Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर पर विशेष
ब्लाइंड क्रिकेट एक ऐसा खेल गेंदबाज पूछता है 'तुम रेडी हो' बल्लेबाज कहता है 'रेडी'
ब्लाइंड क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो अंधे व्यक्तियों के साहस और हौसले को दर्शाता है। आंख से दिखाई ना देने के बावजूद भी इनका खेल देखने वाला आश्चर्यचकित हो जाता है। हम बताने जा रहे हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट कैसे खेली जाती है और इसके नियम क्या है? इस बारे में इस लेख में पढ़ें-
क्रिकेट एक दिलचस्प खेल है, यह न सिर्फ गेंद—बल्ले से खेला जाता है बल्कि दिमाग भी इसमें लगाना पड़ता है। इसके लिए शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहना बेहद जरूरी है। खेल के दौरान हर खिलाड़ी की गेंद की आहट पर अटेशन होता है, खासतौर पर बल्लेबाज की। अगर जरा भी गेंद से निगाह हटी तो चुके। लेकिन सोचो जरा अगर किसी के पास निगाहें ना हो, कहने का मतलब है कि खेलने वाले अंधे हो तो कैसे खेल हो सकता है। लेकिन टेक्निक और आवाज से क्रिकेट खेलते हैं। इनके खेल को ब्लाइंड क्रिकेट कहा जाता है।
ब्लाइंड क्रिकेट का पहला विश्वकप नवंबर 1998 में नई दिल्ली में हुआ था। इस विश्व कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया सहित कुल 7 देशों ने भाग लिया था पूर्णविराम यह विश्वकप दक्षिण अफ्रीका ने जीता था। दूसरा ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप दिसंबर 2002 में चेन्नई में आयोजित किया गया। इसमें पाकिस्तान ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर खिताब जीता था।
ब्लाइंड क्रिकेट की शुरुआत सबसे पहले 1922 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एक कारखाने से मानी जाती है। कारखाने में दो अंधे कर्मचारियों द्वारा यह क्रिकेट खेला जा रहा था। अंधेपन से जूझ रहे लोगों के लिए इस खेल की लोकप्रियता धीरे-धीरे देश व राज्य की सीमाएं तोड़ने लगी। बाद में 1922 में विक्टोरिया ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना हुई। ब्लाइंड क्रिकेट को लोग एक रोचक खेल की तरह विकसित करने के लगे।
ऐसे महान लोग जिन्होंने विकलांगता को पछाड़ दिया
खेल का महत्व स्कूल में जाने इस लेख से
छोटी सी झपकी आपको बनाए फ्रेश
रिसर्च लिखने और पढ़ने में दिमाग अलग-अलग तरह से सोचता है
मैथ का भूत हटाओ ये टिप्स अपनाओ
मातापिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छी आदतें सीखें और अपने पढ़ाई में आगे रहें, लेकिन आप चाहे
ब्लाइंड क्रिकेट टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं जिन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। पहली श्रेणी बी1 होती है। इस श्रेणी का खिलाड़ी बिल्कुल नहीं देख पाता है। बी2 कैटेगरी का खिलाड़ी 2 से 3 मीटर तक ही देख पाता है। बी3 कैटेगरी का खिलाड़ी 5 से 6 मीटर देखने में समर्थ होता है। जब 11 खिलाड़ियों की टीम बनाई जाती है तो उसमें बी1 श्रेणी के 4 खिलाड़ी होते हैं। जब किसी खिलाड़ी का रिप्लेसमेंट करना होता है तो केवल बी1 व बी2 के खिलाड़ियों में बदलाव किया जाता है।
इस फॉर्मेट में गेंदबाज अपनी गेंद फेंकने से पहले बल्लेबाज से पूछता है,'तुम रेडी हो' उसका जवाब आता है,'रेडी'। फिर गेंदबाज प्ले कहता है और गेंद फेंकता है। यदि ऐसा नहीं करेगा तो नो बाल मानी जाएगी। प्लांट क्रिकेट में सलामी जोड़ी के रूप में बी1 श्रेणी के दो खिलाड़ी नहीं उतर सकते हैं। उदाहरण के लिए बी1 श्रेणी के खिलाड़ी के साथ बी2 श्रेणी का खिलाड़ी बल्लेबाजी करता है। अगर बी1 श्रेणी का बल्लेबाज 1 रन बनाता है तो उसे 2 रन दिए जाते हैं। इसी तरह विभिन्न श्रेणी के बल्लेबाज को गेंद सीमारेखा के बाहर पहुंचाने पर 4 की जगह 8 रन मिलते हैं। इस फॉर्मेट में ज्यादातर स्वीप शाट खेला जाता है।
जॉर्ज अब्राहम भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट के संस्थापक हमारे देश में ब्लाइंड क्रिकेट की शुरुआत करने का क्रेडिट जॉर्ज अब्राहम को जाता है। इन्होंने एसोसिएशन फॉर क्रिकेट फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया की न सिर्फ स्थापना की बल्कि वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसलिंग की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ऐसे महान लोग जिन्होंने विकलांगता को पछाड़ दिया
खेल का महत्व स्कूल में जाने इस लेख से
ब्लाइंड क्रिकेट एक ऐसा खेल गेंदबाज पूछता है 'तुम रेडी हो' बल्लेबाज कहता है 'रेडी'
ब्लाइंड क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो अंधे व्यक्तियों के साहस और हौसले को दर्शाता है। आंख से दिखाई ना देने के बावजूद भी इनका खेल देखने वाला आश्चर्यचकित हो जाता है। हम बताने जा रहे हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट कैसे खेली जाती है और इसके नियम क्या है? इस बारे में इस लेख में पढ़ें-
क्रिकेट एक दिलचस्प खेल है, यह न सिर्फ गेंद—बल्ले से खेला जाता है बल्कि दिमाग भी इसमें लगाना पड़ता है। इसके लिए शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहना बेहद जरूरी है। खेल के दौरान हर खिलाड़ी की गेंद की आहट पर अटेशन होता है, खासतौर पर बल्लेबाज की। अगर जरा भी गेंद से निगाह हटी तो चुके। लेकिन सोचो जरा अगर किसी के पास निगाहें ना हो, कहने का मतलब है कि खेलने वाले अंधे हो तो कैसे खेल हो सकता है। लेकिन टेक्निक और आवाज से क्रिकेट खेलते हैं। इनके खेल को ब्लाइंड क्रिकेट कहा जाता है।
विश्व कप भी होता है
ब्लाइंड क्रिकेट का पहला विश्वकप नवंबर 1998 में नई दिल्ली में हुआ था। इस विश्व कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया सहित कुल 7 देशों ने भाग लिया था पूर्णविराम यह विश्वकप दक्षिण अफ्रीका ने जीता था। दूसरा ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप दिसंबर 2002 में चेन्नई में आयोजित किया गया। इसमें पाकिस्तान ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर खिताब जीता था।
ब्लाइंड क्रिकेट की शुरुआत कब से हुई
ब्लाइंड क्रिकेट की शुरुआत सबसे पहले 1922 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एक कारखाने से मानी जाती है। कारखाने में दो अंधे कर्मचारियों द्वारा यह क्रिकेट खेला जा रहा था। अंधेपन से जूझ रहे लोगों के लिए इस खेल की लोकप्रियता धीरे-धीरे देश व राज्य की सीमाएं तोड़ने लगी। बाद में 1922 में विक्टोरिया ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना हुई। ब्लाइंड क्रिकेट को लोग एक रोचक खेल की तरह विकसित करने के लगे।
ऐसे महान लोग जिन्होंने विकलांगता को पछाड़ दिया
खेल का महत्व स्कूल में जाने इस लेख से
छोटी सी झपकी आपको बनाए फ्रेश
रिसर्च लिखने और पढ़ने में दिमाग अलग-अलग तरह से सोचता है
मैथ का भूत हटाओ ये टिप्स अपनाओ
मातापिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छी आदतें सीखें और अपने पढ़ाई में आगे रहें, लेकिन आप चाहे
ब्लाइंड क्रिकेट टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं जिन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। पहली श्रेणी बी1 होती है। इस श्रेणी का खिलाड़ी बिल्कुल नहीं देख पाता है। बी2 कैटेगरी का खिलाड़ी 2 से 3 मीटर तक ही देख पाता है। बी3 कैटेगरी का खिलाड़ी 5 से 6 मीटर देखने में समर्थ होता है। जब 11 खिलाड़ियों की टीम बनाई जाती है तो उसमें बी1 श्रेणी के 4 खिलाड़ी होते हैं। जब किसी खिलाड़ी का रिप्लेसमेंट करना होता है तो केवल बी1 व बी2 के खिलाड़ियों में बदलाव किया जाता है।
गेंद फेंकने से पहले पूछा जाता है
इस फॉर्मेट में गेंदबाज अपनी गेंद फेंकने से पहले बल्लेबाज से पूछता है,'तुम रेडी हो' उसका जवाब आता है,'रेडी'। फिर गेंदबाज प्ले कहता है और गेंद फेंकता है। यदि ऐसा नहीं करेगा तो नो बाल मानी जाएगी। प्लांट क्रिकेट में सलामी जोड़ी के रूप में बी1 श्रेणी के दो खिलाड़ी नहीं उतर सकते हैं। उदाहरण के लिए बी1 श्रेणी के खिलाड़ी के साथ बी2 श्रेणी का खिलाड़ी बल्लेबाजी करता है। अगर बी1 श्रेणी का बल्लेबाज 1 रन बनाता है तो उसे 2 रन दिए जाते हैं। इसी तरह विभिन्न श्रेणी के बल्लेबाज को गेंद सीमारेखा के बाहर पहुंचाने पर 4 की जगह 8 रन मिलते हैं। इस फॉर्मेट में ज्यादातर स्वीप शाट खेला जाता है।
जॉर्ज अब्राहम
जॉर्ज अब्राहम भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट के संस्थापक हमारे देश में ब्लाइंड क्रिकेट की शुरुआत करने का क्रेडिट जॉर्ज अब्राहम को जाता है। इन्होंने एसोसिएशन फॉर क्रिकेट फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया की न सिर्फ स्थापना की बल्कि वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसलिंग की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ऐसे महान लोग जिन्होंने विकलांगता को पछाड़ दिया
खेल का महत्व स्कूल में जाने इस लेख से
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें