मैं हूँ सिलबट्टा, मेरी बात सुनो
Silbatta लेख निशा पांडेयसिलबट्टा हूँ! हजारों साल से तुम्हारे पुरखों को देखा है! मैं कुछ कहना चाहता हूं!
भारतीय भाषा और हिन्दी बहुत तेजी से इंटरनेट की दुनिया में छा रही है। यह बात मुझे तब पता चली, जब 80 के दशक से अब तक रसोई घर में मुझे एक किनारे रख दिया गया। अचानक 2021 में अमेजॉन के विज्ञापन ने मेरी आँखें खोल दी, हिंदी भाषा में मुझे यानी सिलबट्टा को देवनागरी लिपि में मुझे खोजा गया।
मुझे मालूम है विज्ञापन बहुत प्रभावशाली होता है। मैंने कितनी चटनियां और मसाले स्वादिष्ट पीसी हैं, बड़े बुजुर्गों आज ही स्वाद खोजते फिरते हैं लेकिन शोर करके सब की नाक में दम कर देने वाला मिक्सर में वह बात कहां। मैं सिलबट्टा, कुछ आपसे कहना चाहता हूँ... Silbatta Amazon
अफसोस आधिकारिक रूप से हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं पर अंग्रेजी भाषा हावी है।
आज अंग्रेजी भाषा चिकित्सा, कानून और तकनीक की भाषा के रूप में स्थापित होकर हिन्दी के हिस्से की रोटी खा रही है।
लेकिन हिन्दी ने भी अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ना शुरू कर दिया है। मैं सिलबट्टा हिन्दी और अपने देश की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ खड़ा हूँ। क्या मेरा साथ आप देंगे?
भारत और दुनिया में इंटरनेट की सबसे उभरती हुई भाषा हिन्दी है। सूचना, तकनीक और मनोरंजन में इंटरनेट की दुनिया में हिंदी और भारती क्षेत्रीय भाषाएँ छा रही हैं।
इंटरनेट की हिन्दी ने बता दिया कि सरकारी सोच चाहे कैसी भी हो, लेकिन जो देसी अंदाज नागरिकों के बीच, वह इंटरनेट की दुनिया में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। इसलिए गूगल,, अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियाँ मैं सिलबट्टा के अस्तित्व को पहचाना है!
मैं सिलबट्टा मेरे ऊपर अमेजान ने विज्ञापन देकर यह दिखा दिया कि हम आपकी भाषा में आपसे लगाव रखते हैं क्योंकि अगर हमें कुछ बेचना है तो हम आपकी *संस्कृति और भाषा* के साथ खड़े हैं।
दोस्तों मैं पूछता हूँ कि हुक्मरान नहीं समझ सकते हैं क्या हिंदी की ताकत को? जबकि अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली हिन्दी भाषा आज भी अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई आजाद भारत में लड़ रही है।
फादर कामिल बुल्के हिंदी के प्रति बहुत ही वफादार व्यक्ति थे, भले वह बेलजियम के रहने वाले थे और भारत को उन्होंने अपना घर बनाया लेकिन हिन्दी की दुर्दशा 80 के दशक में जब उन्होंने देखा, तो हर भारतीयों से प्रार्थना करते थे कि अपनी भाषा के मान -सम्मान के लिए आगे आए।
'14 सितंबर को एक दिन' हिंदी -दिवस मनाने से कुछ नहीं होता है, आज 29 मार्च है, हर दिन हिंदी-दिवस के बारे में सोचना होगा। क्योंकि हिन्दी इंटरनेट की सबसे उभरती भाषा है। तकनीक व मनोरंजन में अरबों- खरबों रुपये का यह बड़ा व्यापार है लेकिन जब मनोरंजन के व्यापार से जुड़े हुए लोग हिन्दी की देवनागरी लिपि के बजाय अंग्रेजी के लिपि रोमन में हिन्दी को पढ़ते हैं और लिखते हैं तो मुझे बड़ा ही दुख होता है कि अपने देश की अपनी भाषा की *लिपि* को भी पहचान नहीं मिल पा रही है। मैं सिलबट्टा आपसे गुजारिश करता हूं कि भारत की क्षेत्रीय भाषाओं और हिन्दी को दुनिया के पटल पर लाना है तो हिन्दी का खूब उपयोग करें। मैं सिलबट्टा वादा करता हूं कि आपकी भाषा की पहचान के साथ आप की संस्कृति और रसोई में मेरी उपस्थिति का महत्व भी आप धीरे-धीरे समझने लगेंगे तब मैं भारतीय रसोई में फिर से स्थापित हो जाऊँगा। मैं सिलबट्टा आपसे फिर बातें करूंगा, आशा है कि भारत की तरक्की की साथ उसकी भाषाएं भी तरक्की करेंगी, बस आपके साथ की जरूरत है मैं सिलबट्टा आपके आपकी संस्कृति का हिस्सा हूं मैं तुम्हारी पुरखों के साथ हजारों साल से रहा हूं!
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newgyam.com
अमेजॉन ऑनलाइन सिलबट्टा का चित्र आभार सहित यहाँ प्रस्तुत है। केवल शैक्षिक दृष्टि से जानकारी हेतु।
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