Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
Allian कहाँ छिपे हैं आइए जाने
एलियन. याद कीजिए जब आप कक्षा दो या तीन में पढ़ते थे तो उस समय हमें जीवन के बारे में बताया जाता था। पेड़-पौधे जीव-जंतु यह सब जीवित हैं और ये पहाड़, नदियां, पत्थर, मिट्टी ये सब जीवित नहीं हैं। जीवन का मतलब सांस लेना, बढ़ना है, चलना-फिरना, खाना खाना हैं, इन सब लक्षणों के आधार पर हम लोग सामान्य तौर पर उन्हें जीवित कहते हैं।
credit: third party image reference
जीवन क्या है यह बताना कठिन
वैज्ञानिक भी अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि जीवन किसे कहा जाए या इसका कैसा रूप होता है।
आप सोच रहे होंगे यह कैसी बात! दोस्तों जब हम जीवन की बात करते हैं तो केवल धरती पर जीवन की बात करते हैं और उन्हीं लक्षणों को ध्यान में रखकर जीवन को खोजते हैं। पर वैज्ञानिक इस ग्रह के बाहर पूरे ब्रह्मांड में जीवन की खोज में लगे हुए हैं। जाहिर है कि जीवन की परिभाषा धरती के जीवन की परिभाषा से पूरी ब्रह्मांड के जीवन की परिभाषा से इत्तेफाक ना रखता हो? दोस्तों इस सवाल की पहेली सुलझाने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक माथापच्ची कर रहे हैं।
एलियंस होते हैं या अफवाह
credit: third party image reference
तो मैं आपको ले चलता हूं, इस मजेदार सफर में और पता करते हैं कि आखिर एलियंस होते भी हैं या केवल अफवाह है।
मशहूर साइंटिस्ट हेलन शर्मन (Helen Sharman) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस दुनिया में एलियन है लेकिन क्या वे हमारी तरह से होते हैं? उन्होंने कहा कि क्या वह कार्बन और नाइट्रोजन के ही बने हैं? उनका यह कहना कि एलियन हमारे आसपास है और वह हमें दिखाई नहीं देते हैं, यह सबसे आश्चर्यजनक बातें हैं।
दोस्तों! आइए इन सब बातों की पड़ताल करते हैं।
साइंटिस्ट शर्मन की बातों ने एलियंस की मौजूदगी के बारे में जो तर्क दिए उन पर कई वैज्ञानिक भी विचार कर रहे हैं और इसे साबित करने के लिए कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं।
शैडो बायोस्फीयर में छिपा है राज
साइंटिस्ट शर्मन इस बात से भी इनकार नहीं करते हैं कि हमारे इसी धरती पर शैडो बायोस्फीयर (छाया जीवमंडल) है और इसे हम अनुभव ही नहीं कर पा रहे हैं। यहां भूत प्रेत की बात नहीं हो रही है बल्कि यह छिपे हुए एलियन की है, यह कहना सही है कि ये हमें दिखाई नहीं देते हैं, ऐसे बुद्धिमान जीव हैं जो अलग तरह के केमिकल के बने हो सकते हैं, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं। जिस छायामंडल का जिक्र हो रहा है, साइंटिस्ट ने इसे इतना छोटा माना है कि हम इसका अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं।
credit: third party image reference
सिलिकॉन आधारित जीवन
जब भी दूसरी दुनिया में जीवन की बात होती है तो हमें फिल्मों वाले एलियन ही नजर आते हैं। लेकिन साइंसटिस्ट जीवन के आधार के बारे में अलग-अलग तरीके से सोचते हैं। इस ब्रम्हांड में जीवन केवल सभी जगह धरती की तरह हो, ऐसा संभव नहीं हो सकता, वैज्ञानिक यही मानते हैं।
एक चर्चित थ्योरी (Theory) की बात मैं यहां करने जा रहा हूं। वैज्ञानिक मानते हैं कि कार्बन के आधार पर जीवन की जगह एक वैकल्पिक तरीका प्रकृति का सिलिकॉन के आधार पर जीवन इस ब्रह्मांड में हमें मिल सकता है।
इस बात के प्रमाण के वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि धरती का 90 फ़ीसदी हिस्सा सिलिकॉन, लोहा, मैग्नीशियम और ऑक्सीजन से ही बना है। इसलिए यह संभावना वैज्ञानिक जता रहे हैं कि इन चारों एलिमेंट्स से जीवन बन सकता है।
उधर कुछ वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन आधारित जीवन की उत्पत्ति का भी दावा किया था। इधर शनि ग्रह के उपग्रह टाइटन सिलिकॉन भरपूर मात्रा है। धरती का अधिकतर सिलिकॉन चट्टानों में है। इसलिए धरती के जीवन की उत्पत्ति का रसायनिक अलग है। लेकिन ब्रह्मांड में भरपूर सिलिकॉन है इसलिए वैज्ञानिक सिलिकॉन आधारित जीवन जीवन की खोज की तरफ सोच रहे हैं।
खैर इस तरह की संभावनाओं पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें