Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
योग पर निबंध हिंदी में| Yoga essay in hindi
yoga का हमारे जीवन में क्या महत्व है। योग क्यों जरूरी है इस पर निबंध लिखिए दिया जा रहा है। योग और स्वास्थ्य पर निबंध हिंदी में योग एक जीवन पद्धति पर निबंध 800 शब्दों में योग का महत्व योग की प्रस्तावना योग का क्या अर्थ है, योग हमारे लिए क्यों जरूरी है।
इस पर निबंध नीचे दिया गया है जो आपके परीक्षा के लिए उपयोगी है। इसे पढ़कर आप बेहतर अनुच्छेद भी लिख सकते हैं दो सौ से डेढ़ सौ शब्दों का हो सकता है।
आज दूसरा योग दिवस है। योग का मतलब मिलाना या जोड़ना होता है आपने इसी शब्द को आज दुनिया के सामने योग मिसाल बनाया है। स्वास्थ से बड़ा कोई धन नहीं है। इसीलिए हेल्थ इज वेल्थ की कहावत अंग्रेजी में प्रसिद्ध है। आधुनिक जीवन में स्वास्थ को बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है। जबकि विडंबना
यह है कि हम प्रकृति से स्वयं को दूर रख रहे हैं। पेड़—पौधे से युक्त वातावरण की कमी शहरी क्षेत्रों में है। वायु प्रदूषण के कारण आज स्वस्थ जीवन जी पाना चुनौती भरा है। फैक्ट्रियों निकलता धुआं या प्रदूषण फैलाते वाहन हमसे स्वस्थ जीवन को छीन रहे हैं। डायबटीज, ब्ल्ड प्रेशर, आखों की स़मस्या जैसी बीमारी हमें आजा के विदूषित जीवनशैली के कारण मिल रहा है। आज हम गिफ्ट के रूप में बीमारी आसानी से ले रहे है, क्या आपने सोचा है इसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। प्रकृति से हम दूर हो रहे हैं, हमारी दिनचर्या सूरज के रोशनी के मुताबिक नहीं है। देर तक सोना व देर रात तक जागने के कारण हम बीमरियों को दावत दे रहे है। तनाव यानी माइग्रेशन जैसे समस्या पूरे विश्व में आम बात है। वहीं योग हमें जीवन को सही ढंग से जीने के लिए तैयार करता है, जहां बीमरियों से लड़ने की शक्ति शारीर के अंदर पैदा करती है। योग हमारे जीवनशैली को सहज और एनर्जी से भरपूर बनाता है। खान—पान और जीवन को सही अर्थों में जीने की सीख देता है—योग। नि:संदेह भारतीय संस्कृति ने एक ऐसी जीवनशैली दी है जिसमें योग का बड़ा महत्व है। हमारे देश में समृद्धशाली जीवनशैली की परंपरा रही है। जहां पर ऋषियों ने वेदों के जरिये ज्ञान दिया है। इसी तरह आयुर्वेद, वैमानिकी जैसे सिद्धांत आदि का ज्ञान भारतीय परंपरा में हजारों वर्षों पहले हो गया था। पतंजलि को योग, जो स्वास्थ का आधार है। ये मानव जाति के लिए है, उनके स्वस्थ जीवन के लिए है। योग जाति व धर्म में भेद नहीं करता है। योग की रचना मानव कल्याण के लिए ही है।
अमेरिका में आधुनिक पश्चिमी विचारधारा में उपयोगितावाद के कारण केवल सुखीजीवन की कल्पना का आधार भौतिक वस्तुओं के उपभोग के लिए की गई है। यही कारण है कि वहां पर अनियमित जीवनशैली के कारण अमेरिकी लोग स्वास्थ समस्या के शिकार हैं। मोटापा, डायबटीज जैसी बीमारी के कारण अमेरिका परेशान है। जबकि ऐसे समय में योग का महत्व दुनिया के लागों को समझ में आ रहा है। 18वी शताब्दी के बाद से ही पश्चिमी देशों में भारतीय संस्कृति से लगाव रखने वाले विद्वानों यहां की प्रचीन जीवन शैली जिसमें योग, चिकित्सा पद्धति पर लगातार रिसर्च किया है। यहां की वेदों और अन्य प्राचीन पुस्तकों का अध्यययन किया। पश्चिमी देशा भारत की समृद्धशाली ज्ञान को अपनाने के लिए तैयार है। इस कड़ी में योग है जो पूरी दुनिया में मानव का कल्याण कर रही है। एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए योग मानव जाति के लिए अनुपम देन है जो इस ग्रह यानी धरती से पैदा हुई है, क्या पता कल यहां किसी एलियन यानी परग्राही के लिए भी काम आये तो यह कल्पना मात्र नहीं है, योग धरती का विशिष्ट ज्ञान है। इसे हमें जाति,धर्म से परे होकर अपनाना होगा तकि मानव सभ्यता को स्वस्थ जीवन मिल सके। तन व मन की दवा है—योग।
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