भारतीय आजादी के गुमनाम नायक bhaarateey aajaadee ke gumanaam naayak 2022
आज हम अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकते हैं, पढ़ लिख सकते हैं अपने मनपसंद का करियर चुन सकते हैं, क्योंकि हम आजाद हैं और इस आजादी के लिए वीरों ने अपनी आहुति दी है, पर जब स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताने की बारी आती है तो हम सिर्फ गिने-चुने नाम ही बता पाते हैं, जबकि हकीकत यह है कि आजादी सिर्फ कुछ लोगों के बलिदान से नहीं मिली बल्कि इसके लिए बहुतों ने अपनी जान गंवाई। इनमें से कई तो गुमनामी की अंधेरों में खो चुके हैं। हम आपको ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी-
आजादी के गुमनाम नायक
हम बताने जा रहे हैं आजादी के महानायक जिनको हम भूल गए हैं--
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
मतंगिनी हजरा
विनायक दामोदर सावरकर
आजादी की लड़ाई को अपनी कलम से लड़ने वाले दामोदर को आज भले
ही राजनीतिक फायदे के लिए भुनाने की कोशिश की जा रही हो पर
दामोदर जी ने न सिर्फ आजादी की लड़ाई लड़ी
बल्कि हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था के खिलाफ भी आवाज बुलंद की।
पीर अली खान
कमलादेवी चट्टोपाध्याय
तिरुपुर कुमारन
डॉ० लक्ष्मी सहगल
गरिमेल्ला सत्यनारायण
तारा रानी श्रीवास्तव
अल्लूरी सीताराम राजू
एन जी रांगा
पोट्टी श्रीरामुल्लू
कनेगांटी हनुमंथू
परबती गिरी
अबदी बानो बेगम
बिश्नी देवी
भारत में गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम है बिश्नी देवी। ऐसी महिला जो अंग्रेजों के शासनकाल में कुमायूं के अल्मोड़ा जिले में पहली बार तिरंगा फहराया। इस तरह से आजादी का बिगुल अल्मोड़ा जिले में भी उन्होंने बजा दिया। आपको बता दें कि बिश्नी देवी का विवाह 13 साल की उम्र में हो गया था और 19 साल की उम्र में उनके पति का निधन हो गया था। आप उनके लिए जीवन का लक्ष्य सन्यास नहीं बल्कि भारत को आजादी दिलाना था। इसके लिए उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के जरिए जागरूकता लोगों में फैलाई। 1930 में सक्रिय रूप से आंदोलन में जुट गई। 25 मई 1930 में अल्मोड़ा के नगर पालिका में तिरंगा फहराया और अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दे दी। अंगरेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। आपको बता दें कि वे उत्तराखंड की पहली महिला थी, जो आजादी के आंदोलन में पहली बार जेल गई थी। स्वतंत्रता आंदोलन की उनकी लड़ाई जारी रही और जेल से छूटने के बाद भी वह आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाती रही और कई बार भी जेल भी गई।
73 साल की उम्र तक जीवित रहीं। 1974 में उनका निधन हो गया।
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बहुत ही शानदार और बहुत ही उक्त जानकारी आप ने दी
जवाब देंहटाएंजी हा
हटाएंSuperb
हटाएंVery nice tips on this. In case you need help on any kind of academic writing visit our website DigitalEssay.net and place your order
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंVery nice and thanks
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है!
हटाएंThankyou
जवाब देंहटाएंआप सभी का स्वागत है धन्यवाद
जवाब देंहटाएंVery nice tip
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंVery nice sir
जवाब देंहटाएंNice sir
जवाब देंहटाएंHello i am divyansh class 7th i live in sultanpur (kushbhavanpur)
हटाएंवोहतही अच्छा लगा कि अपने
हटाएंस्वागत है!
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