Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
अभिषेक कांत पाण्डेय
भारत में मानसून का पूर्वानुमान लगाना मौसम विभाग का काम है। कभी-कभी यह अनुमान गलत साबित हो जाता है। कई तरह के फैक्ट इंफॉर्मेशन और डेटा एनालिसिस करने के बाद ही मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इस काम में लगे प्रोफशनल्स के लिए यह बहुत जिम्मेदारी भरा काम है। इस क्षेत्र में आज कॅरिअर के तमाम ऑप्शन मौजूद हैं। एरोप्लेन संचालन से लेकर खेल के मैदानों तक मौसम विज्ञान की भूमिका बढ़ी है। कॅरिअर के लिहाज से मौसम विज्ञानी बनना, आज सम्मानजनक और देश सेवा का काम है।
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सरकारी विभागों से लेकर मौसम विज्ञान की भविष्यवाणी करने वाली प्रयोगशालाओं, अंतरिक्ष विभाग और टेलीविजन चैनल पर मौसम विज्ञान एक अच्छे कॅरिअर के लिए आपको बुला रहा है। अगर आपको हवा, बादल, समुद्र, बरसात, धुंध-कोहरे, आंधी-तूफान और बिजली में दिलचस्पी है तो मौसम विज्ञान का क्षेत्र न केवल आपकी इन क्षेत्रों की जिज्ञासाओं की पूर्ति करेगा, बल्कि एक शानदार कॅरिअर भी प्रदान करेगा।
मौसम की हर तरह की जानकारी उपलब्ध कराने का यह क्षेत्र बहुत ही बड़ा है। इनमें परिचालन, अनुसंधान तथा अनुप्रयोग अर्थात ऑपरेशंस-रिसर्च या एप्लिकेशंस के क्षेत्र में बहुआयामी कॅरिअर अपनी रुचि के अनुसार आप बना सकते हैं। ऑपरेशंस के अंतर्गत मौसम उपग्रहों, राडार, रिमोट सेंसर और एयर प्रेशर, टेंप्रेचर, एनवायरमेंट, मिडिटी से रिलेटेड इंफॉर्मेशन को इकट्ठा कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।
क्या है मौसम विज्ञान
मौसम विज्ञान यानि मौसम से जुड़ी कई प्रक्रियाओं और उससे संबंधित पूर्वानुमानों का अध्ययन। मौसम की सही जानकारी देने के लिए तीन बातों आकलन, समझ और मौसम के अनुमान को शामिल किया जाता है। मेटेरोलॉजी (मौसम विज्ञान) व इससे जुड़े प्रोफेशनल्स को मेटेरोलॉजिस्ट (मौसम विज्ञानी) कहा जाता है। कुछ वर्षों से नई तकनीकों के आने से मौसम का पता लगाना काफी सरल और रोचक हो गया है। साथ ही इसमें कई तरह के अवसर भी सामने आए हैं। आज सैटेलाइट के जरिए दुनिया के किसी भी जगह के मौसम का पूर्वानुमान लगाना संभव हो पाया है, जबकि एडवांस कंप्यूटर और सुपर कंप्यूटर से डाटा एकत्र करने का कार्य किया जाता है। इस क्षेत्र के अंतर्गत मौसम, जलवायु की फिजिकल स्ट्रक्चर्स, डाइनेमिकल और केमिकल जैसे फैक्टर्स का सावधानी से अध्ययन किया जाता है। दरअसल मिलने वाले सही फैक्ट की अच्छी तरह से स्टडी और एनालिसिस के जरिए आने वाले मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
मौसम विज्ञान की शाखाएं
क्लाइमेटोलॉजी:
इस शाखा में किसी क्षेत्र या स्थान विशेष की जलवायु का अध्ययन किया जाता है, जो निर्धारित समय के भीतर ही किया जाता है।
सिनॉप्टिक मेटेरोलॉजी:
यहां पर कम दबाव के क्षेत्र, वायु, जल, अन्य मौसम तंत्र, चक्रवात, डिप्रेशन और इसमें एकत्र किए जाने वाले डाटा वेदर मैप (जो कि दुनिया के मौसम का सिनॉप्टिक व्यू बताता है) की जानकारी मिलती है।
डाइनेमिक मेटेरोलॉजी:
इसके अंतर्गत मैथमैटिक फार्मूला के जरिए वायुमंडलीय प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। दोनों के साथ-साथ होने के कारण इसे न्यूमेरिक मॉडल भी कहा जाता है।
फिजिकल मेटेरोलॉजी:
इसमें वायुमंडल के फिजिकल प्रोसेस के अलावा सोलर रेडिएशन, पृथ्वी में विलयन और प्रकीर्णन, वायुमंडलीय व्यवस्था आदि को शामिल किया जाता है।
एग्रीकल्चर मेटेरोलॉजी:
यहां फसलों की पैदावार और उसके नुकसान में मौसम संबंधी सूचनाओं का आकलन किया जाता है।
एप्लायड मेटेरोलॉजी:
इसके अंतर्गत मेटेरोलॉजिस्ट किसी विशेष कार्य जैसे- एयरक्राफ्ट डिजाइन, वायु प्रदूषण पर नियंत्रण, आर्किटेक्चरल डिजाइन, अर्बन प्लानिग, एयरकंडीशनिग, टूरिज्म डेवलपमेंट आदि के प्रति थ्योरी रिसर्च करते हैं।
उपलब्ध कोर्स
मेटेरोलॉजी में कई तरह के अंडरग्रेजुएट कोर्स जैसे- बीएससी, बीटेक शामिल हैं। कई ऐसी यूनिवसिर्टी और आईआईटी/कॉलेज हैं, जो इससे संबंधित अंडरग्रेजुएट और पीजी कोर्स संचालित करते हैं। दो वर्षीय एमएससी और एमटेक में दाखिले के लिए बैचलर डिग्री होनी जरूरी है। अगर आप एमफिल या पीएचडी करना चाहते हैं तो मास्टर डिग्री हासिल करना जरूरी है।
संभावनाएं
नौकरी गर्वनमेंट सेक्टर में अधिक मिलती है, वहीं कुछ प्राइवेट कंपनियां भी एटमॉसफेरिक साइंटिस्टों को पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए रखती हैं। मिलिट्री भी एयरोप्लेन फ्लाइट्स, मिसाइल लॉन्चिंग और शिप मूवमेंट आदि में मौसम संबंधी सूचना को वरीयता देती है और उसी के आधार पर समय-समय पर मेटेरोलॉजिस्ट रख्ों जाते हैं। स्पेस सेंटर में भी किसी सेटेलाइट की लॉन्चिंग के दौरान मौसम को जानने के लिए मेटेरोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाती है। पूरे भारत में इंडियन मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की कई शाखाएं हैं, जिसमें मेटेरोलॉजिस्ट की डिमांड हमेशा बनी रहती है।
सैलरी
मेटेरोलॉजिस्ट अथवा साइंटिस्ट की सैलरी उसकी योग्यता और अनुभव पर निर्भर करती है। अगर आपमें क्षमता है, नॉलेज और एक्सपीरियंस रखते हैं तो आप विदेश में भी नौकरी पा सकते हैं और अच्छी सैलरी अचीव कर सकते हैं। सरकारी संस्थाओं में सैलरी सरकार द्बारा निर्धारित वेतनमान के अनुसार होती है। =
यहां से करें कोर्स
भरतियार यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर
पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला
कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ 4साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कोचीन
आईआईटी, दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ 4ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी, पुणे
शिवाजी यूनिवर्सिटी, विद्यानगर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
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