Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
पानी बचाओ जीवन बचाओ, जल संकट के कारण हमारा जीवन खतरे में है, जाने जल प्रदूषण से हो रहे नुकसान के बारे में
जल ही जीवन है। यह सेंटेंस बिल्कुल सच है! आज के दौर में पानी बहुत अनमोल है। हमारे धरती का पर्यावरण बिगड़ रहा है। इसकी सेहत पर सबसे ज्यादा फर्क पानी की कमी के रूप में दिखाई देता है। पीने के पानी की कमी के कारण विश्व के कई देश चिंतित है। पानी बचाने के तरीकों पर ध्यान दिया जा रहा है। हर साल बारिश का पानी नदियों में बाढ़ के रूप में बहकर समुद्र के खारे पानी में मिल जाता है। सही प्रबंधन न होने के कारण हम बारिश से प्राप्त होने वाले मीठे पानी को बचा नहीं पाते हैं। जहाँ बारिश कम होती है, वहाँ पर जल संरक्षण और पेड़ों को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे fact जो हमें सोचने पर मजबूर कर देगा कि आखिर पानी इतना जरूरी है, तब भी हम क्यों कर रहे हैं पानी के साथ खिलवाड़-
क्यों कहते है नीली धरती
अंतरिक्ष से देखने पर हमारी पृथ्वी दिखती है नीला कारण है इसका कि हमारी धरती पर करीब 70% हिस्से में पानी भरा हुआ है। धरती का सबसे ज्यादा पानी समुद्र में भरा हुआ है। लेकिन ढाई प्रतिशत पानी पीने के लिए है।
चीन का दुश्मन उसका विकास
Water Pollutants and their source and effects के कारण बड़ी बड़ी इंटस्ट्री का 70% कचड़ा पानी में ही बहा दिया जाता है जिससे पीने योग्य पानी भी धीरे धीरे दूषित होता जा रहा है।
चीन आबादी में पहला स्थान है लेकिन उसके करीब 32 करोड़ लोगों के पास पीने का शुद्ध पानी नहीं है। चीन कार्बन उत्सर्जन करने में भी सबसे आगे है। चीन की सड़कों में वायु प्रदूषण के कारण कई बार ऐसे धुंध छाए बीजिंग शहर पर वहाँ के लोगों को कई हफ्तों तक अपने घर में कैद रहना पड़ा था। चाइना का केवल 20% पानी ही पीने योग्य है लेकिन वो भी बहुत ज्यादा दूषित है।
बच्चों की जान ले रहा है गंदा पानी
सबसे दुखद है कि दुनिया भर में करीब डेढ़ करोड़ बच्चे (जिनकी उम्र 5 साल से कम है) दूषित पानी पीने से मर जाते हैं। दुखद है कि भारत में करीब 1000 बच्चे रोजाना दूषित पानी पीने से मर जाते हैं। दूषित पानी से कई तरह के रोग होते हैं, जो मौत का कारण बन जाते हैं।
गंगा नदी को प्रदूषण के राक्षस से बचाएँ
भारत की आस्था और धार्मिक विश्वास की प्रतीक गंगा नदी भी दुनिया की सबसे दूषित नदियों में आती है, जिसमें सीवेज, कचरा, भोजन, और पशुओं के अवशेष गंगा नदियों में डाले जाते हैं। गंगा नदी किनारे बसे शहरों सीवर और फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा कचरा नालों के द्वारा इसमें बहा दिया जाता है जिस कारण से गंगा का नदी लगातार अपनी गुणवत्ता खो रही है इसे आप ऐसे समझे जैसे प्रदूषण रूपी राक्षस गंगा नदी को धरती से मिटाने पर उतारू है।
विश्व के छोटे और बड़े देश जल प्रदूषण से है परेशान
85% भूजल में आर्सेनिक नाम का रसायन मिला हुआ है जो एक प्रकार का जहर के समान है। इससे कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक होती है।अमेरिका की करीब 40% नदियां इतनी ज्यादा दूषित हैं कि उनमें तैरने से भी भयानक बीमारियाँ होने का डर रहता है।
गन्दा पानी पीने से ही हैजा और टाइफाइड जैसी महामारियाँ फैलती हैं।
80% जल प्रदूषण तो घरेलू कचरा खुली जगह फैकने या गंदगी नालियों में फैंकने से फैलता है।
एशिया में नदियाँ सबसे ज्यादा दूषित हैं और यह लोगों के मल और मूत्र से बहुत ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हैं।प्लास्टिक बैग हमारा दुश्मन
प्लास्टिक के बैग और पन्नियाँ जल प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देती हैं, प्लास्टिक खाने की वजह से समुद्र की हजारों मछलियाँ हर साल मर जाती हैं।
दुनिया भर में करीब 70 करोड़ लोग ऐसे हैं जो दूषित पानी पीते हैं।
प्रकृति को मनाए और साफ जल का उत्पादन और संरक्षण बढ़ाएँ
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चमड़ा और केमिकल बनाने वाली फैक्ट्रीयों का यह कचड़ा पानी में मिलकर जहरीला बना देता है। करीब 2 करोड़ टन मल और मूत्र हर दिन नदियों में जाता है।
जल संरक्षण यानी जल को बचाना बहुत जरूरी है समुद्र का जल भाप बनकर बादल बनते हैं और उससे होने वाली बारिश से ही धरती का अंडर ग्राउंड वाटर और तलाब नदियों को भी पानी मिलता है लेकिन पर्यावरण असंतुलन के कारण अगर किसी क्षेत्र में बारिश ना होने के कारण पानी की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाएगी जिस कारण से उस क्षेत्र विशेष में सूखा पड़ जाता है ठीक इसके उलटा बारिश के कारण पानी बहकर समुद्र में मिल जाता है क्योंकि जंगलों के पेड़ों का सफाया और पक्की जमीन के कारण और साथ में तालाब झीलों को पाठ कर उस पर निर्माण कर लिया है जिस कारण से पानी स्टोर नहीं हो पाता है यह सब प्रकृति के बर्तन है यहां वर्षा का पानी स्टोर अपने आप होता है लेकिन विकास की बिना सोचे समझे जानेवाली दौड़ने हमारे लिए स्वच्छ जल संकट को बढ़ा दिया है।
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