Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
https://www.newgyan.com/2019/11/bhaarateey-aajaadee-ke-gumanaam-naayak.html
आज हम जितने मार्डन हैं, उतने ही समझदार भी हैं।
आज आधी आबादी यानी महिलाओं की स्वतंत्रता की बात तो होती है, लेकिन कहीं न कहीं, पुरुष की स्वतंत्रता की बात नहीं हो पाती है।
पुरुषों की पीड़ा भी होती है और दुनिया के तमाम प्रगतिशील देश 'पुरुषदिवस' मना रहा है।
भारत की स्थिति कुछ अलग ही है, क्योंकि यहां पर अभी भी शोषण व अत्याचार की स्थिति बनी हुई है।
महिलाओं पर हो रहे यौन हिंसा के कारण, समाज का यह भयानक चेहरा उन कथित मानसिकता को उजागर कर रहा है।
पुरुष पिता के रूप में और पति के रूप में भारतीय परंपरा का निर्वाहन कर रहा है।
आज ईमानदार पुरुषों की आवश्यकता है ताकि इस 'पुरुषदिवस' को हम सब सेलिब्रेट कर सकें।
हर भारतीयों की नारी के प्रति संवेदना पुरुषत्व की पहचान है।
पुरुष परिवार की एक ऐसी कड़ी है, जो परिवार को सही दिशा और दशा प्रदान करता है।
आज का भारतीय पुरुष दकियानूसी ख्यालात और अंधविश्वास, जोकि महिलाओं का आजादी को छीनता है, उसके खिलाफ खड़ा है।
भारतीय पुरुष द्रौपदी की लाज बचाने वाला वह कृष्ण है। नारी अस्मत और राष्ट्र की रक्षा करने वाला महाराणा प्रताप सिंह, छत्रपति शिवाजी महाराज और सारे दुनिया को अहिंसा व सादगी का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी हैं। आज के पुरुषों के हीरो चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद जैसे महापुरुष हैं। जिनके नक्शे कदम पर चलकर देश दुनिया और जहान को बदलने का जज्बा पुरुष अपने अंदर लिए हुए हैं।
आज का पुरुष महिलाओं के साथ कंधा मिलाकर चल रहा है। उसके लिए हर तरह के रास्ते खोल रहा है।
आज का पुरुष असल में जननी (माँ) का कर्ज़ चुका रहा है, जो हजा़रों साल से हर सभ्यता में दबी और कुचली रही है।
राजा राममोहन राय महिलाओं को सती प्रथा से मुक्ति दिलाई तो ज्योतिबा फुले जैसे लोगों ने महिलाओं की शिक्षा के लिए उठने वाले कदमों को रोकने वालों के खिलाफ लोहा लिया।
भगवान राम ने नारी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाले रावण को परास्त करने के लिए देवी शक्ति मां दुर्गा की पूजा की।
जब प्रकृति ने पुरुष और स्त्री में भेद नहीं किया है तो हम और आप स्त्री और पुरुष के बीच में भेद करने वाले कौन हैं। पुरुष वही है जो अपने पुरुषार्थ के बल पर इस प्रकृति के हर जीवों को जीने का अवसर और सम्मान प्रदान करता है। भगवान महावीर जैन तथा भगवान बुद्ध ने अपने पुरुषार्थ के बल पर ही अपने समय में इस दुनिया को शांति और अहिंसा का नया पाठ पढ़ाया था।
आज का पुरुष भारत के उस गौरवमान-मर्यादा को फिर से स्थापित करने में लगा हुआ है। उसके साथ उसकी पत्नी, बेटी, बहन,माँ, दोस्त सब हैं।
कर्म की पूजा करने वाला देश भारत नारी शक्ति की भी पूजा करता है। आज का पुरुष अपनी भारतीय संस्कृति के अनुरूप 'नारी शक्ति' को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रहा है, नारी को घर की देहरी से आसमान की ऊँचाइयों में फाइटर एरोप्लेन उड़ाने वाली महिला पायलट, सीमा पर तैनात महिला अधिकारी और बड़े-बड़े मल्टीनेशनल कंपनियों में निर्णय लेते हुए महिला अधिकारी के रूप में वे नई भूमिका में सामने आ रही हैं, जिनका स्वागत व उत्साहवर्धन भारतीय पुरुष कर रहे हैं।
भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, इंदिरा गांधी के बचपन में देशभक्ति का जज्बा Bhagat Singh, Chandrashekhar Azad, Indira Gandhi's childhood patriotic spirit
आजादी के गुमनाम नायक
19 नवंबर को 'इंटरनेशनल मेंस डे' यानी 'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' है।
पुरुष होने के मायने
आज हम जितने मार्डन हैं, उतने ही समझदार भी हैं।
आज आधी आबादी यानी महिलाओं की स्वतंत्रता की बात तो होती है, लेकिन कहीं न कहीं, पुरुष की स्वतंत्रता की बात नहीं हो पाती है।
पुरुषों की पीड़ा भी होती है और दुनिया के तमाम प्रगतिशील देश 'पुरुषदिवस' मना रहा है।
भारत की स्थिति कुछ अलग ही है, क्योंकि यहां पर अभी भी शोषण व अत्याचार की स्थिति बनी हुई है।
महिलाओं पर हो रहे यौन हिंसा के कारण, समाज का यह भयानक चेहरा उन कथित मानसिकता को उजागर कर रहा है।
पुरुष होने के मायने
पुरुष पिता के रूप में और पति के रूप में भारतीय परंपरा का निर्वाहन कर रहा है।
आज ईमानदार पुरुषों की आवश्यकता है ताकि इस 'पुरुषदिवस' को हम सब सेलिब्रेट कर सकें।
हर भारतीयों की नारी के प्रति संवेदना पुरुषत्व की पहचान है।
पुरुष परिवार की एक ऐसी कड़ी है, जो परिवार को सही दिशा और दशा प्रदान करता है।
आज का भारतीय पुरुष दकियानूसी ख्यालात और अंधविश्वास, जोकि महिलाओं का आजादी को छीनता है, उसके खिलाफ खड़ा है।
भारतीय पुरुष द्रौपदी की लाज बचाने वाला वह कृष्ण है। नारी अस्मत और राष्ट्र की रक्षा करने वाला महाराणा प्रताप सिंह, छत्रपति शिवाजी महाराज और सारे दुनिया को अहिंसा व सादगी का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी हैं। आज के पुरुषों के हीरो चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद जैसे महापुरुष हैं। जिनके नक्शे कदम पर चलकर देश दुनिया और जहान को बदलने का जज्बा पुरुष अपने अंदर लिए हुए हैं।
रोचक जानकारी लखनऊ की भूलभुलैया के बारे में पढ़ें आखिर क्यों बनाया गया भूलभुलैया उसके पीछे के राज जानने के लिए पढ़ें
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आज का पुरुष असल में जननी (माँ) का कर्ज़ चुका रहा है, जो हजा़रों साल से हर सभ्यता में दबी और कुचली रही है।
राजा राममोहन राय महिलाओं को सती प्रथा से मुक्ति दिलाई तो ज्योतिबा फुले जैसे लोगों ने महिलाओं की शिक्षा के लिए उठने वाले कदमों को रोकने वालों के खिलाफ लोहा लिया।
भगवान राम ने नारी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाले रावण को परास्त करने के लिए देवी शक्ति मां दुर्गा की पूजा की।
जब प्रकृति ने पुरुष और स्त्री में भेद नहीं किया है तो हम और आप स्त्री और पुरुष के बीच में भेद करने वाले कौन हैं। पुरुष वही है जो अपने पुरुषार्थ के बल पर इस प्रकृति के हर जीवों को जीने का अवसर और सम्मान प्रदान करता है। भगवान महावीर जैन तथा भगवान बुद्ध ने अपने पुरुषार्थ के बल पर ही अपने समय में इस दुनिया को शांति और अहिंसा का नया पाठ पढ़ाया था।
आज का पुरुष भारत के उस गौरवमान-मर्यादा को फिर से स्थापित करने में लगा हुआ है। उसके साथ उसकी पत्नी, बेटी, बहन,माँ, दोस्त सब हैं।
कर्म की पूजा करने वाला देश भारत नारी शक्ति की भी पूजा करता है। आज का पुरुष अपनी भारतीय संस्कृति के अनुरूप 'नारी शक्ति' को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रहा है, नारी को घर की देहरी से आसमान की ऊँचाइयों में फाइटर एरोप्लेन उड़ाने वाली महिला पायलट, सीमा पर तैनात महिला अधिकारी और बड़े-बड़े मल्टीनेशनल कंपनियों में निर्णय लेते हुए महिला अधिकारी के रूप में वे नई भूमिका में सामने आ रही हैं, जिनका स्वागत व उत्साहवर्धन भारतीय पुरुष कर रहे हैं।
भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, इंदिरा गांधी के बचपन में देशभक्ति का जज्बा Bhagat Singh, Chandrashekhar Azad, Indira Gandhi's childhood patriotic spirit
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