Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्यो...
बाल—दिवस पर हिन्दी भाषा में भाषण
A speech in children day in hindi 14 november
माननीय प्रधानाचार्य, अध्यापकगण, छात्रगण एवं उपस्थित अभिभावकगण!
हमारे सबसे प्यारे पल बचपन के होते हैं। मैंने अपने बचपन को खूब जिया है। ये बचपन ही है जो हमारे भावी जीवन का आधार बनता है। बच्चों! आज इस पावन अवसर यानी बालदिवस पर मैं आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आज जन्मदिवस है। आप जानते हो कि नेहरू जी को बच्चे बहुत प्रिय थे। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। इसीलिए तो उनका यह जन्मदिवस बालदिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका मानना था कि हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए। वे हर बच्चों से कहते थे कि आप पढ़ों—लिखों होनहार बनो, अपने देश का नाम रोशन करो।
जानते हो बच्चों आप जैसे बच्चे नेहरू जी को प्यार से चाचा नेहरू पुकारते हैं।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज 130वीं जयंती है। नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद यानी प्रयागराज में हुआ था।
दुनिया भर में बच्चे का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पूरे विश्व में अलग अलग तरीखों पर मनाया जाता है, जैसे भारत में 14 नवंबर को मनाया जाता है। 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है जबकि 20 नवम्बर को सार्वभौमिक बच्चों के दिन के रूप में मनाया जाता है।
जवाहर लाल नेहरू जी ने अपनी प्यारी बेटी प्रियदर्शिनी गांधी जो बाद में इंदिरा गांधी के नाम से मशहूर हुई, आप तो जानते हैं न कि वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं।
जब इंदिरा गांधी जी छोटी थी तो उनके पिता यानी हम सबके प्रिय चाचा नेहरू ने कई पत्र बेटी के नाम लिखे थे। इन पत्रों को हिन्दी में अनुवाद किय है, हिन्दी साहित्य के सबसे बड़े लेखन मुंशी प्रेमचंद ने।
क्या आप जानते हैं, नेहरू जी देश को आजाद कराने के लिए आजदी आंदोलन में हिस्सा लिया। अंगेजों ने उन्हें कई बार जेल में डाल दिया। वे जेल से ही अपनी बेटी को पत्र लिखते थे। उस समय इंदिरा गांधी 10 साल की बालिका थी। वे अपने पिता से बहुत प्यार करती थी। इन पत्रों को आप लाइब्रेरी में जाकर जरूर पढ़ना, हिन्दी अनुवाद बहुत सरल भाषा में किया गया है। खाली समय में ऐसे पुस्तकों को पढ़ने से आपका ज्ञान बढ़ेगा।
मैं यहां जवाहर लाल नेहरू का छोटी इंदिरा गांधी को लिखा एक पत्र पढ़ रहा हूं। ध्यान से सुनना! आपको पता चलेगा कि कैसे नेहरू जी अपने बेटी को पत्रों के द्वारा दुनिया के बारे में समझाते थे—
इस पत्र का शीर्षक पुस्तक है—
जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हूँ। लेकिन, अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहाबाद में, हम दोनों उस तरह बातचीत नहीं कर सकते। इसलिए मैंने इरादा किया है कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की जो इन दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कथाएँ लिखा करूँ। तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल इतिहास में पढ़ा है। लेकिन इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है। अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सब देशों का, और उन सब जातियों का जो इसमें बसी हुई हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे-से देश का नहीं जिसमें तुम पैदा हुई हो।
नेहरू जी बच्चों से बहुत प्यार करते थे, वे अपनी बेटी से भी बहुत प्यार करते थे।
एक पत्र में उन्होंने तो भाषा,लिखना और गिनती के बारे में बताया। सुनिए—
हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही जिक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है। आज हम यह विचार करेंगे कि लोगों ने बोलना क्यों सीखा।
हमें मालूम है कि जानवरों की भी कुछ बोलियाँ होती हैं। लोग कहते हैं कि बंदरों में थोड़ी-सी मामूली चीजों के लिए शब्द या बोलियॉं मौजूद हैं। तुमने बाज जानवरों की अजीब आवाजें भी सुनी होंगी जो वे डर जाने पर और अपने भाई- बंदों को किसी खतरे की खबर देने के लिए मुँह से निकालते हैं। शायद इसी तरह आदमियों में भी भाषा की शुरुआत हुई। शुरू में बहुत सीधी-सादी आवाजें रही होंगी। जब वे किसी चीज को देख कर डर जाते होंगे और दूसरों को उसकी खबर देना चाहते होंगे तो वे खास तरह की आवाज निकालते होंगे। शायद इसके बाद मजदूरों की बोलियॉं शुरू हुईं। जब बहुत-से आदमियों को कोई चीज खींचते या कोई भारी बोझ उठाते नहीं देखा है? ऐसा मालूम होता है कि एक साथ हाँक लगाने से उन्हें कुछ सहारा मिलता है। यही बोलियॉं पहले-पहल आदमी के मुँह से निकली होंगी।
धीरे-धीरे और शब्द बनते गए होंगे जैसे पानी, आग, घोड़ा, भालू। पहले शायद सिर्फ नाम ही थे, क्रियाएँ न थीं। अगर कोई आदमी यह कहना चाहता होगा कि मैंने भालू देखा है तो वह एक शब्द ''भालू'' कहता होगा और बच्चों की तरह भालू की तरफ इशारा करता होगा। उस वक्त लोगों में बहुत कम बातचीत होती होगी।
आपके हमारे प्यारे चाचा नेहरू ने कई किताबे लिखी जिनमें डिस्कवरी आफ इंडिया उनकी बहुत मशहूर किताब है।
प्यारे बच्चों! नेहरू जी के जन्मदिवस के अवसर पर आओ प्रण ले कि हम देश के अच्छे नागरिक बनेंगे और कठिन परिश्रम करे पढ़ाई करेंगे। बच्चों बचपन खेलने और पढ़ने दोनों के लिए है लेकिन सही समय सही काम करना चाहिए। पढ़ाई मन लगाकर करनी चाहिए। नेहरू जी ने नए भारत का सपना देखा था, उसमें हर बच्चों को शिक्षा और सही देखभाल मिले, इसके लिए उन्होंने कई सुधार किए। नेहरू जी कहते थे कि राष्ट्र निर्माण में बच्चे कल के भविष्य है। उनके चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए। बच्चो आओ ज्ञान—विज्ञान की इस दुनिया में अपनी एक नयी पहचान बनाओ, दिखा दो कि आप हो इस देश के भविष्य, आपके अंदर दूसरे के दुख और तकल्लीफ समझने की संवेदना है तो आपके अंदर अपने माता—पिता व शिक्षकों को के वचनों को पूरा करने की आत्मशक्ति है। आप दिल से सोचिए कि आप अपने देश के लिए क्या—क्या कर सकते है। आओ आज स्वयं को बदल ले, बच्चों चारों तरफ हर तरह का दुख है, इस दुख को आप मिटा दो, आप के अंदर आत्मशक्ति व धैर्यता का बल है। ज्ञान और अपने भविष्य को बनाकर यानी आप में डॉक्टर, तो कोई इंजीनियर तो कोई वैज्ञानिक, तो कोई लेखक बनकर इस देश में समाज की सेवा कर सकता है।
अपनी वाणी को विराम देता हूं और आपसे एक वादा चाहता हूं कि आप अपने सपने को साकार करने के लिए मेहनत करेंगे न करेंगे न बोलिए मेरे साथ हां!
जय हिंद! जय ज्ञान!
बाल दिवस पर यह अभिषेक कांत पाण्डेय द्वारा विद्यालय कार्यक्रम के लिए बच्चों को संबोधित करके लिखा गया है।
children day speech in hindi
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