Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्यो...
महिला स्वतंत्रता सेनानी | Mahila Swatantrata senani
भारत देश आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है । हम भारतीयों के लिए यह गौरव की बात है। अंग्रेजी सल्तनत की गुलामी की बेड़ियों को उखाड़ फेकने में देश अनेक वीर सपूतों और वीरांगनाओं ने बलिदान दिया है । भारत देश की मिट्टी में कई महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने अदम साहस से इस देश को आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया । आइए याद करें हम भारत की ऐसे महिला स्वतंत्रता सेनानियों Mahila Swatantrata senani को, जिन्होंने अपना जीवन देश को आजाद करने में लगा दिया । Indian Women Freedom Fighter, झांसी की रानी (Jhansi Ki Rani), सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu), बेगम हजरत महल (Begum Hazrat Mahal), विजयलक्ष्मी पंडित (Vijay Laxmi Pandit), भीकाजी कामा
Educational knowledge vichar vimarsh
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झांसी की रानी (Jhansi Ki Rani)
आज महिलाओं के साहस और उनकी शक्ति का पर्याय झांसी की रानी शब्द से तुलना की जाती है। 1857 के स्वतंत्रा संग्राम में शामिल होने वाली झांसी की रानी की बहादुरी के किस्से से आज हर हिन्दुस्तानी वाकिफ है। आज उनका नाम मर्दानी के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था। बचपन में इनका नाम मनु था । पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माताजी का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम 'मणिकर्णिका' था लेकिन प्यार से मणिकर्णिका को 'मनु' बुलाया जाता था। सन् 1834 ई. में 14 साल की उम्र में उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधार राव से हुआ। शादी के बाद मनु का नाम लक्ष्मी बाई हो गया।
सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)
महात्मा गांधी के सत्याग्रह में सरोजिनी नायडू ने भी भाग लिया। भारत छोड़ो आंदोलन वे जेल भी गईं। 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर के अधिवेशन की प्रथम महिला अध्यक्षा भी चुनी गईं। उत्तर प्रदेश की पहली महिला गवर्नर होने का श्रेय भी उन्हें जाता है। भारत की कोकिला के उपनाम से जानी जाती हैं। केवल 13 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 1300 लाइनों की अंग्रेजी में कविता द लेडी ऑफ लेक लिखी थी। फारसी में एक नाटक मेहर मुनीर भी लिखा है। इसके अलावा द वर्ड ऑफ टाइम, द ब्रोकन विंग, निलांबुज, ट्रैवलर्स सॉन्ग उनकी बेहतरीन पुस्तकें हैं। 70 वर्ष की अवस्था में 2 मार्च, 1949 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले सरोजिनी नायडू भारत को आजादी दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया और महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए भी वे आजादी के बाद सक्रिया रहीं।
बेगम हजरत महल (Begum Hazrat Mahal)
लखनऊ में 1857 की स्वतंत्रता संग्राम क्रांति का नेतृत्व बेगम हज़रत महल ने किया था। 1857 के विद्रोह कि वे पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अंग्रेजों के जुर्म के खिलाफ ग्रामीण नागरिकों को एकजुट किया था। उन्होंने लखनऊ पर आक्रमण करके अपने कब्जे में ले लिया और अपने नाबालिग बेटे बिरजिस क़द्र को अवध का शासक घोषित कर दिया लेकिन अफसोस लखनऊ पर दोबारा अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया और उन्हें बलपूर्वक नेपाल भेज दिया। बेगम हजरत महल के अंदर नेतृत्व की क्षमता थी, उनके साथ जमींदार, किसान और सैनिकों ने 1857 की गदर में भाग लिया।
विजयलक्ष्मी पंडित (Vijay Laxmi Pandit)
पढ़ी—लिखी होनहार विद्वान विजयलक्ष्मी पंडित देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी प्रतिभा पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर देखा जाता है। संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की पहली महिला प्रेसिडेंट बनी। एक लेखक, डिप्लोमेट, राजनेता के रूप में वे महिलाओं को प्रेरित करती हैं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन पंडित विजयलक्ष्मी पंडित जी हैं।
भीकाजी कामा
विदेश की धरती पर पहली बार भारत की आजादी का झंडा फहराने वाली महिला भीकाजी कामा थी। उन्होंने
जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी 'इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस' अधिवेशन में भारत का झंडा फहराया था। जो आज के तिरंगे झंडे से अलग था समय भारत की आजादी के लिए कई अनौपचारिक झंडे में से एक था जो भारत की आजादी के लिए उठाए गए आवाज को दर्शाता है। आपको बता दें कि उस समय कांग्रेश में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों के देश के झंडे फहराए गए थे और भारत के लिए ब्रिटेन का झंडा था तो इसे भीकाजी कामा ने नकारते हुए भारत का झंडा बनाया और वहां पर फहराया। मैडम कामा पर पुस्तक लिखने वाले रोहतक एम.डी. विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर बी.डी.यादव आते हैं कि भीकाजी ने भारत का प्रतीक झंडा फहराते हुए प्रभावशाली भाषण देते हुए कहा था कि ऐ दुनिया के कॉमरेड्स, देखो ये भारत का झंडा है, यही भारत के लोग का प्रतिनिधित्व करता है, इसे सलाम करो
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल एजुकेशनल नॉलेज FQ
1. पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी कौन है?
Answer- बेगम हजरत महल पहली स्वतंत्रता सेनानी है, जिन्होंने 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई थी।
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