Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्यो...
जीवन में कुछ सपने होते हैं, उन्हें जब पूरा कर लेते हैं तो बड़ा सुकून मिलता है। इसी तरह मीर मुनीब ने भी सपना देखा कि खुद का बिजनेस हो, इसीलिए बरिस्ता लवाजा की फ्रेंचाइजी लेने चाही, लेकिन उन्हें नहीं मिली। अब भी उनका सपना वही था, लेकिन संकल्प में बदल गया कि खुद का कैफे खोलकर अपना बिजनेस करेंगे और फिर पक्के इरादों ने उनके सपने को साकार कर दिया।
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जहां चाह, वहीं राह। इस मुहावरे को कश्मीर के मीर मुनीब ने सच कर दिखाया है। मीर 23 साल के थे, उस समय मीर ने बरिस्ता लवाजा की फ्रेंचाइजी लेने की सोची, लेकिन उन्होंने फ्रेंचाइजी देने से इंकार कर दिया। मीर को लगा कि उनका खुद का बिजनेस करने का सपना टूट गया है, लेकिन कुछ दिनों के बाद एक सपना देखा और वो सपना अपने खुद के कैफे का था।
कैफे का सपना हुआ सच
मीर ने अपने सपने को साकार करने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने अपना फास्ट फूड कैफे खोला। खास बात ये है कि मीर कश्मीर के कई लोगों को इस कैफे के जरिए रोजगार भी दे रहे हैं। मीर के कैफे में आपको कई सारे पकवान खाने को मिलेंगे। इनके कैफे में लाउंज भी है। मीर ने अपने कैफे की थीम को कश्मीर की खूबसूरती से जोड़ा, जिससे उनके कैफे में आने वालों की तादाद बढ़ने लगी। कैफे की दीवारों पर लगी तस्वीरें, जो कश्मीर की खूबसूरती को बयान करती हैं, वो खुद उन्होंने ही क्लिक की हैं। कैफे में एक छोटी-सी लाइब्रेरी भी है, जो पुस्तक प्रेमियों के लिए है। कैफे के लिए मीर ने श्रीनगर के सारा मॉल में 1०5० स्क्वायर फीट जगह लेने के बाद इस कैफे के लिए दिन रात काम किया। मीर को खुशी इस बात की है कि उनकी पहचान उनके खुद की काम से बनी है। कैफे के विजिटर बुक में 99 प्रतिशत रिव्यू, कैफे खाने, जगह और हाइजीन के लिए पॉजिटिव हैं। मीर बताते हैं कि उन्होंने 9 लोगों को अपने यहां नौकरी दी है, ये उनकी सबसे बड़ी सफलता है।
जी रहे हैं अपना सपना
मीर बताते हैं कि वो कैफे से फिलहाल ज्यादा नहीं कमा पा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वो अपना सपना जी रहे हैं, जो पैसों से ज्यादा जरूरी है। मीर के घर में अधिकतर लोग पेश्ो से डॉक्टर हैं लेकिन वो अब एक 'चाय वाला’ बन गए हैं। मीर अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी मां को देते हैं। वो बताते हैं कि उनकी मां ने उन्हें 2 साल तक बहुत सपोर्ट किया, उनका सपना सच करने के लिए उन्होंने उनकी बहुत मदद की।
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