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मे उनमे इनमे मै मे bindu (अनुस्वार) या chandrabindu (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता

  Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार))  या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है।  Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं

बालदिवस पर स्कूल में बोला जाने वाला हिंदी में भाषण Children Day speech in hindi

बालदिवस पर स्कूल में बोला जाने वाला हिंदी में भाषण Speech in Hindi to be spoken in school on Children Day 2022 सुप्रभात! आदरणीय  प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों। आज मुझे बालदिवस के अवसर पर अपनी बात रखने का मौका मिला है, इसके लिए प्रधानाचार्य महोदय को बहुत धन्यवाद! आज के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की जयंती है। इस दिन को हम लोग बालदिवस के रूप में मनाते हैं। जवाहर लाल नेहरू जी स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। वे बच्चों को बहुत प्यार करते थे। बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कह कर बुलाते हैं। नेहरू जी का मानना था कि बच्चे देश के कर्णधार हैं। बच्चों को स​ही शिक्षा एवं शारिरीक विकास के लिए खेल बहुत जरूरी है।  उनका सपना था कि हर बच्चा शिक्षित हो। आज जब हम बच्चों के बारे में सोचे तो यह सामने आता है कि आज हमारे देश में गरीबी और अशिक्षा ने बच्चों के बचपन को छीना है। आज करोड़ों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इन बच्चों के भविष्य के लिए हमें आगे आना चाहिए। बालदिवस वह मौका है, जब बच्चों की भलाई उनके बचपन

अंग्रेजी माध्यम बनाम हिंदी माध्यम English medium vs Hindi medium

शिक्षा पर निबंध  अंग्रेजी    माध्यम बनाम हिंदी माध्यम आजकल अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इधर  कान्वेंट और पब्लिक स्कूल के नाम पर तेजी से प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं। जा हिर है कि हिंदी मीडियम स्कूल में शिक्षा का गिरता स्तर इसके लिए  जिम्मेदार है, वहीं सरकार की ढुलमुल नीति इसके लिए सबसे अधिक दोषी है। हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूल की बाढ़ है। कुछ  गिनती के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को छोड़ दे तो बाकी सभी स्कूल में जिनकी अपनी मदर टंग अंग्रेजी नहीं है ऐसे आंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले ऐसे छात्र कक्षा आठ तक उनका ज्ञान सीमित  ही रह जाता है, कारण, अंग्रेजी माध्यम की किताबें स्व:अध्ययन में बाधा  उत्पन्न करती है। रिसर्च भी बताते हैं कि प्राईमरी स्तर में अपनी मातृभाषा में पढ़ने से बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं। यही कारण है कि हिंदी  भाषा या जिनकी मातृभाषा है वह अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के मुकाबले में  तेजी से अपने वातारण से सीखते हैं इसमें सहायक उनकी मातृभाषा के शब्द होते हैं जो उनके शुरूआती दौर में सीखने की क्षमता में तेजी से विकास  करता है। य

बाल—दिवस पर हिन्दी भाषा में भाषण A speech in children day in hindi 14 november

बाल—दिवस पर हिन्दी भाषा में भाषण A speech in children day in hindi 14 november माननीय प्रधानाचार्य, अध्यापकगण, छात्रगण एवं उपस्थित अभिभावकगण! हमारे सबसे प्यारे पल बचपन के होते हैं। मैंने अपने बचपन को खूब जिया है। ये बचपन ही है जो हमारे भावी जीवन का आधार बनता है। बच्चों! आज इस पावन अवसर यानी बालदिवस पर मैं आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं।  भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आज जन्मदिवस है। आप जानते हो कि​ नेहरू जी को बच्चे बहुत प्रिय थे। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसीलिए तो उनका यह जन्मदिवस बालदिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका मानना था कि हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए। ​वे हर बच्चों से कहते थे कि आप पढ़ों—लिखों होनहार बनो, अपने देश का नाम रोशन करो।  जानते हो बच्चों आप जैसे बच्चे नेहरू जी को प्यार  से चाचा नेहरू पुकारते हैं।   देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज 130वीं जयंती है। नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद यानी प्रयागराज में हुआ था।  दुनिया भर में बच्चे का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया

क्या आप जानते हैं सबसे पुराना तारा कौन है? old star

क्या आप जानते हैं सबसे पुराना तारा कौन है? Old star आइए जाने  कुछ खास बातें- रात में जब हम आसमान की ओर निहारते हैं, तो अनगिनत तारे नजर आते हैं। आप यह जानना भी चाहते होंगे कि हमारे सबसे करीब और दूर कौन-सा तारा है? आपके मन में यह विचार भी आया होगा कि कौन सबसे बड़ा और कौन सबसे छोटा तारा है? कौन-सा तारा नया है, कौन-सा तारा पुराना है? यह विचार आपके मन में जरूर आता होगा! खगोलशास्त्री तारों के बारे में ढेर सारी जानकारियां जुटाने में लगे हैं और विराम लेकिन इसी काम के लिए वैज्ञानिकों ने जिस हब्बल स्पेस टेलीस्कोप को स्पेस में भेजा था। उसने सबसे पुराने तारे की खोज कर ली है। इस तारीख का नाम एचडी 140283 है।  आपको यह नाम किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का लगता होगा, लेकिन यह उस तारे का नाम है, जो सबसे पुराना है और हमारे पास भी है।  हब्बल स्पेस टेलीस्कोप ने आसमान के अरब तारों के बीच इस तारे की उम्र  14.5 बिलियन वर्ष बताई है। यानी इस तारीख की उम्र 4.5 अरब वर्ष है। साल 2000 तक खगोल शास्त्री मान रहे थे कि सबसे पुराने तारे की उम्र 16 वर्ष होगी लेकिन बिग बैंग थ्योरी के आधार पर हमारे ब्रह्मांड की उम्र

रेनबो की दुनिया इंद्रधनुषी सतरंगी दुनिया

रेनबो की दुनिया इंद्रधनुषी सतरंगी दुनिया How many Rainbow बारिश के मौसम में सतरंगी इंद्रधनुष देखा होगा लेकिन क्या आपको मालूम है कि इंद्रधनुष कई तरह के होते हैं। इनमें से कुछ तो चांद की रोशनी में भी बनते हैं, तो कुछ अंधेरी रात में भी, तो कुछ चमकते हुए सूरज के चारों ओर दिखाई देते हैं। तो जाने आसमान में बनने वाले अनोखे इंद्रधनुषों के बारे में- क्लाउडबो cloudbow यह कैसा रेनबो है, जो बहुत छोटा होता है। इसके रंग आपस में मिले रहते हैं। यही कारण है यह इंद्रधनुष सफेद दूधिया रंग का होता है। यह जल की नन्हीं नन्हीं बूंदों से बनता है। यह इंद्रधनुष शाम के समय ही आकाश में दिखाई देता है। जब बारिश खूब होती है और वातावरण में बहुत उमस होने लगती है तो इस तरह का इंद्रधनुष आसमान पर आप देख सकते हैं। लेकिन, हां! इंद्रधनुष को देखने के लिए आपको दूरबीन की जरूरत पड़गी। गोलाकार इंद्रधनुष कभी-कभी पानी की बूँदें इस तरह से सूर्य के प्रकाश के कारण रिफ्लेक्ट होती है कि आसमान में सूरज के चारों ओर रिंग यानी गोले के आकार के रूप में इंद्रधनुष बनता   दिखाई देता है। ऐसा नजारा बारिश के बाद तेज धूप के कार

सुनील विश्वकर्मा: छोटे गांव से मुंबई के फिल्मों में आर्ट डायरेक्टर तक का सफर

सुनील विश्वकर्मा:  छोटे गांव से मुंबई के फिल्मों में आर्ट डायरेक्टर तक का सफर Film Bagpat ka Dulha Art director Sunil Vishvakarma आखिर रंग लाई 14 साल की कड़ी मेहनत सुनील विश्वकर्मा सोरांव के छोटे से गांव गधिना से मुंबई की फिल्मों में आर्ट डायरेक्टर तक का सफ़र छोटे शहर के युवाओं के सपने को पंख हाथों की लकीरों से नहीं उसके मेहनत से मिलती है। फिल्मों में कॅरिअर बनाने की चाहत के लिए छोटे शहरों की प्रतिभाएं मेहनत और संघर्ष के रास्ते चलकर दुनिया में नाम और शोहरत हासिल करते हैं तो मिसाल बन जाता है। किसान परिवार में जन्म लेनेवाले प्रयागराज सोरांव तहसील के छोटे गांव गधिना के युवा ने अपनी कला की पहचान बॉलीवुड की फल्मों से बनाई। सुनील विश्वकर्मा ने अपने शहर व गांव का नाम ही रोशन नहीं किया है, साथ में उन युवाओं के रोल मॉडल भी बन गए, जो छोटे शहरों के शांत वातारण में अपने कला व एक्टिंग की प्रतिभा लिए ग्लेमर की दुनिया बॉलिवुड में कॅरिअर बनाने के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाते हैं। ऐसे महान लोग जिन्होंने विकलांगता को पछाड़ दिया खेल का महत्व स्कूल में जाने इस लेख से 15 नवंबर को फेम फैक्टर

वल्लभभाई पटेल का जन्म दिवस राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है

वल्लभभाई पटेल का जन्म दिवस ' राष्ट्रीय एकता  दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है National intregation day 31 अक्टूबर सन 2019 को भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री श्री वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे और भारत की एकता को कायम रखने वाले लौह पुरुष को स्मरण करेंगे।  भारतवासी वल्लभ भाई पटेल के योगदान को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। आज हम एक भारत के सपने को साकार कर रहे हैं, उसकी शुरुआत बल्लभ भाई पटेल ने आजादी के बाद बिखरे हुए देसी रियासतों को भारत के संविधान में शामिल कर भारतीय संस्कृति और सभ्यता को छिन्न-भिन्न होने से बचाया था। आइए पढ़ें एक विद्यालय के लिए स्पीच, जो  'राष्ट्रीय एकता दिवस ' पर वल्लभ भाई पटेल के योगदान को स्मरण कराते हैं। स्कूल के लिए स्पीच आदरणीय प्रधानाचार्य महोदया  आदरणीय अध्यापकगण एवं विद्यालय में पढ़ने वाले समस्त छात्रगण आज बड़े खुशी का दिन है। आज के दिन हमने आजादी के बाद एक ऐसी आजादी प्राप्त की जहां भारत के लोग एकता के सूत्र में बं

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