स्कूल में खेल का आयोजन |
स्कूल में खेल जरूरी क्यों है | खेल का महत्व निबन्ध
school mein Khel Kyon jaruri hai 2022
हमारे देश में खेल क्यों पिछड़ा है
पढ़ाई के साथ खेल क्यों जरूरी है?
बच्चों के विकास में खेल का महत्व क्या है?
खेल का उद्देश्य क्या होता है
खेलने के फायदे
उपसंहार
खेल स्कूल के छात्रों को दो बहुत जरूरी बातें दिखाता है। पहला—खेल में खेले जाने वाले वे तकनीक जिसका उपयोग छात्र अपने आने वाले जीवन की समस्याओं को दूर करने लगाता है। खेल में तकनीकी और सूझबूझ का उपयोग होता है। यही तकनीकी और सूझबूझ बच्चे अपने भावी जीवन में उपयोग कर हर तरफ समस्याओं से लड़ना सीखता है।
दूसरा—जरूरी बातें जो खेल सिखाता है, वह अनुशासन है। बिना अनुशासन के खेल नहीं खेला जा सकता है। खेल से सीखा गया अनुशासन यानी नियमों और कानून का पालन करने की सीख स्कूली जीवन से मिलता है। आज सबसे बड़ी समस्या कनून व्यवस्था को बनाए रखना और ट्रैफिक के नियम का पालन कराने की चुनौती समाज में है।
स्कूली जीवन में खेल से नियम अनुशासन और ईमानदारी की सीख सीखने वाला बालक जब बड़ा तो है तो सभ्य नागरिक बनात है। महात्मा गांधी जी ने बच्चों के मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास की बात कही है जो कि खेल के द्वारा ही हो सकता है।
शिक्षाविद फ्रोबेल खेल-खेल में सिखाने के सिद्धांत को दिया है।
बच्चे खेल से समर्पण और अभ्यास के द्वारा मेंहनत से तैयारी करना सीखते हैं।
विवेकानंद जी ने एक बार कहा था कि गीता के कर्म सिद्धांत पढ़ने से पहले स्वयं को शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाओ और कर्म सिद्धांत पूछने वाले बच्चों की फुटबॉल टीम के साथ उन्होंने बच्चों फुटबॉल खेला था।
खेल जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। महान शिक्षा शास्त्रियों ने भी ये बात मानी है। उन्होंने कहा कि बचपन खिलौने खेलने का समय होता है।
इसीलिए भारतीय शिक्षा में और पूरी दुनिया की एजुकेशन प्रणाली में खेल को बहुत महत्व दिया गया है।
अभी भी लगता है, आप मेरी बातों से संतुष्ट नहीं हुए हैं, चलिए मैं एक ऐसा उदाहरण खोज कर देता हूं जिससे कि आप मेरी तरफ से जरूर संतुष्ट होंगे।
बच्चे में शिक्षा का स्तर देखना हो तो उसे खेलने के लिए खुला छोड़ दो, अगर वह अनुशासन और ईमानदारी के साथ खेल-खेलता है, वह समय अनुशासन, प्रबंधन, जैसे युक्तियों का प्रयोग करता है तो निश्चित ही उसकी शिक्षा उत्तम है, वह भविष्य में महान व्यक्तित्व बन सकता है।इसी मैदान में खेल खेलते हुए झुंड में ऐसे बच्चों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
खेल अनुशासन सिखाता है
चाणक्य जैसे पारखी शिक्षक ने चंद्रगुप्त को किशोरावस्था में खेल खेलते हुए देखा और उसके व्यक्तित्व को तुरंत पहचान लिया। जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था। उसी के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य वाला यह ऐतिहासिक उदाहरण मेरे ऊपर की बातों की पुष्टि करता है।
उपसंहार
पढाई के साथ खेल का महत्व भी उतना ही है। अब आपके पास एक तार्किक ज्ञान है और एक उदाहरण भी इस तरह की तीन ऐतिहासिक उदाहरण और भी मेरे ध्यान में है लेकिन मैं चाहता हूं कि आप उसे खोजिए और मेरे तरह तर्क इस तर्क में पहुंचे है।
मेरे दोस्तों मेरा अनुभव जी आपका दोस्त है और आपका कमेंट ही मेरा अनुभव है। कृपया लाइक और कमेंट करते रहे। यहां तक पढ़ने के लिए आभार और आशा करता हूं कि कुछ नई जानकारी नए तरीके से मिली है आपको शेयर करना ना भूलें।
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