Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्यो...
बेथनी स्कूल के छात्रों ने स्कूल-प्रदर्शनी में दिखाई अपनी प्रतिभा
मुझे (अभिषेक कांत पांडेय) प्रयागराज के नैनी क्षेत्र स्थित 'बेथनी कॉन्वेंट विद्यालय' में 'हिन्दी-विषय' की प्रस्तुति का मूल्यांकन यानी कि जज की भूमिका निभाने का अवसर प्राप्त हुआ।
मेरा व्यक्तिगत मानना है कि कठिन परिश्रम का अवलोकन प्रकृति स्वयं ही करती है और यथा समय उस व्यक्ति के अथक परिश्रम का सुफल परिणाम प्रदान करती है।
इस विद्यालय के छात्रों ने अपने विषय की विशेष प्रस्तुति में सफलता का कीर्तिमान बनाया है।
हिन्दी एवं संस्कृत विषय को साहित्य के साथ ही ज्ञान एवं विज्ञान के साथ संलग्न करने का मेरा प्रयास सदैव रहता है।
वर्तमान में छात्र हिन्दी रूपी माता के आँचल में बैठकर ज्ञान, विज्ञान और साहित्य के अनेक रहस्यों का रहस्योद्घाटन कर रहे हैं, अपनी भाषा से जुड़े ये संवेदनशील बालक-बालिकाएँ एक नए युग में प्रवेश कर 'नव भारत' के निर्माण करने के लिए संकल्पित हैं।
प्रयागराज स्थित बेथनी कॉन्वेंट विद्यालय में बच्चों के द्वारा बनाए गए क्राफ्ट, ड्राइंग विज्ञान के मॉडल प्रस्तुत किए गयें।
सामाजिक विज्ञान विषय अंतर्गत आने वाले लगभग सभी प्रकरणों पर रोचक तरीके से जानकारी प्रस्तुत किया। 'हिन्दी के इतिहास' से लेकर व्याकरण तक के क्लिष्ट ज्ञान को विभिन्न प्रकार के मॉडल, चार्ट-पेपर और नाट्य अभिनय के द्वारा प्रस्तुत किया। इनका यह कार्य सभी के कौतूहल एवं आकर्षण का केंद्र रहा।
बच्चों ने बेबाक होकर आने वाले विजिटर को ज्ञान व विज्ञान की दुनिया की सैर तरह-तरह के मॉडल व चित्रों के माध्यम से कराया।
बच्चों के अथक परिश्रम के साथ ही शिक्षा देने वाले शिक्षक का प्रयास भी फलीभूत हुआ।
बच्चों में पढ़ाई के प्रति बढ़ती उनकी रूचि का ही परिणाम था कि वे अपने विशेष रूचि वाले विषयों के प्रत्येक प्रकरणों पर बेहतरीन अंदाज में विजिटर को समझा रहे थे।
बच्चों की रचनात्मकता को पंख देने के लिए और उनकी कल्पना की उड़ान को एक आकाश रूपी बड़ा कैनवास देने के लिए और साथ में उन शिक्षकों का भी आभार जिन्होंने ज्ञान की ज्योति के प्रकाश से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर दिया। निसंदेह इसके लिए शिक्षकों का अथक प्रयास और उनका त्याग प्रशंसा के योग्य है।
अभिषेक कांत पांडेय
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बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं
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