Me, mai, inme, uname, Bindu ya chandrabindu kyon nahin lagta hai | मे उनमे इनमे मै मे बिन्दु (अनुस्वार)) या चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक) क्यों नहीं लगता है। मे, मै मे चन्द्रबिंदु या बिंदु लगेगा? Hindi mein chandrabindu kab lagana chahie kab nahin? Hindi spelling mistake किसी भी शब्द के पंचमाक्षर पर कोई भी बिन्दी अथवा चन्द्रबिन्दी (Hindi Chandra bindi kya hai) नहीं लगती है। इसका कारण क्या है आइए विस्तार से हम आपको बताएं। क्योंकि ये दोनो अनुनासिक और अनुस्वार उनमे निहित हैं। हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है। इसके विज्ञान शास्त्र को देखा जाए तो जो पंचमाक्षर होता है उसमें किसी भी तरह का चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगता है क्योंकि उसमें पहले से ही उसकी ध्वनि होती है। पांचवा अक्षर वाले शब्द पर चंद्रबिंदु और बिंदु नहीं लगाया जाता है। जैसे उनमे, इनमे, मै, मे कुछ शब्द है जिनमें चंद्र बिंदु बिंदु के रूप में लगाया जाता है लेकिन म पंचमाक्षर है। Hindi main panchma Akshar kise kahate Hain? प फ ब भ म 'म' पंचमाक्षर pancman Akshar है यानी पांचवा अक्षर है। यहां अनुनासिक और अनुस्वार नहीं लगेगा। क्योंकि पं
paryavaran pradushan nibandh in hindi बचाएँ अपनी धरती को | जलवायु परिवर्तन का कारण कार्बन का अधिक उत्सर्जन|
paryavaran pradushan nibandh in hindi बचाएँ अपनी धरती को | जलवायु परिवर्तन का कारण कार्बन का अधिक उत्सर्जन|
16 साल की बच्ची के हाथ में एक तख्ती है, उस पर लिखा है- 'देर से
मिला न्याय अन्याय होता है, जलवायु परिवर्तन हो रहा है कब हम जागेंगे।'
यह लड़की अकेली नहीं है। इस लड़की ने अपना स्कूल छोड़कर प्रोटेस्ट करने के लिए सड़कों पर उतर आई है। इसका आंदोलन, सभी धरतीवासियों के लिए आंदोलन बन गया है। कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन हमारी धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसे लाखों बच्चे हमें जागरूक कर रहे हैं।
बच्चे चिंतित, धरती हो रही है-बीमार
आज की पीढ़ी किसी तरह जी रही है लेकिन आज के बच्चे जब बड़े होंगे तो उनके लिए स्वच्छ पर्यावरण और स्वस्थ धरती क्या रह पाएगी इसी चिंता में आज के बच्चे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उठा रहे हैं अपनी आवाज और बड़ों से कह रहे हैं की हमारी धरती को बीमार मत होने दो। आने वाली भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरती जीने लायक नहीं रहेगी? जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान के कारण दुनिया के 50 हजार स्कूल के छात्र लोगों को जागरूक करने के लिए सड़कों पर उतरने वाले हैं।
जलवायु परिवर्तन का कारण है विकास के नाम पर कार्बन का अधिक उत्सर्जन
फाइल चित्र |
इ जन जागरूकता अभियान की नेतृत्व स्वीडन की रहने वाली 16 साल की बालिका ग्रेटा टुनबर्ग करेंगी। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 21 से 23 सितंबर 2019 तक न्यूयॉर्क शहर में होगा। जहां दुनियाभर के नेता इकट्ठा होंगे।
दुनियाभर के लाखों छात्र एक साथ इकट्ठा होकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन छात्रों ने फैसला किया है कि वह एक दिन स्कूल जाकर पर्यावरण के लिए आवाज उठाएंगे।
इस बालिका के मिशन का असर अमेरिका यूरोप और एशिया के देशों पर पड़ा है। पर्यावरण बचाने की अभियान में हर देश एक साथ खड़ा हो चुका है।
23 सितंबर तक चलेगा जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन
भारत देश भी अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। 23 सितंबर को जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन 2019 में नरेंद्र मोदी भी अपनी बात रखेंगे। जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान पर भारत विश्व के अन्य देशों से कार्बन उत्पादन कम करने की अपील करता आया है और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाने के लिए भी आ आएगा। इस बार क्रेटा के अभियान ने भी विकास के नाम पर उत्सर्जन करने वाले विकसित देशों पर कार्बन उत्सर्जन कम करने का दबाव है।जलवायु परिवर्तन हड़ताल यानी ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक के कार्यकर्ता सियोल में एलईडी फ्लैशलाइट चमका कर दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे।
जलवायु परिवर्तन के प्रति अमेजॉन कंपनी भी इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल करेगी
अमेजॉन जैसी व्यवसाय कंपनियों ने भी जलवायु परिवर्तन से चिंतित हैं और उन्होंने भी कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक लाख इलेक्ट्रिक वैन का उपयोग करने के लिए शपथ ली है।
गूगल रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करेगी
गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने एयर और सोलर से चलने रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करने के लिए शपथ लिया है ताकि कार्बन उत्सर्जन कम हो सके।
Volkswagn AG वाहन कंपनी बनाएगी इलेक्ट्रिक कार
Volkswagn AG वॉक्सवैगन एक जर्मनी की कार उत्पादन कंपनी है, ने भी शपथ लिया की वह सन
पर्यावरण हितैषी इलेक्ट्रिक कार का उत्पादन आरंभ करेगी।
जलवायु परिवर्तन के कारण धरती पर हो रहे बदलाव के खिलाफ स्वीडन की ग्रेटा ने आवाज उठाया है। आइए जानते हैं कौन है-ग्रेटा?
16 साल की बालिका ग्रेटा का जन्म 2003 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ। ग्रेटा का नाम मैलेना अर्नमन है। वह स्वीडन में एक ओपेरा सिंगर हैं। ग्रेटा के पिता एक एक्टर हैं और उनका नाम स्वांते टनबर्ग है।
अभियान की शुरुआत सबसे पहले की घर से
ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत सबसे पहले घर से की। इस अभियान से पहले ग्रेटर के माता-पिता ने उसे अपनी लाइफ स्टाइल बदलने के लिए कहा था।
हवाई जहाज से यात्रा करना छोड़ दिया
साल तक ग्रेटा ने अपने घर के माहौल को बदलने में लगी रहीं। ग्रेटा के इन प्रयासों से उनके मातापिता ने सबसे पहले माँस खाना छोड़ दिया। जानवरों के अंगों से बनी चीजों, जैसे-बेल्ट, पर्स आदि का प्रयोग करना छोड़ दिया। इतना ही नहीं ग्रेटा के माता-पिता ने हवाई जहाज से यात्रा करना छोड़ दिया क्योंकि कार्बन उत्सर्जन सबसे अधिक हवाई जहाज से होता है।
बढ़ती गर्मी के असर को ग्रेटा ने समझा जलवायु परिवर्तन का कारण
साल 2018 का समय ग्रेट अपनी 9वीं कक्षा में पढ़ रही थी। लू चलने के कारण सभी स्टूडेंट गर्मी से बेहाल थे और उसी समय जंगल में आग लगने के कारण प्रदूषण फैला हुआ था। उस समय 9 सितंबर को स्वीडन में आम चुनाव होने वाला था। तब उन्होंने फैसला किया कि चुनाव समाप्त होने तक वह स्कूल नहीं जाएंगे। 20 अगस्त से उन्होंने जलवायु के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया ।
ग्रेटा के साथ हजारों स्टूडेंट ने सरकार से की कार्बन उत्सर्जन कम करने की माँग
इन सभी स्टूडेंट्स ने सरकार से माँग करते हुए कहा कि पैरिस समझौते के हिसाब से कार्बन उत्सर्जन का काम किया जाना चाहिए। अपनी माँग को पूरा करवाने के लिए इन छात्रों ने स्वीडन की संसद के बाहर प्रोटेस्ट करना शुरू किया। उन्होंने अपने स्कूल जाने के समय तीन हफ्तों तक ये विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान इन छात्रों ने लोगों को पर्चियां भी बाँटी जिसमें लिखा था। "मैं ऐसा इसलिए कर रहीं हूं क्योंकि, आप जैसे लोग मेरे भविष्य से खिलवाड़ कर रहा हैं। "
और फिर मिलने लगा दुनिया का समर्थन
सोशल मीडिया पर प्रोटेस्ट का वीडियो और तस्वीरें वायरल होने लगा लोगों को लगा कि ग्रेटा सही कह रही है। दुनिया भर के छात्र इस प्रदर्शन से काफी प्रभावित हुए और उनका साथ देने लगे। इस पूरे आंदोलन को ग्रेटा इफेक्ट के नाम से जाना जाने लगा।
और इस तरह छा गई ग्रेटा
इसके बाद 2019 में 224 शिक्षाविदों ने प्रदर्शन के समर्थन में एक ओपन लेटर पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरिस ने भी इन बच्चों के स्कूली आंदोलन की सराहना की। इसके बाद देखते ही देखते ग्रेटा लोकप्रिय हो गई। दुनिया के कई महत्वपूर्ण मंचों पर जलवायु परिवर्तन के विषय पर बोलने के लिए उन्हें आमंत्रित किया जाने लगा।
लेख अभिषेक कांत पांडेय
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