मैं ध्यान देगा।
बड़े बच्चों को पढ़ाने का तरीका
बड़े बच्चों को पढ़ाने के लिए उदाहरण देकर समझाएं, उसके बाद दूसरे टॉपिक को खुद से रीडिंग करने के लिए चाहिए।
Questions बनाकर उन्हें answer लिखने के लिए कहिए प्रश्नों के कई तरीके से पूछिए जैसे multiple choice questions, fill the blanks, matching, बड़े बच्चों को इस तरीके से पढ़ाने से उन्हें पढ़ने में मन लगता है और बड़े-बड़े टॉपिक के प्रश्नों के उत्तर को समझकर उन्हें याद करने में आसानी हो जाती क्योंकि क्वेश्चन आंसर एक्सरसाइज के अलावा इस तरह के कई एक्सरसाइज देते हैं जिससे उनका पढ़ने में मन लगता है क्योंकि सारे एक्सरसाइज बच्चे आसानी से कर लेते हैं।
बड़े बच्चे को किसी टॉपिक पर लिखने के लिए बोलने के लिए और एक्टिविटी बनाने के लिए कह सकते हैं।
बड़े बच्चों को मैथ अगर समझ में नहीं आते तो उनके फंडामेंटल पहले समझा है फिर धीरे-धीरे इस सरल से लेकर कठिन सवाल को हल कर आए इस तरह से बच्चे का मन भी पढ़ाई में लगेगा और टॉपिक भी उसका क्लियर हो जाएगा।
बड़े बच्चे स्कूल जाते हैं तो अक्सर किताब वगैरह लेकर नहीं जाते केवल कॉपी लिए रहते हैं अगर किसी विशेष पीरियड की किताब नहीं लाते हैं और अगर टीचर किताब से पढ़ा रहा तो ऐसे बच्चे कुछ भी नहीं पड़ती है इसलिए इन बड़े बच्चों पर या ध्यान देना कि टाइम टेबल के अनुसार स्कूल में कॉपी और किताब लेकर जाएं क्योंकि अक्सर ऐसे बच्चे बहाना बनाते हैं कि कॉपी किताब भूल गया और फिर उस दिन उस विषय की पढ़ाई में वह पिछड़ जाते हैं।
नर्सरी के बच्चे को कैसे पढ़ाएं नर्सरी के बच्चों की पढ़ाई
nursery ke bacchon ko kaise
nursery student नर्सरी में 5 साल तक के बच्चे होते हैं, इन्हें पढ़ाने की अलग तरीके होते हैं।
बोल बोल कर धीरे-धीरे अल्फाबेट और कविता सिखाएं।
बच्चों को भाषा (language) के शब्दों (word) को गाकर (singing) डांस (Dancing) करके और Activity Learning के द्वारा सिखाना चाहिए।
nursery ke bacche इनको कहानी सुनना और बोला बतिया ना अच्छा लगता है इसलिए इन्हें पढ़ाते समय कहानी के द्वारा सिखाएं कविता के द्वारा सिखाएं और बाग बगीचे घुमाएं और वहां पर फूल पत्तियों आदि के बारे में बताएं।
चित्रों को दिखाकर समझाना, Glob को दिखाकर पृथ्वी के बारे में, ठोस गैस दरबारी के बारे में बर्फ पानी गेंद धुंआ आदि को दिखाकर बताया जा सकता है।
बच्चे जब कोई चीज देखते हैं तो जल्दी सीखते हैं पुलिस स्टाफ इसलिए उनकी एक्टिविटी और प्रस्तुति में इन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
मुझे बच्चों को सिखाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कुछ चरण स्पर्श तो धीरे-धीरे बोले और उन्हें निर्देश स्पष्ट दे और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें प्यार से बात करें तो बच्चे बहुत अच्छे से सीखते हैं।
पढ़ाई में हिंदी लैंग्वेज कैसे पढ़ाएं
लेखक अभिषेक कांत पांडेय
शिक्षा एवं लेखन जुड़े हुए हैं
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