Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
Book Review By Abhishek Kant Pandey
Class 1st to 8th
Hindi Text book
Book Name –
Publisher-
Class | Chapter or pages | Price as print in Rs |
1st | 19 chapter pages 80 | 230 |
2nd | 12 chapter pages 96 | 250 |
3rd | 12 chapter pages 104 | 260 |
4th | 14 chapter pages 112 | 270 |
5th | 14 chapter pages 124 | 280 |
6th | 16 chapter pages 140 | 310 |
7th | 16 chapter pages 144 | 325 |
8th | 16 chapter pages 144 | 340 |
Print and cover
The perfect print with good qualities picture insert in this book.
80 GS paper qualities for long life book with attractive and thick cover paper qualities.
Graphics and picture
It book have attractive detailed picture qualities with given mapping chart for every chapter.
In primary class book have more attractive illustration given. Every question given with some small pictures for grows to the interest motivation learning in children.
Upper primary level as Hindi Text book given intro is given every chapter very meaningful for lesson learning.
All sets of picture qualities, paper qualities and best price are the qualities of book.
Content
1. एनसीआरटी के पाठ्यक्रम के अनुरूप है। एक पाठ्य पुस्तक के रूप में इस पुस्तक की विषयवस्तु विविधता युक्त है। हिंदी के हर विधा जैसे कहानी, कविता, निबंध, लेख इत्यादि विषय सामग्री का चयन कक्षा के स्तर के अनुसार किया गया है।
2. इस पुस्तक में अतिरिक्त पठन सामग्री भी दी गई है।
3. इस पुस्तक में अभ्यास कार्य में बच्चों के रचनात्मक शक्ति के विकास के साथ ही बौधात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
4. सभी प्रश्नों के पूछने का तरीका बेहतर है।
5. वर्तनी और व्याकरण की अशुद्धियां न के बराबर है।
6. पाठ्य पुस्तक से ही प्रायोगिक शिक्षण पद्धति द्वारा हिंदी भाषा के व्याकरण सीखने की क्षमता का बच्चों में विकास करता है।
7. भाषा सीखने के नियमों के विकास के लिए इस पुस्तक में पढ़ना, लिखना, बोलना, सीखना और तार्किक शक्ति के विकास में ये पुस्तक खरा उतरता है।
8. नए पाठ्यक्रम के अनुरूप है।
9. माइंड मैप के माध्यम से पूरे पाठ की विषय-वस्तु को एक नजर में पढ़ने के लिए दिया है। यह तरीका बच्चे में पाठ को समझने की शक्ति के प्रयोग करने के लिए बहुत सहायक है।
Class 1st to 8th
Hindi Grammar Book
Book Name –
Publisher-
Class | Chapter or pages | Price as print in Rs |
1st | 9 chapter pages 50 | 185 |
2nd | 13 chapter pages 66 | 195 |
3rd | 12 chapter pages 66 | 205 |
4th | 15 chapter pages 82 | 220 |
5th | 15 chapter pages 98 | 235 |
6th | 15 chapter pages 146 | 255 |
7th | 15 chapter pages 154 | 265 |
8th | 16 chapter pages 182 | 275 |
Print and cover
The perfect print with good qualities picture insert in this book.
80 GS paper qualities for long life book with attractive and thick cover paper qualities.
Graphics and picture
It book have attractive detailed picture qualities with given mapping chart for every chapter.
In primary class book have more attractive illustration given. Every question given with some small pictures for grows to the interest motivation learning in childern.
Upper primary level as Hindi Text book given intro is given every chapter very meaningful for lesson learning.
All sets of picture qualities, paper qualities and best price are the qualities of book.
Content of the
According to NCERT and CBSE pattern.
1. इस व्याकरण की पुस्तक में सभी टॉपिक यानी प्रकरण को एक समूह में बांटा गया है। जिससे छात्र इन पाठों से आसानी से जुड़ते हैं।
2. व्याकरण में पारिभाषिक शब्दों के अर्थ को जानना बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक में पारिभाषिक तथ्यों को सरल एवं सहज भाषा में बालक के कठिनाई के स्तर के अनुसार प्रस्तुत किया गया है।
3. व्याकरण की भाषा उबाऊ नहीं होना चाहिए, चित्रों का सही संयोजन एवं आरेखों के माध्यम से प्रस्तुत कर व्याकरण की नीरसता को सरसता में बदल दिया गया है।
4. पुस्तक में शीर्षक, उप—शीर्षक आदि का विभिन्न रंगों द्वारा प्रस्तुत किया है, यह संयोजन प्राथमिक छात्रों को आकर्षित करता है, इस कारण से छात्रों में पुस्तक द्वारा स्वाध्याय में रुचि उत्पन्न करता है।
5. चार्ट, सारणी का सही एवं उचित प्रयोग किया गया है।
6.
normal;"> अभ्यास कार्य के प्रश्न पाठ की समझ को विकसित करने के साथ ही व्याकरण के नियमों को छात्र में भली—भांति परिचित हुआ कि नहीं इस बात की जाँच करता है।
normal;"> अभ्यास कार्य के प्रश्न पाठ की समझ को विकसित करने के साथ ही व्याकरण के नियमों को छात्र में भली—भांति परिचित हुआ कि नहीं इस बात की जाँच करता है।
7. अभ्यास-कार्य के अंतर्गत बौधात्मक, रचनात्मक, चित्र, रिक्तस्थानों की पूर्ति, मिलान करने वाले सभी तरह के प्रश्नों का समावेश है।
8. पाठ के अंत में एक नजर में समझे गए नियम की पुनरावृत्ति की गई है, जो छात्रों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
9. आज समय एक्टिविटी यानी क्रियात्मक शिक्षण पद्धति और खेल—खेल में सीखने की नई आइडिया यानी युक्ति का समय है। अधिगम यानी लरनिंग का तरीका बदल गया है, लेखन के साथ ही बच्चों में भाषा संस्कार हेतु उन्हें आत्मविश्वास के साथ बोलने एवं स्वयं व्यक्त को करने का तरीका आना चाहिए। इसलिए इस कसौठी पर इस पुस्तक में कक्षा एक से आठ तक के पाठ्यक्रमों में इस बात का ध्यान खासतौर पर रखा गया है। एनीसीआरटी भाषा के शिक्षण में मौखिक अभिव्यक्ति को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है। इसलिए इस व्याकरण की पुस्तक में वाचन एवं श्रवण कौशल के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण अध्याय दिया गया है।
10.
normal;"> रचानात्मक लेखन आज के समय में भाषा का महत्त्वपूर्ण अंग है। भाषा के नियमों से परिचित होने के बाद बालक को अपनी बात लिखित रूप से प्रभावी ढंग से कहना आना चाहिए, ये प्रभाव और सोच उसे दूसरे भाषा को सीखने में मदद भी करती है, जैसे किसी की मातृभाषा हिन्दी है और अंग्रेजी भी सीख रहा है या कोई अन्य भाषा तो हिन्दी की तर्कशीलता उसे दूसरी भाषा में तर्कशील सोच उत्पन्न है और सीखने में सहायता करता है।
normal;"> रचानात्मक लेखन आज के समय में भाषा का महत्त्वपूर्ण अंग है। भाषा के नियमों से परिचित होने के बाद बालक को अपनी बात लिखित रूप से प्रभावी ढंग से कहना आना चाहिए, ये प्रभाव और सोच उसे दूसरे भाषा को सीखने में मदद भी करती है, जैसे किसी की मातृभाषा हिन्दी है और अंग्रेजी भी सीख रहा है या कोई अन्य भाषा तो हिन्दी की तर्कशीलता उसे दूसरी भाषा में तर्कशील सोच उत्पन्न है और सीखने में सहायता करता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें