Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
Tips Bacho ko de veyahvarik gyan/टिप्स:बच्चों को दे व्यवहारिक ज्ञान:पेरेंटिंग
टेक्नोलॉजी के इस युग में हमारे बच्चे जीवन के व्यवहारिक ज्ञान से दूर होते जा रहे हैं, यह स्थिति चिंतनीय है।
इससे निपटने के लिए बच्चे को बचपन से ही छोटे-छोटे काम की बातें सिखाना शुरू कर देना चाहिए। बच्चों में जीवन जीने की सही आदतों और नेचर के साथ अरजेस्ट करने की कला आनी जरूरी है। नहीं तो आपका बच्चा जीवन के इम्तिहान में पिछड़ जाएगा।
आज की भागदौड़ की लाइफ में हमारे बच्चे किताबी कीड़े बनते चले जा रहे हैं। इस इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में बच्चे जिंदगी की छोटी-छोटी व्यवहारिक बातें सीखी नहीं पाती हैं।
नंबर की दौड़ में बच्चे केवल कमरों की चारदीवारी में कैद नजर आते हैं। आज की पढ़ाई केवल विषय के ज्ञान तक ही सीमित है। ऐसे में आप अपने बच्चों को ही जीवन की जरूरी व्यावहारिक बातें सिखाना शुरू कर दें। यह बातें जरूर दिखने में छोटी है लेकिन जीवन के लंबे वक्त में बच्चे के जीवन में उपयोगी आने वाली है। बच्चों का मन कोरा होता है अच्छी और बुरी आदतों में वे अंतर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों को जीवन की महत्वपूर्ण बातें सिखा सकते हैं।
नेचर से कराएँ दोस्ती
आज हम मशीनी दुनिया के बीच में घिरे हुए हैं। मोबाइल टेक्नोलॉजी के चलते आज बच्चे मोबाइल के स्क्रीन में ही दुनिया को समेटे हुए हैं। ऐसे में उनका बचपन नेचर के साथ नहीं बिकता है। अगर हम तुलना करें 20 साल पहले की तो उस समय के बच्चे प्रकृति के इर्द-गिर्द ही रहते थे और पेड़-पौधों नदियों तालाबों से बहुत कुछ सीखते थे। उनका व्यवहारिक ज्ञान इतना मजबूत होता था कि वह अन्य विषयों को अच्छी तरह से समझ लेते थे। लेकिन आज के आधुनिक तकनीक से घिरे, इन बच्चों को अगर हमने सही दिशा नहीं दी तो, उनका विकास प्रभावित होगा।
नेचर ले जाता है हकीकत की दुनिया में
अपने बच्चे को घर से बाहर ले जाए किसी पार्क नदी के किनारे तालाब आदि के पास जो सबसे नजदीक हो और नेचर से उन्हें रूबरू कराएं। रंग बिरंगी उड़ती तितली आती चिड़िया कल-कल बहता पानी हरे-भरे घास के मैदान पर नंगे पांव चलना ऐसे नजारे बच्चे देखकर खुद ही आपसे सवाल करेंगे। यह नेचर की असली दुनिया है जो किताबों से हटकर उन्हें हकीकत के दुनिया से वाकिफ कराएगा।
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नेचर को देख बच्चों के मन उठेगा सवाल
बच्चे जन्म से ही जिज्ञासु होते हैं और जाने-अनजाने व आपसे कई सवाल पूछेंगे। जैसे पत्तियां क्यों हरी होती है? चिड़िया शाम के वक्त कहां जा रही है? सूरज का रंग लाल क्यों हो गया है? इस तरह के जिज्ञासा भरे प्रश्न से बच्चे के बुद्धि का विकास और तेजी से होता है। इस कारण से उनका कक्षा में परफारमेंस भी बहुत तेजी से बढ़ता है।
रिसर्च भी बताते हैं कि बच्चा सोचेगा, सीखेगा और फिर नेचर को समझेगा लेकिन इसके लिए आपको उसे प्रकृति यानी नेचर से मुलाकात करानी होगी। आप हफ्ते में तीन चार बार बच्चे को जरूर बाहर लेकर जाएं। कभी शाम के वक्त डूबते हुए सूरज को दिखाएं, कभी चांदनी रात में टहलाएँ और चाँद सितारों की बात बताएँ। चंद्रमा का घटना और बढ़ना, उस पर चर्चा करने पर बच्चे प्रकृति से जुड़ने लगेंगे।
प्रदूषण के प्रति बनेंगे जागरुक
इस दुनिया में पर्यावरण प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। हमारे बच्चे इस धरती के आने वाले भविष्य हैं इसलिए इन्हें प्रकृति से मुलाकात कराना जरूरी है तभी यह अपनी धरती पर हो रहे प्रदूषण के बारे में जागरूक हो सकेंगे। और अपने नियम खुद बना सकेंगे, किस कारण से प्रदूषण होता है। इस तरह वे अपनी आदतों में सुधार कर सकेंगे। नेचर हमें सिखाता भी है और नेचर के साथ चलना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
कैसे सिखाएं बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान
आप अपने बच्चे को बचपन से ही सिखाएं कि वह जीवन में आने वाली समस्याओं से कैसे निपटे। बिजली चली जाने पर अक्सर फ्यूज़ बदलने जैसा साधारण काम भी बताएं ताकि ऐसी छोटी-छोटी समस्या आने पर वह इलेक्ट्रीशियन पर निर्भर ना रहे। बच्चे को फर्स्ट ऐड की ट्रेनिंग के लाना भी जरूरी है। इमरजेंसी के समय डॉक्टरी चिकित्सा पहुंचने में देरी लग सकती है ऐसे में तुरंत दूसरों की मदद की पहल करना बताएं। दूसरों की सहायता करने से जो आत्म संतुष्टि मिलती है वह भावना आपके बच्चों में आएगी और जीवन में दूसरों की खुशियों के महत्व को समझने लगेगा। बैंकिंग के बारे में समझाएं और बताएं कि समय पर इनकम टैक्स भरना ही जरूरी नहीं बल्कि रिटर्न भरना भी जरूरी है। अपने साथ उसे बैंक जरूर ले जाएं और वहां के कामकाज को वह देखेगा तो पैसों की बचत करने की आदत का विकास होगा। साइंस और मैथ्स के रखते हटाए प्रश्नों की जगह बचत की विभिन्न योजनाएं बैंक दर बचत के विकल्प आदि को बताएं इस्तेमाल किए जाने वाले विज्ञान और तकनीक को व्यवहारिक जीवन में किस तरह उपयोग किया जाए उसे भी यह बताएं।
स्वास्थ्य रहना कितना जरूरी है
बच्चे को स्वास्थ्य का महत्व बताना बिल्कुल जरूरी है। स्कूल में योग और एक्सरसाइज का पीरियड जरूर होता है। बच्चों को इसके फायदे बताएं। हेल्दी फूड खाने और सुबह जल्दी उठने की आदत के बारे में भी बताएं। उसके साथ सुबह उठकर टहलने के लिए जाएं तो वह सुबह उठने का महत्व समझेगा। उसे तनाव भरे जीवन से उबरने का तरीका बताएं योग के महत्व को बताएं। स्वास्थ्य की अच्छी आदतों को अभी से ही अपने बच्चे में डाले नहीं तो उठने बैठने चलने फिरने पढ़ने लिखने की गलत आदतों के चलते उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। बचपन में सही आदतों को व्यवहार में लाने की नींव अभिषेक पड़ जाए तो उसकी आगे की जिंदगी बेहतरीन हो जाएगी।
शिक्षा भी है जरूरी
व्यवहारिक ज्ञान देने का यह मतलब नहीं है कि शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज कर दिया जाए। शिक्षा भी जरूरी है लेकिन व्रत एरत्ताई फार्मूले में नहीं बल्कि बताएं बच्चों को पढ़ने का सही तरीका। इसके लिए किसी फार्मूले या टॉपिक को रखने के बजाय उसे समझने पर बल दे। पढ़ने का मतलब अच्छे नंबर नहीं होना चाहिए बल्कि विषय पर सही पकड़ बनाने पर जोर दे जैसे गणित के फंडामेंटल नॉलेज विज्ञान के सही कॉन्सेप्ट ज्योग्राफी को मैप के माध्यम से पढ़ना निबंध में अपने विचारों की क्रमबद्ध प्रस्तुति देना अंग्रेजी सीखने के लिए किसी अंग्रेजी अखबार के आर्टिकल को अच्छे से पढ़ना और उस विषय पर अपनी सोच से लिखने का प्रयास करना आदि बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है। अगर आप अपने बच्चे को शुरू से पढ़ने का तरीका बताएंगे तो वह अपनी कक्षा में ही नहीं बल्कि अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सक्सेसफुल रहेगा।
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